कोरोना वायरस की रोकथाम और उससे बचाव को लेकर हर तरह के उपायों को आजमाया जा रहा है। इसमें अन्य बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन और दवाएं शामिल हैं। वहीं विज्ञान से अलग आयुर्वेद में मौजूद उपायों को भी कोविड-19 के इलाज में कारगर बताया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आयुवर्देिक दवाएं कोरोना के इलाज में प्रभावी साबित हो सकती है। इसमें एंटीबायोटिक दवा फीफाट्रोल और आयुष क्वाथ जैसे विकल्प हैं, जिन्हें भारत के आयुष मंत्रालय द्वारा इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। एक ताजा रिसर्च के तहत शोधकर्ताओं ने इन दवाओं के प्रभाव के बारे में बड़ा दावा किया गया है। आयुष मंत्रालय के अधीन दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के डॉक्टरों की एक टीम ने पाया है कि कोविड-19 संक्रमण के हल्के से लेकर मध्यम मामलों में आयुष क्वाथ और फीफाट्रोल जैसी आयुर्वेदिक दवाएं प्रभावी हो सकती हैं। ये बहुत कम समय में तेजी के साथ संक्रमण के लक्षणों को खत्म करने का काम करती हैं।
इन चार आयुर्वेदिक दवाओं का दिखा सकारात्मक प्रभाव
अक्टूबर महीने में एआईआईए की पत्रिका "आयुर्वेद केस रिपोर्ट" में इस रिसर्च को प्रकाशित किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के इलाज में चार आयुर्वेदिक दवाओं के प्रभाव का पता चला है। इसमें आयुष क्वाथ, संशमनी वटी, फीफाट्रोल और लक्ष्मीविलास रस शामिल हैं। इनके इस्तेमाल से न केवल कोविड-19 के मरीज के स्वास्थ्य में सुधार हुआ बल्कि इलाज के छह दिनों के अंदर रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट भी नेगेटिव आ गई। गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी का अब तक व्यापक असर देखने को मिला है। वर्तमान में सार्स-सीओवी-2 वायरस के चलते साढ़े चार करोड़ से अधिक लोग बीमार हो चुके हैं, जबकि मृतकों का आंकड़ा भी 12 लाख के पार हो गया है।
इस रिपोर्ट में कोरोना वायरस से संक्रमित एक हेल्थ वर्कर्स (30 वर्षीय पुरुष) के मामले का हवाला देते हुए बताया गया है कि व्यक्ति के संक्रमित होने के बाद उसे संशमन थेरेपी दी गई थी। इस थेरेपी के तहत मरीज को आयुष क्वाथ, शेषमणि वटी, फिफाट्रोल टैबलेट और लक्ष्मीविलास रस दवाएं खाने के लिए दी गईं। इसके अलावा रोगी को होम क्वारंटीन यानी घर पर रहने की सलाह दी गई थी। रिपोर्ट से पता चलता है कि ये सभी आयुर्वेदिक दवाएं बुखार, सांस लेने में तकलीफ (डिस्पेनिया), थकान, गंध सूंघने (एनोस्मिया) और स्वाद (एनोरेक्सिया) की क्षमता में कमी जैसे लक्षणों को दूर करने में प्रभावी साबित हुई। डॉक्टरों ने पाया कि छह दिन के इलाज के बाद कोविड-19 की जांच के लिए किए गए रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएडी) में मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आई जबकि आरटी-पीसीआर के जरिए 16वें दिन टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई।
दवा से इम्यूनिटी को बढ़ाने में मिली मदद
रिपोर्ट के मुताबिक हर्बल दवा फिफाट्रोल को एआईएमआईएल फार्मास्युटिकल कंपनी द्वारा बनाया गया है जो कि संक्रमण, फ्लू और सर्दी-जुकाम से बचाव में मददगार है। इस दवा में गुडुची, संजीवनी घनवटी, दारुहरिद्रा, अपामार्ग, चिरयता, करंजा, कुटकी, तुलसी, गोदन्ती (भस्म), मृत्युंजय रस, त्रिभुवन कृति रस और संजीवनी वटी जैसी जड़ी-बूटियां मौजूद हैं जो कि इम्यूनिटी को मजबूत बनाती है।
वहीं, आयुष क्वाथ में चार औषधीय जड़ी बूटियों यानी मसालों का एक संयोजन (कॉम्बिनेशन) है जो आमतौर पर हर भारतीय रसोई में इस्तेमाल किए जाते हैं। इसमें तुलसी के पत्ते (तुलसी), दालचीनी की छाल (दालचीनी), जिंगबेर ऑफिसिनले (सोंथी) और करिश्ना मिर्च (पाइपर नाइग्रम) शामिल हैं। दूसरी ओर शेषमणि वटी (जिसे गुडुची घना वटी भी कहा जाता है) एक आयुर्वेदिक हर्बल फॉर्मूला है जिसका इस्तेमाल बुखार के इलाज के तौर पर किया जाता है। इसके अलावा लक्ष्मीविलास रस एक पारंपरिक जड़ी-बूटी दवा है, जिसमें मुख्य रूप से अभ्रक भस्म शामिल है। यह विशेषतौर पर खांसी, सर्दी और राइनाइटिस यानी बंद नाक को ठीक करता है। साथ ही इस दवा की मदद से साइनस और गले की समस्या से भी निजात मिलती है। रिपोर्ट के मुताबिक इस रिसर्च में एआईआईए की ओर से डॉ. शिशिर कुमार मंडल, डॉ. मीनाक्षी शर्मा, डॉ. चारु शर्मा, डॉ. शालिनी राय और डॉ. आनंद मोर शामिल थे।
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इस रिसर्च के माध्यम से शोधकर्ताओं ने बताया कि उपचार व्यक्तिगत, समग्र और साफ तौर पर आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित था। इस दौरान किसी भी तरह की पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया गया। इस अध्ययन के साथ, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आयुर्वेद में कोविड-19 और ऐसी अन्य महामारियों को रोकने की व्यापक क्षमता है। हालांकि, इसे सही साबित करने के लिए बड़े पैमाने पर अधिक सैंपल के साथ अभी और अध्ययन की जरूरत होगी।