कोविड-19 के इलाज में अभी एक प्रभावी वैक्सीन या दवा आने में कितना वक्त लगेगा ये कहना कठिन है। लेकिन तब तक डॉक्टर संभावित दवाओं के जरिए कोरोना के मरीजों का इलाज करने में लगे हैं। इस लिस्ट में कई विकल्प (दवा) मौजूद हैं। इसमें एक है आइवरमेक्टिन। एक नई रिसर्च के जरिए शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि एंटी-पैरासिटिक ड्रग आइवरमेक्टिन कोविड-19 संक्रमण को काफी हद तक फैलने से रोक सकती है। यह रिसर्च एम्स भुवनेश्वर के शोधकर्ताओं ने की है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आती तब तक सरकार और अधिकारी कम लागत वाली इस दवा को वायरस की रोकथाम के विकल्प के तौर पर देख सकते हैं।
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ऑफ-लेबल उपचार के रूप में दवा का इस्तेमाल
एम्स भुवनेश्वर की निदेशक और अध्ययन की शोधकर्ता गीतांजलि बैटमैनबेन का कहना है कि कुछ राज्यों में कोविड-19 के लिए आइवरमेक्टिन दवा का ऑफ-लेबल उपचार के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और इस दौरान संक्रमण की रोकथाम को लेकर दवा के सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं। अध्ययन के बारे में बात करते हुए बैटमैनबेन कहती हैं "सितंबर के शुरुआत में 20 से 25 एम्स कर्मचारी हर दिन कोविड-19 संक्रमण से पॉजिटिव आ रहे थे। उस दौरान एम्स की ओर से 72 घंटे के अंतराल में हेल्थकेयर वर्कर्स को आइवरमेक्टिन दवा दी गई जिसके बाद उनमें तेजी के साथ संक्रमण का असर कम हो गया।"
बैटमैनबेन के मुताबिक रिसर्च से पता चला कि जिन लोगों को आइवरमेक्टिन दवा की दो खुराक दी गई थी, उनमें अगले एक महीने तक कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका 73 प्रतिशत कम हो गई। वो उम्मीद जताती हैं कि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह दवा एक प्रभावी उपकरण साबित हो सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और सुरक्षा कर्मचारियों समेत एम्स के लगभग 2,600 स्वास्थ्य कर्मचारियों को यह दवा दी गई। हालांकि, 1,600 अन्य लोगों ने इसे अपनी इच्छानुसार लेने से इनकार कर दिया। यहां अहम बात यह है कि इस दवा की खुराक को शारीरिक वजन के हिसाब से दिया गया था। मतलब प्रति किलोग्राम वजन पर दवा की 0.3 मिलीग्राम खुराक ही दी गई।
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संक्रमण की रोकथाम में दवा की अहम भूमिका - शोधकर्ता
एम्स में सामुदायिक चिकित्सा के अतिरिक्त प्रोफेसर बिनोद पात्रो कहते हैं “इस तथ्य को देखते हुए कि आइवरमेक्टिन दवा कम लागत में उपलब्ध है और अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों में वायरस को फैलने से रोकने के लिए एक शक्तिशाली हथियार साबित हो सकती है। अगर संक्रमण की दूसरी लहर से पहले इस दवा का उपयोग किया जाता है, तो संक्रमण से जुड़े नए मामलों को कम किया जा सकता है।" आइवरमेक्टिन के 3 मिलीग्राम, 6 मिलीग्राम और 12 मिलीग्राम दवा की कीमत प्रति खुराक 16 से 24 रुपये हो सकती है। इस तरह ये अध्ययन भारत में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकता है। हालांकि, रिसर्च अभी समीक्षा का हिस्सा है और इसे ऑनलाइन मेडरक्सिव (medrxiv) में प्रकाशित किया गया है।
विशेषज्ञों ने निष्कर्षों को लेकर खासी उम्मीद जताई है। कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा के प्रोफेसर जयंत पांडा का कहना है "फिलहाल ओडिशा में आइवरमेक्टिन का उपयोग हल्के लक्षण वाले मरीजों पर किया जा रहा है। अगर यह दवा संक्रमण की रोकथाम में कारगर साबित होती है तो यह अच्छी खबर होनी चाहिए।"