अमेरिका में भारतीय मूल की एक 14 वर्षीय लड़की कोविड-19 के इलाज को लेकर चर्चा में है। टेक्सास राज्य के फ्रिस्को इलाके के एक स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली अनिका चेब्रोलू ने वहां के एक प्रमुख मिडिल स्कूल साइंस कॉम्पिटिशन '3एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज' जीता है। कहा जा रहा है कि इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए जो काम उन्होंने किया है, उससे कोविड-19 की संभावित थेरेपी तैयार करने का रास्ता खुल सकता है। 3एम चैलेंज ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर चेब्रोलू का जिक्र करते हुए कहा है कि प्रतियोगिता जीतने के लिए उन्होंने इन-सिलिको मेथेडोलॉजी (कंप्यूटर प्रोग्राम) का इस्तेमाल किया है। इस कार्यप्रणाली के जरिये अनिका एक ऐसे मुख्य मॉलिक्यूल का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं, जो कोविड-19 महामारी की वजह बने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन को चयनित तरीके से बांध सकता है।

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पिछले साल अनिका इन्फ्लूएंजा संक्रमण से गंभीर रूप से बीमार हो गई थीं। ठीक होने के बाद वे इस बीमारी का इलाज ढूंढना चाहती थीं। लेकिन कोविड-19 महामारी ने उनके इरादे में बदलाव कर दिया। सीएनएन से बातचीत में अनिका ने कहा, 'महामारियों, वायरसों और दवा की खोज के संबंध में काफी सारा रिसर्च करने के बाद मैं सोच नहीं पा रही थी कि मैं इस तरह के माहौल में रह रही हूं। कोविड-19 के गंभीर रूप से बढ़ने और इसके विनाशकारी प्रभाव के चलते दुनिया जिस तरह प्रभावित हुई है, उसे देखते हुए मैंने अपने मेन्टॉर की मदद से अपने रिसर्च का लक्ष्य सार्स-सीओवी-2 वायरस को बना लिया।' अनिका का कहना है कि विषाणुओं का इलाज ढूंढने के लिए उन्होंने 1918 की फ्लू महामारी का भी काफी अध्ययन किया है। उन्होंने जाना कि तब कैसे इस बीमारी के चलते हर साल कितनी संख्या में लोग मारे गए, जबकि तब तक इसका टीकाकरण और एंटी-इन्फ्लूएंजा ड्रग बाजार में उपलब्ध थे।

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प्रतियोगिता के दस फाइनलिस्टों में से एक अनिका को 3एम मेन्टॉरशिप के तहत 25 हजार डॉलर का इनाम भी मिला है। इस कॉम्पिटिशन में जज रहे डॉ. सिंडी मॉस ने सीएनएन को बताया कि प्रतियोगिता में अनिका ने कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर काफी जिज्ञासा दिखाई और इसे लेकर कई सवाल किए। डॉ. सिंडी ने कहा, 'उसने (अनिका) काफी विस्तृत काम किया है और कई तरह के आंकड़ों की जांच की है। इनोवेशन प्रोसेस को लेकर उसने एक समझ विकसित की है और उस पर बोलने की दक्षता हासिल की है। समय का सही इस्तेमाल करने की उसकी इच्छा और दुनिया को रहने की एक बेहतर जगह बनाने के हुनर ने हमारे अंदर उम्मीद जगाई है।'

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प्रतियोगिता जीतने को अनिका पर्याप्त नहीं मानतीं। उनका कहना है कि इससे उनका काम खत्म नहीं हुआ है। वे चाहती हैं कि मौजूदा महामारी के मरीजों और मृतकों की संख्या कम करने के लिए उन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ काम करें, जो इस संकट से निपटने में लगे हुए हैं। अनिका अपने अध्ययन के परिणामों का इस्तेमाल करते हुए कोविड-19 का वास्तविक इलाज ढूंढना चाहती हैं। वे कहती हैं, 'मेरी कोशिश एक ऐसा कंपाउंड ढूंढने की है जो सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन को बांध सके। मेरे प्रयासों की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि मैं वाइरोलॉजिस्ट और दवाएं विकसित करने वाले विशेषज्ञों के साथ मिलकर कैसे इस मॉलिक्यूल को डेवलेप करती हूं।'


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कोरोना वायरस को बांधने वाले मॉलिक्यूल की खोज में लगी भारतीय मूल की 14 वर्षीय अनिका चेब्रोलू ने अमेरिका की प्रमुख विज्ञान प्रतियोगिता जीती है

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