स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी जानी-मानी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका दि लांसेट ने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 पर एक नया शोध प्रकाशित किया है। इसमें पत्रिका ने वायरस को लेकर दो नई जानकारियां दी हैं। उसने बताया है कि कोरोना वायरस के एक औसत मरीज को लगभग 25 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है। वहीं, कोविड-19 से मारे जाने वाले मरीजों की लक्षण दिखने और मृत्यु तक की अवधि 18 दिन की हो सकती है। पत्रिका में प्रकाशित शोध का दूसरा महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि चीन में वायरस के संक्रमण से होने वाली मौतों की संपूर्ण मृत्यु दर 0.66 प्रतिशत है। अभी तक कहा जा रहा था कि इस वायरस से होने वाली कोविड-19 बीमारी की मृत्यु दर 3.67 प्रतिशत है।

(और पढ़ें - कोविड-19: वैज्ञानिकों की राय, हल्के और बिना लक्षण वाले मरीजों को ढूंढें, सरकार कम बीमारों को घर भेजने पर कर रही विचार)

पत्रिका के मुताबिक, लंदन स्थित इंपेरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने इस शोध को अंजाम दिया है। इससे पहले संस्थान ने असिद्ध आंकलन के तहत अनुमान लगाया था कि कोरोना वायरस की मृत्यु दर 3.67 प्रतिशत है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमानित मृत्यु दर के बराबर है। पत्रिका की रिपोर्ट में कहा गया है कि नई अनुमानित दर के तहत संक्रमण की तीव्रता का ध्यान रखा गया है। पिछली अनुमानित दर के आंकलन में इसका ध्यान नहीं रखा गया। इसका मतलब यह है कि पिछली मृत्यु दर केवल कुल मामलों और कुल मौतों में अंतर को प्रदर्शित करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुल मामलों से जुड़ी मृत्यु दर (या केस फटैलिटी रेशो) में उन सभी लोगों को शामिल किया गया है जिनमें वायरस होने का डर होता था।

क्या कहता है शोध?
पत्रिका के नए शोध के मुताबिक, कोरोना वायरस की तीव्रता मरीज की आयु पर निर्भर करती है और सभी मामलों की मृत्यु दर या ओवरऑल केस फटैलिटी रेशो 1.38 प्रतिशत हो सकती है। इन मामलों में 60 वर्ष की उम्र के मरीजों में मृत्यु दर 6.4 प्रतिशत पाई गई। वहीं, 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के मरीजों की मृत्यु दर 13.4 प्रतिशत पाई गई और 60 साल से कम उम्र के लोगों की मृत्यु दर केवल 0.32 प्रतिशत थी। अलग-अलग आंकलनों के आधार पर शोधकर्ताओं ने बतौर निष्कर्ष चीन में संक्रमण से होने वाली मौतों की दर 0.66 प्रतिशत पाई। हालांकि इन शुरुआती आंकलनों को लेकर उन्होंने जोर देकर कहा है कि मरीजों की मृत्यु उनकी आयु पर निर्भर करती है। 

(और पढ़ें - कोरोना वायरस: लॉकडाउन के बीच यहां ड्रोन की मदद से हो रही दवाओं की सप्लाई, लोगों की निगरानी में भी ली जा रही मदद)

मंगलवार को सामने आए इस शोध में बताया गया, 'चीन में लैबोरेटरी टेस्ट के बाद कन्फर्म किए गए और क्लीनिकली डायग्नॉस किए गए (70,117 मामलों के) आंकलन के बाद हमने अनुमानित मृत्यु दर 3.67 प्रतिशत बताई थी। हालांकि, जनसांख्यिकी और अनिश्चित मामलों के हिसाब से जांच करने के बाद हम चीन में केस फटैलिटी रेशो का बेहतर अनुमान 1.38 प्रतिशत लगा पाए हैं।'

शोध के तहत लगाए गए नए अनुमानों पर बोलते हुए शोधकर्ताओं ने कहा, 'कोविड-19 के मामलों की मृत्यु दर को लेकर हमारे नए आंकलन पहले से लगाए गए कुछ अन्य अनुमानों से कम हैं, हालांकि वे हाल के समय में सामने आई कुछ इन्फ्लुएंजा संबंधी महामारियों (जैसे 2009 की एच1एन1 महामारी) की मृत्यु दर से ज्यादा हैं। कोविड-19 भौगोलिक स्तर पर जिस तेजी से फैली है, उससे लगता है कि आने वाले हफ्तों और महीनों में वह पूरे विश्व के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है।' शोधकर्ता आगे कहते हैं, 'ऐसे में ये नए आंकलन काफी महत्वपूर्ण हैं जो विश्व के अन्य देशों की इस महामारी से लड़ने की तैयारी करने में मदद कर सकते हैं।'

(और पढ़ें - कोरोना वायरस के आगे लाचार यूरोप, अब तक 30,000 लोगों की मौत, अमेरिका में एक दिन में कोविड-19 से 1,000 मौतें)


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: 'लांसेट' पत्रिका के नए शोध में चीन में संक्रमण मृत्यु दर 0.67 प्रतिशत पाई गई, जानें इस बारे में क्या कहते हैं शोधकर्ता है

ऐप पर पढ़ें