कोविड-19 के सफल इलाज के लिए कई देशों के वैज्ञानिक जुटे हैं। अलग-अलग प्रयोगों के जरिये वैक्सीन बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। इस मुहिम से जुड़े एक और अध्ययन में दावा किया गया है कि दक्षिण अमेरिका में पाई जाने वाली ऊंट की प्रजाति कैमीलिड में कोरोना वायरस के संक्रमण की काट मिल सकती है। कैमीलिड प्रजाति के इस ऊंट को 'लामा' कहते हैं। खबरों के मुताबिक, बेल्जियम के शोधकर्ताओं ने कहा है कि लामा के शरीर के कुछ विशेष प्रकार के एंटी-बॉडी यानी रोग-प्रतिकारक कोरोना वायरस को बेअसर कर सकते हैं। टेक्सास यूनिवर्सिटी और बेल्जियम के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के सहयोग से किए गए इस शोध के आधार पर लामा के खून से कोविड-19 की वैक्सीन तैयार करने की बात कही जा रही है।
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लामा में दो प्रकार के एंटीबॉडी
इस अध्ययन से संबंधित रिपोर्टों के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने पाया है कि लामा के खून में एक विशेष प्रकार का एंटीबॉडी होता है, जो कोविड-19 के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है। शोध के तहत जब वैज्ञानिकों ने लामा की प्रतिरक्षा प्रणाली की जांच की तो उन्होंने पाया इन जानवरों में दो तरह के एंटीबॉडीज होते हैं। एक इन्सानों में पाए जाने वाले एंटीबॉडी की तरह होते हैं और दूसरे आकार में इसके लगभग एक-चौथाई होते हैं। इन छोटे एंटीबॉडीज को सिंगल-डोमेन एंटीबॉडी या नैनोबॉडी कहा जाता है। शोधकर्ताओं की मानें तो इन्हें नेबुलाइज कर इनहेलर की मदद से उपयोग किया जा सकता है।
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अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने लामा के खून से मिले अलग-अलग एंटीबॉडी को इकट्ठा किया और उन्हें नए कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर आजमाया। इस प्रयोग में उन्होंने पाया कि लामा के इन एंटीबॉडीज ने स्पाइक प्रोटीन को बांधकर सार्स-सीओवी-1 के संक्रमण को फैलने से रोक दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, वायरस को रोकने के लिए जिस एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया गया था, उसे वीएचएच-72 कहा जाता है। यह जीवाणु को बढ़ने से भी रोकता है और व्यक्ति को बीमार भी नहीं होने देता। इसके आधार पर ही शोधकर्ताओं ने कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लामा के एंटीबॉडी के इस्तेमाल पर विचार किया है।