श्‍वसन एवं फेफड़ों को प्रदूषकों या हानिकारक पदार्थों से बचाने के लिए दी जाने वाली एक प्रतिक्रिया के रूप में खांसी को समझा जा सकता है। प्रमुख तौर पर खांसी दो तरह की होती है - एक सूखी खांसी और दूसरी बलगम वाली खांसी हो सकती है। सूखी खांसी में मुंह सूखा रहता है और थूक या बलगम नहीं आता है, जबकि बलगम वाली खांसी में श्‍वसन मार्ग को साफ करने के लिए बलगम बनता है।

कभी-कभी खांसी होना सामान्‍य बात है, लेकिल अगर लगातार खांसी हो रही है तो इसका संबंध किसी अन्‍य लक्षण जैसे कि एसिड रिफलक्‍स, सांस लेने में दिक्‍कत, बलगम ज्‍यादा बनने या छाती में दर्द से हो सकता है। ये सभी समस्‍याएं किसी बीमारी का संकेत हो सकती हैं, जिनका तुरंत इलाज करवाने की जरूरत हो।

होम्‍योपैथिक दवाएं खांसी को कम एवं संपूर्ण सेहत में सुधार लाने में प्रभावशाली हैं। खांसी के इलाज में इस्‍तेमाल होने वाली प्रमुख होम्‍योपैथिक दवाओं में सूखी और दर्दभरी खांसी के लिए ब्रायोनिआ, गला बैठने और तेज आवाज आने वाली खांसी के लिए फास्‍फोरस शामिल है।

इसके अलावा सूखी खांसी के साथ गाढ़ा बलगम आने के लिए पल्‍सेटिला और ठंडी हवा में सांस लेने से शुरू हुई सूखी खांसी के लिए रूमेक्‍स क्रिस्‍पस दवा ली जाती है।

इन दवाओं के अतिरिक्‍त एकोनिटम नैपेल्लस, एंटीमोनियम टारटेरिकम, बेलाडोना, कैमोमिला, ड्रोसेरा, फेरम फास्‍फोरिकम, हेपर सल्‍फ्यूरिस कैल्‍केरियम, कैली सल्‍फ्यूरिकम, स्पोंजिया टोस्टा, सल्‍फर, इपिकैक और नुक्‍स वोमिका भी खांसी के इलाज में उपयोगी हैं।

  1. खांसी की होम्योपैथिक दवा - Khansi ki homeopathic dawa
  2. होम्योपैथी में खांसी के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy me Cough ke liye khan pan aur jeevanshaili me badlav
  3. खांसी की होम्योपैथी मेडिसिन कितनी लाभदायक है - Cough ki homeopathic medicine kitni faydemand hai
  4. खांसी के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Khansi ki homeopathic medicine ke nuksan aur jokhim karak
  5. खांसी के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Khansi ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
खांसी की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

खांसी के इलाज में इस्‍तेमाल होने वाली होम्‍योपैथिक दवाओं के नाम इस प्रकार हैं –

  • एकोनिटम नैपेल्लस (Aconitum Napellus)
    सामान्‍य नाम –
    मॉन्‍क शुड (Monkshood)
    लक्षण – सूजन संबंधी बुखार और कोई अन्‍य हल्‍के एवं अचानक हुए संक्रमण के लिए मॉन्‍क शुड बेहतर दवा है। सुन्‍नता, झुनझुनी और ठंड एवं शुष्‍क मौसम में जाने से पैदा हुई स्थितियों के इलाज में भी एकोनिटम उपयोगी है।

    एकोनाइट उन स्थितियों का इलाज करती है जो केवल शरीर के कार्यों में गड़बड़ी पैदा करते हैं लेकिन बीच-बीच में स्‍पष्‍ट रूप से सामने नहीं आते हैं। ये दवा निम्‍न लक्षणों से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति पर भी असर करती है –
    • नाक और मुंह की श्‍लेष्‍मा झिल्लियों (शरीर की गुहाओं और अंगों की अंदरूनी परत) में सूखेपन के साथ जीभ में सूजन
    • सांस लेने में दिक्‍कत के साथ सूखी खांसी जो कि रात के समय और बढ़ जाए
    • खांसी के बाद छाती में झुनझुनी महसूस होना
    • बुर सपने आना

