नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाने का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस समय कई दवाएं ट्रायल से गुजर रही हैं। इस सिलसिले में एक और दवा सामने आई है। दावा है कि इस दवा से 48 घंटों में कोरोना वायरस को खत्म किया गया है। खबर के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने एंटी-पैरासाइट ड्रग 'आइवरमेक्टिन' से कोविड-19 के संक्रमण को खत्म करने का दावा किया है।
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आइवरमेक्टिन पहले से दुनियाभर के देशों में उपलब्ध है। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका ‘एंटीवायरल रिसर्च’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस दवा पर अध्ययन किया है। इसमें उन्होंने पाया कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण को फैलने से रोकने की क्षमता रखती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ने ‘पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्शन एंड इम्यूनिटी’ के साथ मिल कर दवा के प्रभाव को जानने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने पाया कि आइवरमेक्टिन ने कोशिकाओं में मौजूद कोविड-19 के वायरल आरएनए को 24 घंटे बाद 93 प्रतिशत तक कम कर दिया। वहीं, 48 घंटों के बाद संक्रमण 99.8 प्रतिशत तक खत्म हो गया। बता दें कि आरएनए वायरस उन वायरस को कहा जाता है जिनके जेनेटिक मैटीरियल में रीबो न्यूक्लिक एसिड (आरएनए) होता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना वायरस के रीबो न्यूक्लीक एसिड में 5,000 गुणा तक की कमी आई। इस आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा कि यह दवा संभावित रूप से कोविड-19 के इलाज में कारगर साबित हो सकती है।
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इस शोध में शामिल मोनाश बायोमेडिसिन डिस्कवरी इंस्टीट्यूट के डॉ. काइली वागस्टाफ का कहना है, ‘हमने पाया कि इस दवा की एक खुराक 48 घंटों तक सभी वायरल आरएनए को नष्ट सकती है। आइवरमेक्टिन बहुत ही व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है और इसे एक सुरक्षित दवा के रूप में देखा जाता है। हालांकि हमें अब यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या इसे इंसानों में इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं।’
यहां बताते चलें कि इस शोध में किए गए परीक्षण 'इन-विट्रो' के तहत किए गए थे। इसका मतलब है कि ये परीक्षण किसी इन्सान या अन्य जीव पर नहीं, बल्कि लैब में मौजूद उपकरणों (जैसे ट्यूब, कल्चर डिश) की मदद से किए गए। इस प्रकार के परीक्षणों में आइवरमेक्टिन ने कई बीमारियों से जुड़े वायरसों के खिलाफ प्रभाव डाला है। मसलन, इन्फ्लूएंजा वायरस, जीका वायरस और ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के खिलाफ इन-विट्रो परीक्षणों में अच्छे नतीजे सामने आए हैं। यह देखने वाली बात होगी कि इन्सानों पर प्रयोग किए जाने पर यह दवा कोरोना वायरस पर कैसा असर दिखाती है।
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नोट: इस रिपोर्ट के जरिये हम केवल कोविड-19 के इलाज से जुड़े प्रयासों की जानकारी आप तक पहुंचा रहे हैं। आइवरमेक्टिन या इस बीमारी के इलाज के लिए आजमाई जा रही किसी भी दवा के इस्तेमाल की सलाह यहां नहीं दी जाती। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करें।