नए कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लागू लॉकडाउन के आगामी तीन मई को खत्म होने की बहस के बीच सरकार नई तैयारियों में जुटी हुई है। एक तरफ उसे उम्मीद है कि मई महीने में कोविड-19 बीमारी के मरीजों की संख्या के दोगुना होने की रफ्तार (डबलिंग टाइम) में कमी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप नए केस बढ़ने में ज्यादा दिनों का समय लगेगा, तो दूसरी तरफ उसे यह आशंका भी है कि लॉकडाउन खुलने के बाद मामले फिर तेजी से बढ़ सकते हैं।
सोमवार को कोविड-19 को लेकर अपनी दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया था कि इस समय देश में कोरोना वायरस के मरीजों के दोगुना होने की रफ्तार 7.5 दिन है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यह दर 12 दिन हो सकती। लेकिन सरकारी सूत्रों के हवाले से आई मीडिया रिपोर्टों मुताबिक, लॉकडाउन में ढील देने के बाद कोरोना वायरस के मामलों में फिर से तेजी आ सकती है। बताया गया है कि ऐसा मई महीने के अंत या जून महीने की शुरूआत में हो सकता है। इसी के मद्देनजर सरकार तैयारी में जुटी है।
इससे पहले सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने नियमित रूप से कोविड-19 से जुड़े आंकड़े पेश किए। उसने बताया कि देश में कोरोना संक्रमण से जुड़े मामलों के डबल होने की रफ्तार में कमी आई है जो कि थोड़ी राहत की बात है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन से पहले कोरोना संक्रमित लोगों का आंकड़ा हर 3.4 दिन में दोगुना हो रहा था, जो अब 7.5 दिन में डबल हो रहा है। सरकार को उम्मीद है कि इस सप्ताह के अंत तक यह बढ़ कर 10 दिन और मई के पहले सप्ताह तक 12 दिन हो जाएगा।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस स्थिति को देखते हुए सरकार का इरादा है कि लॉकडाउन को एक बार में पूरी तरह से ना हटाया जाए, क्योंकि ऐसा करने पर हालात और बिगड़ सकते हैं। चूंकि लोगों में कोरोना वायरस को लेकर जागरूकता बढ़ी है और सोशल डिस्टेंसिंग के कुछ हद तक पालन के साथ मास्क का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, लिहाजा ऐसी स्थिति में सरकार बिल्कुल नहीं चाहती कि लॉकडाउन के बाद संक्रमित मामलों के दोगुना होने की रफ्तार पांच दिन से नीचे आए। इसी के मद्देनजर बड़ी मात्रा में टेस्टिंग किट मंगाई जा रही हैं और मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को दुरुस्त किया जा रहा है।
सरकार के बड़े अधिकारी ने एक अखबार से बातचीत में कहा कि सरकार को लॉकडाउन के बाद डबलिंग टाइम पांच दिन तक जाने की आशंका है, लेकिन उसे उम्मीद है कि यह पहले की तरह 3.4 दिन तक नहीं जाएगा। तब तक लॉकडाउन और इसमें राहत का सिलसिला अलग-अलग प्रकार से चलता रहेगा, कम से कम सितंबर महीने तक। रिपोर्टों की मानें तो इस दौरान सरकार शहरों और कस्बों में सामने आने वाले मामलों पर ध्यान केंद्रित करेगी, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में वहां कोविड-19 के नियंत्रण संबंधी प्रबंधन कम चुनौतीपूर्ण होंगे।