रात के समय, गर्म कमरे में बैठने और प्रभावित हिस्‍से की ओर लेटने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। खुली हवा में लक्षणों में सुधार आता है।

  • बेलाडोना (Belladonna)
    सामान्‍य नाम –
    डेडली नाइटशेड (Deadly nightshade)
    लक्षण – बेलाडोना प्रमुख तौर पर तंत्रिका तंत्र पर असर करती है। हालांकि, ये त्‍वचा, ग्रंथियों और परिसंचरण तंत्र पर भी प्रभावशाली है। ये त्‍वचा पर लालिमा के साथ चेहरा लाल होना, प्रलाप (उलझन में रहना), बेचैनी और मुंह एवं गले में सूखेपन के इलाज में उपयोगी है। नीचे बताए गए अन्‍य लक्षणों पर भी ये दवा असर करती है –

दोपहर के बाद, लेटने पर, छूने पर और शोर में लक्षण और बढ़ जाते हैं जबकि कमर को सहारा देकर बैठने पर लक्षणों में आराम मिलता है।

  • ब्रायोनिया अल्‍बा (Bryonia Alba)
    सामान्‍य नाम –
    वाइल्‍ड हॉप (Wild hops)
    लक्षण – ये दवा सीरस झिल्लियों (हृदय, फेफड़ों और पेट जैसे अंगों के आसपास ऊतकों की मुलायम परत) और इससे युक्‍त अंगों पर असर करती है। ब्रायोनिया उन लक्षणों पर असर करती है, जिनमें चुभने और खिंचाव जैसा दर्द हो एवं चलने पर यह दर्द बढ़ जाता है, लेकिन आराम करने पर बेहतर महसूस होता है।

    ब्रायोनिया अल्‍बा उन लोगों पर बेहतर असर करती है जो बहुत ज्‍यादा चिड़चिड़े रहते हैं, जिनके होंठ और मुंह सूखा रहता है, प्‍यास ज्‍यादा लगती है, अधिक मल आता है, पेट में पथरी जैसा महसूस होता है और जोड़ों में दर्द रहता है। ये निम्‍न लक्षणों से भी ग्रसित हो सकते हैं –
    • नकसीर
    • लीवर के आसपास दर्द जो कि खांसने और प्रभावित हिस्‍से पर दबाव बनाने पर बढ़ जाए
    • श्‍वास नली और स्‍वर तंत्र में दर्द
    • सूखी खांसी जो कि रात को ज्‍यादातर परेशान करे। कुछ खाने या पीने के बाद सूखी खांसी का बदतर हो जाना
    • गले में खराश जो कि खुली हवा में और बढ़ जाए
    • खांसी के साथ व्‍यक्‍ति को छाती पर अधिक दबाव महसूस होना, आराम पाने के लिए व्‍यक्‍ति को छाती को दोनों हाथों से दबाना या पकड़ना।
    • खांसी में लाल जैली जैसा बलगम आना
    • बुखार और ठंड लगने के साथ सूखी खांसी, शरीर में गर्मी और ज्‍यादा पसीना आना

लक्षणों का सुबह के समय, थकान होने पर और खाना खाने के बाद बढ़ जाना। दर्द वाले हिस्‍से की ओर से लेटने, आराम करने और प्रभावित हिस्‍से पर दबाव बनाने पर लक्षणों में आराम मिलता है।

  • कैमोमिला (Chamomilla)
    सामान्‍य नाम –
    जर्मन कैमोमाइल (German chamomile)
    लक्षण – कैमोमिला प्रमुख तौर पर भावनात्‍मक और मानसिक लक्षणों के इलाज में उपयोगी है। ये दवा उन धैर्यहीन लोगों को दी जाती है जो हमेशा शिकायत करते रहते हैं और चिड़चिड़े एवं बेचैन रहने वाले बच्‍चे जो लंबे समय तक रोते रहते हैं। कब्‍ज से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को यह दवा नहीं देनी चाहिए। नीचे बताए गए लक्षणों को भी कैमोमिला से ठीक किया जा सकता है –
    • मस्तिष्‍क के एक हिस्‍से में हथौड़े बजने जैसा सिरदर्द होना
    • कान और दांत में दर्द जो कि गर्म कॉफी पीने के बाद बढ़ जाए
    • एक गाल लाल और गर्म पड़ना जबकि दूसरा गाल पीला और ठंडा रहना
    • सूखी खांसी के साथ स्‍वर यंत्र में सूखापन
    • छाती में अकड़न
    • छाती में गड़गड़ाहट की आवाज आना

