अपडेटेड 14 सितंबर 2020
नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 की वजह से होने वाली वैश्विक महामारी कोविड-19 ने अब तक दुनियाभर में 2 करोड़ 90 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया है और करीब 9 लाख 30 हजार लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। भारत में भी कोविड-19 बीमारी बेहद तेजी से फैल रही है और रोजाना करीब 90 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। भारत में संक्रमित मरीजों की संख्या 48 लाख के पार हो चुकी है और मृतकों की संख्या करीब 80 हजार के आसपास।
भारत में तेजी से पैर पसार रहे कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने के मकसद से ही 25 मार्च 2020 को, देशभर में 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी जिसे बा में 1 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया था। इसके बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था को फिर से धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा है। भले ही अब अर्थव्यवस्था और सामाजिक गतिविधियां खुल रही हैं, लेकिन देश अब भी कोविड-19 की गिरफ्त में है, और हर दिन नए संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनमें से बहुत से मामले एसिम्प्टोमैटिक (अलक्षणी), प्री-सिम्प्टोमैटिक (पूर्व-लक्षणी) या केवल हल्के लक्षणों वाले हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO और भारतीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड-19 से संक्रमित होने वाले लाखों लोगों में बीमारी के हल्के या प्री-सिम्प्टोमैटिक (पूर्व-लक्षणी) मामले ही देखने को मिलते हैं, ऐसे में देशभर के कई घरों में इस तरह के लोगों के इलाज के लिए होमबेस्ड केयर की जरूरत होगी।
(और पढ़ें- कोविड-19 से उबरने के बाद क्या सामान्य हो जाता है मरीज का जीवन, जानें)
MoHFW के दिशा निर्देशों के अनुसार, कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने वाले वैसे मरीज जिन्हें "चिकित्सीय अधिकारी द्वारा इलाज के लिहाज से बेहद हल्का या प्री-सिम्प्टोमैटिक केस माना जाता है" उनकी देखभाल घर पर ही की जा सकती है। कोविड-19 वैसे संदिग्ध जो अपने टेस्ट रिजल्ट का इंतजार कर रहे हों, उन्हें आदर्श रूप से अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्ड में क्वारंटीन करना चाहिए न कि घर पर क्योंकि घर पर उनके द्वारा परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमित कर जोखिम में डालने का खतरा हो सकता है।
इसके अलावा, कोविड-19 के कंफर्म्ड मरीजों के संपर्क में आने वाले करीबी लोग, यहां तक कि जो केवल एक या दो बार ही पुष्टि हो चुके मरीज के संपर्क में आए हैं, उन्हें घर पर ही आइसोलेट रहकर WHO, MoHFW और सीडीसी द्वारा अनुशंसित दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। यह याद रखना बेहद जरूरी है कि कोविड-19 के कई लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम, इन्फ्लूएंजा और अन्य मौसमी बीमारियों और संक्रमणों से मिलते जुलते हैं। ऐसे में सिर्फ कोविड-19 ही नहीं बल्कि इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भी अपनी देखभाल और रिकवरी के लिए जरूरी दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए।
10 मई 2020 को, MoHFW ने माइल्ड और एसिम्प्टोमैटिक कोविड-19 मरीजों के होम-बेस्ड देखभाल के लिए अपने दिशा निर्देशों में कुछ संशोधन किया था: इस तरह के मरीज अब बिना किसी परीक्षण के 17 दिनों के बाद होम आइसोलेशन से बाहर आ सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें 10 दिन तक लगातार कोई बुखार न आया हो। इन 17 दिनों को या तो उस दिन से गिना जाता है जब पहले दिन मरीज में लक्षण दिखाई दिए हों या फिर उस तारीख से जब मरीज का कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया हो।