नए कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में लाखों लोग संक्रमित हो चुके हैं और हजारों की संख्या में मरीजों की मौत हुई है। लेकिन जितने लोग मारे गए हैं, उससे कई गुना ज्यादा लोगों ने इस बीमारी को मात दी है। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 90 साल से भी ज्यादा है। ऐसा ही एक मामला भारत में भी सामने आया है। खबर है कि महाराष्ट्र के पुणे में एक 92 साल की बुजुर्ग महिला कोविड-19 बीमारी से ठीक हो घर लौटी है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने गुरुवार को यह खबर दी।
मीडिया रिपोर्टो के मुताबिक, कोरोना वायरस के संक्रमण से ग्रस्त होने से करीब सात महीने पहले महिला को स्ट्रोक आया था, जिसके बाद वह लकवे से पीड़ित हो गई थी। वहीं, अप्रैल की शुरुआत में बुजुर्ग महिला और उसके परिवार के अन्य तीन सदस्य कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। लेकिन बीते सोमवार महिला और उसके साढ़े तीन साल के पोते सहित परिवार के बाकी लोग कोविड-19 से ठीक होने के बाद घर लौट आए।
एनडीटवी की खबर के मुताबिक, पुणे स्थित सिम्बायोसिस अस्पताल के सीईओ डॉ. विजय नटराजन ने बताया कि लगातार मॉनिटिरिंग करने और इलाज के प्रोटोकॉल फॉलो करने के साथ अतिरिक्त सावधानी बरतने से बुजुर्ग महिला को बचाना संभव हो पाया है। उन्होंने बताया की स्ट्रोक के बाद लकवे की स्थिति में निमोनिया होने की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि डॉक्टरों ने इस मामले में ऐसा नहीं होने दिया।
कैसे ठीक हुई महिला?
डॉ. नजराजन के मुताबिक, निमोनिया से बचने के लिए यह सुनिश्चित किया गया कि हर दो घंटे में मरीज की नींद की स्थिति को बदल दिया जाए। इस तरीके से कोरोना वायरस के रोगियों के फेफड़ों में बेहतर मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है और स्वास्थ्य में सुधार की संभावनाएं बढ़ती हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि आमतौर पर कोविड-19 के रोगियों की नींद की स्थिति को हर छह घंटे में बदला जाता है। लेकिन इस बुजुर्ग महिला के मामले में ऐसा हर दो घंटे में किया गया। वहीं, निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत मल्टीविटामिन की गोलियां और सामान्य उपचार दिया गया जिससे स्वास्थ्य में सुधार हुआ। यहां उल्लेखनीय बात यह है कि इलाज के दौरान महिला को अलग से ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं पड़ी। डॉ. नटराजन का कहना है कि कोरोना संक्रमण से महिला के ठीक होने से यह पता चलता है कि अगर कोई बुजुर्ग व्यक्ति कोविड-19 से बीमार पड़ता है तो ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है।