विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के चलते अफ्रीका महाद्वीप की करीब एक चौथाई आबादी संक्रमित हो सकती है। अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर अफ्रीकी महाद्वीप में कोरोना वायरस को फैलने से रोका नहीं गया तो इसके संक्रमण से वहां एक लाख 90 हजार लोगों की मौत हो सकती है।

अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं ने कहा है कि वैसे तो अफ्रीका में वायरस के प्रभाव और ट्रांसमिशन का खतरा दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले कम है, लेकिन, जैसे-जैसे अस्पतालों में मरीज बढ़ेंगे, नई मुश्किलें सामने आएंगी। मसलन, पहले से बेहाल अफ्रीकी हेल्थकेयर सिस्टम मरीजों के बढ़ने से प्रभावित होगा और साथ में दूसरी बीमारियों से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ेंगी। इससे पहले से कम संसाधन और कम होते जाएंगे। परिणामस्वरूप, वायरस और ज्यादा लोगों में फैलेगा।

डब्ल्यूएचओ में अफ्रीकी क्षेत्रीय कार्यालय से जुड़े प्रोग्राम मैनेजमेंट के निदेशक जोसफ कैबोर और उनके सहयोगियों का कहना है कि अफ्रीका में वायरस की रोकथाम के लिए कदम उठाना जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि अफ्रीकी देशों का हेल्थ सिस्टम ऐसा नहीं है कि सार्स-सीओवी-2 के कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोक सके। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यह जरूरी है कि 'डब्ल्यूएचओ अफ्रीकी क्षेत्र' (डब्ल्यूएचओ अफ्रीकन रीजन) के तहत आने वाले देश अपने अस्पतालों की क्षमता बढ़ाएं और स्वास्थ्य सेवाओं की मदद से आपातकालीन साधनों को इकट्ठा करें।

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डब्ल्यूएचओ अफ्रीकन रीजन के तहत 47 देश आते हैं। इनमें से 45 में कोरोना वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। इसके मद्देनजर शोधकर्ताओं ने अलग-अलग मॉडलों के तहत अफ्रीका में कोरोना संक्रमण के प्रसार और मृत्यु दर का अनुमान लगाया है। उनके आधार पर डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसस कई बार अन्य देशों से अफ्रीका की मदद के लिए आगे आने की अपील कर चुके हैं।

क्या कहता है अध्ययन?
जिस मॉडल के तहत नया अध्ययन किया गया है, उसके मुताबिक, अफ्रीका में कोरोना वायरस बाकी देशों के मुकाबले धीमी गति से फैलेगा, लेकिन यहां यह लंबे समय तक बना रह सकता है। शोध की मानें तो वायरस के नियंत्रण के लिए उचित कदम नहीं उठाए जाने के चलते छोटे अफ्रीकी देशों में खतरा ज्यादा बढ़ सकता है। इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक हालात मॉरीशस में पैदा हो सकते हैं। वहीं, जिन बड़े अफ्रीकी देशों में संक्रमण ज्यादा फैलने की संभावना है, उनमें दक्षिण अफ्रीका, कैमरून और नाइजीरिया शामिल हैं।

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शोध के मुताबिक, महामारी के पहले साल में अफ्रीका की एक अरब की आबादी का एक-चौथाई हिस्सा यानी करीब 25 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। इनमें 4.4 करोड़ मरीजों में कोविड-19 के लक्षण दिखाई देंगे। 5.5 करोड़ मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ेगी। उनमें से एक लाख 40,000 गंभीर रूप से बीमारी की चपेट में आ सकते हैं और करीब 90 हजार की हालत नाजुक हो सकती है। शोध के मुताबिक, करीब डेढ़ लाख अफ्रीकी लोग मारे जा सकते हैं। वहीं, शोध के लेखकों ने आशंका जताई है कि यह संख्या एक लाख 90 हजार तक जा सकती है।

क्या हैं मौजूदा हाल?
अफ्रीकी महाद्वीप में अभी तक कोरोना वायरस के कुल 77,000 मामले सामने आए हैं। इनमें से 2,579 की मौत हो गई है। उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के मुकाबले ये आंकड़े बहुत कम हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अफ्रीका की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल इतना खराब है कि लोगों की टेस्टिंग ही नहीं हो पा रही है। ऐसे में कम मरीजों और मौतों के आंकड़ों को कम गंभीरता से लेना सही नहीं होगा।

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बहरहाल, इन 77,000 मरीजों में सबसे ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में सामने आए हैं। वहां कोरोना वायरस ने 12,739 लोगों को संक्रमित किया है, जिनमें से 238 की मौत हो गई है। दूसरे नंबर पर मिस्र है। वहां 10,800 से ज्यादा मामलों की पुष्टि हुई है। इनमें से 571 की मौत हो गई है। वहीं, अल्जीरिया में 6,442 मरीजों में से 529 मारे गए हैं। दक्षिण अफ्रीका से कम मरीज होने के बावजूद ये दोनों देश मौतों के मामले में उससे कहीं आगे हैं। कुल मिलाकर 50 से ज्यादा अफ्रीकी देशों में कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 महामारी के दौरान अफ्रीका में 25 करोड़ लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका: शोधकर्ता है

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