जर्मनी की गोथे यूनिवर्सिटी फ्रैंकफर्ट एम मेन के इंस्टीट्यूट फॉर एटमॉस्फेरिक एंड एनवायरन्मेंटल साइंसेज के वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में एयर प्यूरीफायर को हवा में नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 की मात्रा कम करने में सक्षम पाया है। इन शोधकर्ताओं ने प्रयोग के तहत स्कूल की कक्षा में मोबाइल एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल कर वायरस के एयरबोर्न ट्रांसमिशन को कम करने की उनकी इस क्षमता का पता किया है। हालांकि यह अध्ययन और इसके परिणाम अभी तक किसी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नहीं हुए हैं। इनकी समीक्षा होना बाकी है। फिलहाल इन्हें मेडिकल शोधपत्र ऑनलाइन मुहैया कराने वाले प्लेटफॉर्म मेडआरकाइव पर पढ़ा जा सकता है।

खबर के मुताबिक, अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उच्च कार्यक्षमता वाले चार एयर प्यूरीफायर एक हाई स्कूल क्लासरूम में इन्सटॉल किए। इन मशीनों में हाई एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर (एचईपीए) फिल्टर लगे हुए थे। क्लास के चलने के दौरान वैज्ञानिकों ने कई जरूरी मानकों पर गौर किया। इनमें वायरस के कणों का एयरसोल कन्संट्रेशन, कणों की संख्या, उनका वितरण आकार (10 नैनोमीटर से 10 माइक्रोमीटर) और कक्षा में कार्बन डाइऑक्साइड की सघनता की जांच अथवा निगरानी आदि शामिल थे। तुलना के लिए एक दूसरी क्लास में इन्हीं पैरामीटर्स की निगरानी की गई थी, लेकिन उनमें एयर प्यूरीफायर नहीं लगाए गए थे।

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अध्ययन के दौरान किए गए प्रयोगों से पता चला है कि क्लासरूम के सामान्य रूप से चलने के दौरान एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद कणों की सघनता को कितना कम कर सकते हैं। उन्होंने जाना कि 186 क्यूबिक मीटर वॉल्यूम वाली क्लास, जिसका दरवाजा और खिड़कियां बंद थे, में एयर प्यूरीफायर्स को 1,027 क्यूबिक मीटर प्रति घंटा (एम3/एच) वॉल्यूम पर चलाने से 30 मिनट के अंदर एयरसोल कन्संट्रेशन 90 प्रतिशत तक कम हो गया था। पूरे रूम में वायु कणों में आई यह कमी एक समान थी। यह मापन एक सामान्य गणना पर आधारित था कि जिसके तहत प्यूरीफायर और बिना प्यूरीफायर वाले बंद कमरे में किसी संक्रमित व्यक्ति के बोलते समय वायरस युक्त एयरोसोल जनरेट होने के अधिकतम स्तर का मूल्यांकन किया गया था।

परिणामों के सामने आने के बाद अध्ययनकर्ताओं ने कहा है, 'सार्स-सीओवी-2 का एयरोसोल ट्रांसमिशन का खतरा कम करने के लिहाज से अतिरिक्त सावधानी के रूप में एयर प्यूरीफायर्स काफी महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर ऐसी जगहों के लिए जहां फिक्स वेंटिलेशन सिस्टम नहीं है और खिड़कियां भी नहीं खोली जा सकतीं।' निष्कर्ष के रूप में कहा गया है कि कोरोना वायरस के हवाई ट्रांसमिशन को कम करने में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल एक बहुत महत्वपूर्ण एहतियाती कदम साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने क्लासरूम में प्रयोग के तहत प्यूरीफायर्स का इस्तेमाल किया था, जिनके परिणामों को सैद्धांतिक रूप से बंद कमरों वाली अन्य जगहों पर भी लागू किया जा सकता है, मसलन मीटिंग रूम, रेस्तरां, बार, ऑफिस, वेटिंग रूम व अन्य।

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नोट: जैसा कि ऊपर बताया गया है कि यह अध्ययन और इसके परिणाम अभी तक किसी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नहीं हुए हैं और इनकी समीक्षा होना बाकी है, लिहाजा हम इस अध्ययन के परिणामों को विरोध और समर्थन दोनों ही नहीं करते हैं। हमारा उद्देश्य केवल इन परिणामों की जानकारी पाठकों तक पहुंचाना है। वे इन पर विश्वास करने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल करे। इसके लिए हम उत्तरदायी नहीं हैं। अध्ययन से जुड़ा शोधपत्र पढ़ने के लिए आप मेडआरकाइव पर जा सकते हैं।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कोरोना वायरस के एयरोसोल ट्रांसमिशन को कम करने में कारगर हो सकते हैं एयर प्यूरीफायर- वैज्ञानिक है

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