इंग्लैंड और रूस के अलावा अमेरिका और कनाडा में भी हेल्थ केयर वर्कर्स समेत कई लोगों को कोविड-19 वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है और जल्द ही दुनियाभर के कई और देशों में टीकाकरण प्रोग्राम शुरू होने वाला है। भारत में भी यही उम्मीद जगायी जा रही कि जनवरी 2021 तक कोविड-19 वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हो गया है। इस बीच दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी एम्स के डायरेक्टटर प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया ने उम्मीद जगायी है कि अगले 6 महीने में पर्याप्त लोगों को वैक्सीन लग जाएगी जिससे कोविड-19 ट्रांसमिशन की चेन को तोड़ने में मदद मिल सकेगी। 

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नैचरल इम्यूनिटी और टीकाकरण से टूटेगा ट्रांसमिशन चेन
एक मीडिया हाउस से बात करते हुए प्रोफेसर गुलेरिया ने कहा, "मुझे पूरा भरोसा है कि अगले 6 महीनों में 2 सबसे अहम चीजें होंगी- पहला ये कि पर्याप्त संख्या में जिन लोगों को कोविड-19 इंफेक्शन हुआ है वे उससे पूरी तरह से रिकवर हो जाएंगे जिससे उनके शरीर में कुछ मात्रा में इम्यूनिटी होगी और दूसरा ये कि पर्याप्त संख्या में लोगों को वैक्सीन लग जाएगी। ये दोनों ही चीजें मिलकर कोरोना वायरस के फैलने की चेन को तोड़ने में मदद करेंगी।"  

हाई रिस्क वालों को वैक्सीन लगाने से मृत्यु दर होगी कम
कोविड-19 से जुड़ा एक और अहम लक्ष्य है मृत्यु दर को कम करना और यह लक्ष्य अपने आप ही तब हासिल हो पाएगा जब वे लोग जिन्हें कोविड-19 संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है (हाई रिस्क ग्रुप) उन्हें वैक्सीन लग जाएगी। 

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वैक्सीन की डोज उपलब्धता को भी देखना होगा
प्रोफेसर गुलेरिया ने आगे कहा, "हम इस संक्रमण में सबसे आगे खड़े फ्रंटलाइन वर्कर्स, हेल्थकेयर वर्कर्स, जिन लोगों को कोरोना संक्रमण होने का खतरा अधिक है और वैसे लोग जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है और जिन्हें पहले से कोई बीमारी है उन्हें सबसे पहले वैक्सीन लगा रहे हैं। इस प्रक्रिया में ही कम से कम 4 से 6 महीने का वक्त लग जाएगा। साथ ही यहां ये देखना भी अहम होगा कि वैक्सीन की कितनी डोज उपलब्ध हो पाती है और कितनी जल्दी हम आम आबादी का भी टीकाकरण कर सकते हैं।"

डॉ गुलेरिया ने आगे कहा, "अभी 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जानी है और इसके लिए हमें 60 करोड़ वैक्सीन डोज की जरूरत होगी क्योंकि हर एक व्यक्ति को वैक्सीन की 2 डोज देनी है और इतनी ही सिरिंज और सुई की भी जरूरत होगी और इन सारी चीजों का इंतजाम 6 महीने की समय सीमा में करना है।" 

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भारत में बन रही वैक्सीन की गुलेरिया ने की थी तारीफ
इससे पहले भारत में बन रही कोविड-19 वैक्सीन की तारीफ करते हुए एम्स चीफ रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन की तुलना में भारत में बन रही कोविड-19 वैक्सीन बेहतर है क्योंकि फाइजर की वैक्सीन को स्टोर करके रखने के लिए बेहद कम तापमान की जरूरत है तो वहीं भारत में बन रही वैक्सीन मौजूदा कोल्ड स्टोरेज में रखकर ही आसानी से इस्तेमाल की जा सकती है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 के ट्रांसमिशन चेन को तोड़ने में लगेगा 6 महीने का समय, एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने दी जानकारी है

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