कर्नाटक में करीब दो करोड़ लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की बात सामने आई है। खबर के मुताबिक, कर्नाटक सरकार ने 16 सिंतबर तक राज्य में कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन को लेकर एक सेरोलॉजिकल सर्वेक्षण कराया था। समाचार एजेसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री और डॉक्टर के सुधार ने बताया कि राज्य सरकार ने तीन सितंबर से 16 सितंबर के बीच यह सेरो सर्वे कराया था, जिसके परिणाम अब सामने आए हैं। इनके मुताबिक, कर्नाटक में कम से कम 1.93 करोड़ लोग यानी राज्य की 27.3 प्रतिशत आबादी या तो नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित है या पहले इसके संक्रमण की चपेट में आ चुकी है।

के सुधाकर के मुताबिक, कर्नाटक सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि राज्य में कोविड-19 के मामले किस रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं। एजेंसी के मुताबिक उनका कहना है, 'सरकार को यह जानकारी साफ तौर पर पता होनी चाहिए कि जिलों में यह (वायरस) कम्युनिटी के लेवल पर किस तरह फैल रहा है, इस फैलाव को कैसे रोका जाए और (क्या) जरूरी कदम उठाए जाएं। इसी कारण यह सर्वे किया गया था।'

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स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सर्वे में सरकार ने 16 हजार 585 लोगों को शामिल किया था। इनमें से 15 हजार 624 की टेस्ट रिपोर्टें सबमिट कराई गई थीं। सर्वे में प्रतिभागियों के रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर टेस्ट के अलावा आईजीजी (इम्यूनोग्लोबुलिन जी) टेस्ट भी कराए गए थे। जांच में 27 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के वर्तमान में या उससे पहले कोरोना वायरस से संक्रमित होने के अलावा उनमें कोविड-19 की मृत्यु दर के 0.05 प्रतिशत होने का भी पता चला है। परिणामों पर बात करते हुए सुधाकर ने कहा, '(सर्वे से जुड़े) अध्ययन में पाया गया है कि 16 सितंबर 2020 तक कर्नाटक की 7.07 करोड़ की आबादी में से 1.93 करोड़ (कुल जनसंख्या का 27.3 प्रतिशत) लोग या तो संक्रमित हैं या पहले संक्रमण की चपेट में रहे हैं।' 

संक्रमण के हिसाब से मृत्यु दर (इन्फेक्शन फटैलिटी रेट) को लेकर कहा गया है कि इसका आंकलन सही नहीं हुआ है। वहीं, सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आईजीजी सेरोप्रेवलेंस 16.4 प्रतिशत पता चली है। इसका मतलब है कि कर्नाटक की 16.4 प्रतिशत आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित होकर एंटीबॉडी विकसित कर चुकी है। रिपोर्ट कहती है कि जिन जिलों में इन्फेक्शन फटैलिटी रेट ज्यादा है, वहां क्लिनिकल केयर को और बेहतर करनी की जरूरत है।

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रिपोर्ट यह भी कहती है कि कर्नाटक में कोविड-19 महामारी अलग-अलग चरणों में देखने को मिल रही है, लिहाजा जिन जिलों में बीमारी का प्रभाव सबसे कम रहा है, वहां मामले बढ़ने का खतरा अभी भी बना हुआ है। इनमें धारवाड़, बागलकोट, महादेवपुर आदि जिले शामिल हैं। ऐसे में जिला स्तर पर निगरानी के तहत सेरो सर्विलेंस करने का सुझाव दिया गया है ताकि संक्रमण फैलने के दीर्घकालिक ट्रेंड को व्यवस्थित तरीके से मॉनिटर किया जा सके। उधर, राज्य सरकार ने कहा है कि वायरस की रोकथाम से जुड़ी रणनीतियों के प्रभाव को जानने और ट्रांसमिशन की गति और सीमा के आंकलन के लिए एक और फॉलो-अप सर्वे की योजना बना ली गई है।

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सेरो सर्वे क्या है?
किसी रोगाणु या एंटीजन के खिलाफ मानव शरीर का इम्यून सिस्टम जब काम करना शुरू करता है तो इससे संबंधित रोगाणु के संक्रमण को खत्म करने वाले एंटीबॉडीज का निर्माण होता है। ये एंटीबॉडीज या रोग प्रतिरोधक स्वयं को रोगाणुओं से अटैच कर उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं। सेरोलॉजिकल टेस्ट शरीर में इन्हीं एंटीबॉडी की मौजूदगी की पुष्टि के लिए किया जाने वाला परीक्षण है। यह टेस्टिंग जब बड़े पैमाने पर अंजाम की जाती है, यानी जब किसी अभियान के तहत सैकड़ों-हजारों लोगों के ब्लड टेस्ट लेकर उनमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ पैदा हुए एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है तो उसे सेरोलॉजिकल या सेरो सर्वे कहते हैं। ये सर्वे एंटीबॉडी के अलावा एंटीजन की पहचान करने के लिए भी किए जाते हैं।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कर्नाटक में करीब दो करोड़ लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का अनुमान- सेरो सर्वे है

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