कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। लेकिन इसकी पुष्टि आज तक नहीं हुई है कि आखिर इस बीमारी की वजह बना नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 सबसे पहले कहां अस्तित्व में आया। यह सवाल कई तरह के आरोपों को जन्म दे चुका है। मसलन, अमेरिका ने अपने सैनिकों के जरिये यह वायरस चीन भेजा या चीन ने लैब में इस वायरस को बनाया। वहीं, वैज्ञानिक शोध इन दोनों ही दावों को झुठलाते हैं। कुल मिलाकर अभी तक इसी बात पर सहमति है सार्स-सीओवी-2 सबसे पहले चीन के वुहान शहर की फिश मार्केट से फैलना शुरु हुआ था। लेकिन इस वायरस का जन्म कहां हुआ, यह गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी है।

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चीनी सरकार ने नए शोधों को हटवाया
इस बीच अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि चीन ने अपने यहां ऑनलाइन प्रकाशित हुए दो नए शोधों के कुछ दस्तावेजों को हटवा दिया है। ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अखबार 'द गार्डियन' की रिपोर्ट के मुताबिक, इन दस्तावेजों में नए कोरोना वायरस के अस्तित्व को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई थी, लेकिन ऐसा लगता है कि चीनी सरकार ने सार्स-सीओवी-2 से संबंधित इस तरह के शोधों या दस्तावेजों के प्रकाशन पर अधिक संवेदनशील नीति (प्रतिबंध) अपना ली है। खबर के मुताबिक, चीन की दो बड़ी यूनिवर्सिटी, 'चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ जियोसाइंस' और 'फूडान यूनिवर्सिटी' ने अपनी-अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इन रिसर्च का ऑनलाइन प्रकाशन किया था। अखबार की मानें तो इस बाबत इन दोनों यूनिवर्सिटी को चीनी अधिकारियों द्वारा नोटिस जारी किया गया है।

'द गार्डियन' ने लंदन स्थित एसओएएस चाइना इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर स्टीव त्सांग के हवाले से लिखा है कि वायरस के फैलने के बाद से ही चीनी सरकार का ध्यान बजाय इसके कि कोविड-19 को फैलने से कैसे रोका जाए, इस बात पर ज्यादा रहा है कि इस नए वायरस की उत्पति से जुड़े नैरेटिव को कैसे बदला जाए। त्सांग ने कहा, ‘शोध से जुड़े दस्तावेज प्रामाणिक हैं तो (इनको हटवाने का मतलब है कि) जरूर चीनी सरकार सार्स-सीओवी-2 के अस्तित्व को लेकर चिंतित है और उससे जुड़े तथ्यों पर नियंत्रण करना चाहती है।’

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वहीं, वुहान यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले रेनमिन हॉस्पिटल के एक दस्तावेज के आधार पर अखबार ने एक और जानकारी दी है। उसने बताया है कि चीन के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय ने कोविड-19 के अस्तित्व से जुड़े शोध करने के लिए अप्रूवल लेने की शर्त रखी है। इसके अलावा एक नोटिस के आधार पर अखबार ने बताया कि चीन ने कोरोना वायरस से जुड़े किसी शोध के प्रकाशन के लिए यह निर्देश दिए हैं कि शोध को सबमिट कराने से पहले उसके दस्तावेजों को एक विशेष कार्यालय को दिखाना होगा। वहां से स्वीकृति प्राप्त होने के बाद ही शोध को प्रकाशन के लिए आगे भेजा जा सकता है। अखबार ने जिस सूत्र के जरिये वेबसाइट से हटाए गए दस्तावेज प्राप्त किए, उसी के हवाले से जानकारी दी कि ऐसा लगता है कि चीनी अधिकारियों ने स्वतंत्र वैज्ञानिक शोध की प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है। अखबार की माने तो उसने इस बारे में चीन की सरकार से सवाल किए थे, जिनके जवाब अब तक नहीं मिले हैं।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 संकट: चीन के अधिकारियों की इस कार्रवाई से नए कोरोना वायरस के अस्तित्व को लेकर फिर छिड़ सकती है बहस है

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