अमेरिका की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) एक बार फिर चर्चा में है। खबर है कि उसने कोरोना वायरस के हवा में फैलने यानी एयरोसोल ट्रांसमिशन से जुड़ी संभावनाओं को लेकर जारी की ताजा अपडेट को चुपचाप अपनी आधिकारिक वेबसाइट से हटा लिया है। प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते सप्ताहांत सीडीसी ने अपनी वेबसाइट पर जारी की नई अपडेट में यह माना था कि नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 एयरोसोल पार्टिकल्स के जरिये हवा में देर तक कायम रह सकता है और छह फीट से ज्यादा दूरी तक जा सकता है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता है। लेकिन इस हफ्ते की शुरुआत में ही यानी सोमवार को सीडीसी ने यह जानकारी गुपचुप तरीके से हटा ली। इसके बाद शीर्ष अमेरिकी हेल्थ एजेंसी एक बार फिर स्थानीय मीडिया के निशाने पर आ गई है।

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एनवाईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, एयरोसोल ट्रांसमिशन से जुड़े विशेषज्ञों ने रविवार को देखा कि सीडीसी ने अपनी वेबसाइट पर वायरस के फैलने से जुड़े विवरण में बदलाव किया था। इसमें नई जानकारी के साथ लिखा था कि वायरस मुख्य रूप से हवा के जरिये कैसे फैलता है। खबरों की मानें तो इस विवरण में सीडीसी ने कहा था, 'किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने, गाने, बात करने या सांस लेते समय वायरस मुंह से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स या छोटे कणों के जरिये हवा में फैलता है। ये कण सांस के जरिये (शरीर के) अंदर जा सकते हैं और संक्रमण पैदा कर सकते हैं। यह वायरस के फैलने का प्रमुख माध्यम बताया जाता है।'

हालांकि, सोमवार को सीडीसी ने इस विवरण में बदलाव कर दिया। इसके बाद जो जानकारी दी गई, वह कुछ इस प्रकार है, 'एजेंसी की आधिकारिक वेबसाइट पर गलती से जानकारी डाल दी गई थी। अंतिम विवरण पूरी तरह तैयार होने के बाद अपडेट किया जाएगा।' उधर, अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी ने एनवाईटी को बताया है कि सीडीसी की वेबसाइट पर डाली गई जानकारी 'जल्दबाजी' में किया गया काम था, जिसे अभी भी रिवाइज किया जा रहा है।

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गौरतलब है कि जुलाई महीने में दुनियाभर के 200 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को पत्र लिखकर कहा था कि वह इस बात को स्वीकार करे कि नया कोरोना वायरस हवा के जरिये फैलता है। इस पर डब्ल्यूएचओ ने माना था कि वायरस का एयरोसोल ट्रांसमिशन एक संभावना हो सकती है, जिससे इसका संक्रमण तेजी से लोगों में फैल रहा है। लेकिन ऐसे कई हेल्थ एक्सपर्ट हैं, जिन्होंने इस संभावना को खारिज किया है या इस पर संदेह जताया है।

बहरहाल, तमाम बहस के बीच सीडीसी अपनी गाइडलाइंस को लेकर विवादों में रही है। बीते अगस्त महीने में उसने नई गाइडलाइंस के तहत कहा था कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले असिम्प्टोमैटिक लोगों का कोरोना टेस्ट करने की जरूरत नहीं है। इस पर जब न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट दी कि सीडीसी का यह फैसला वैज्ञानिक नहीं, बल्कि राजनीतिक कारणों से प्रेरित था तो शीर्ष अमेरिकी हेल्थ एजेंसी ने अपने विवरण में बदलाव कर दिया। अब उसका कहना था कि संक्रमित लोगों के संपर्क में आए सभी लोगों के टेस्ट किए जाने चाहिए। वहीं, अब एयरोसोल ट्रांसमिशन को लेकर भी सीडीसी ने अपना स्टैंड चुपचाप बदल लिया है, जिसके बाद एजेंसी एक बार फिर बहस का विषय बन गई है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: सीडीसी ने कोरोना वायरस के एयरोसोल ट्रांसमिशन को स्वीकार करने वाली गाइडलाइन चुपचाप वापस ली- मीडिया रिपोर्ट्स है

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