रात के समय, गरमाई में, गुस्‍सा आने या बाहर खुली हवा में जाने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। गर्म शुष्‍क मौसम में व्‍यक्‍ति को राहत महसूस होती है।

  • कॉस्टिकम (Causticum)
    सामान्‍य नाम -
    हैनिमैनस टिंक्चुरा एक्रिस साइन कैली (Hahnemann’s tinctura acris sine kali)
    लक्षण – कॉस्टिकम उन लोगों पर बेहतर असर करती है जो अत्‍यधिक निराशावादी होने के साथ दुखी रहते हैं। इन मरीजों में निम्‍न लक्षण दिखाई देते हैं –
    • नाक की श्‍लेष्‍मा झिल्‍ली में सूजन( खासतौर पर जुकाम के कारण
    • आवाज बैठने के साथ सीने में दर्द और बोलने में दिक्‍कत होना
    • खांसी के साथ कम बलगम आना जो निगलना पड़े
    • बुखार के साथ बाएं कूल्‍हे में दर्द होना जो कि शाम के समय, बिस्‍तर की गरमाई में बदतर हो जाए, लेकिन ठंडा पानी पीने पर आराम मिले।
    • रात में लेटने में दिक्‍कत
    • खुद की आवाज गूंजना

ठंडे और शुष्‍क मौसम में लक्षणों का बढ़ जाना, लेकिन गरमाई में, बारिश के मौसम में लक्षणों में सुधार आना।

  • कोरेलियम रूब्रम (Coralium Rubrum)
    सामान्‍य नाम –
    रेड कोरल (Red coral)
    लक्षण – ये दवा ऐंठन वाली और काली खांसी में असरकारी है। ये खासतौर पर उन लोगों को दी जाती है, जिन्‍हें अचानक से बार-बार तेज खांसी होती है। निम्‍न लक्षण दिखने पर भी ये दवा दी जाती है –
    • अत्‍यधिक बलगम बनना जो कि नाक के पीछे से गले में आ जाए
    • हवा के प्रति गले का बहुत ज्‍यादा संवेदनशील होना
    • गहरी सांस लेने पर ठंडा महसूस होना
    • काली खांसी के बाद थकान और दम घुटना
    • गर्म कमरे से ठंडे कमरे में आने पर और खुली हवा में लक्षण गंभीर रूप ले लेते हैं।
       
  • ड्रोसेरा रोटिन्‍डफोलिया (Drosera Rotundifolia)
    सामान्‍य नाम –
    ड्रोसेरा (drosera)
    लक्षण – चूंकि, ये दवा सांस से संबंधित अंगों पर प्रभावशाली है इसलिए इसे काली खांसी की प्रमुख दवा माना जाता है। ये दवा टीबी को रोकने में मदद करती है इसलिए पल्‍मोनरी ट्यूबरकुलोसिस (फेफड़ों में) और लैरिंजियल टीबी (स्‍वरयंत्र में) के इलाज में व्‍यापक रूप से उपयोगी है।

    अत्‍यधिक बलगम आने के इलाज में भी ड्रोसेरा उपयोगी है। खांसी की वजह से खाना बाहर आने की स्थिति में भी यह दवा दी जाती है। नीचे बताए गए लक्षणों पर भी ड्रोसेरा असरकारी है –
    • काली खांसी की तरह परेशान करने वाली और सूखी खांसी
    • दम घुटना और सांस लेने में दिक्‍कत
    • दबी हुई और रुक-रुक कर खांसी आना जो कि आधी रात के बाद बढ़ जाए
    • नाक के साथ-साथ मुंह से भी खून आना
    • अस्‍थमा खासतौर पर बात करने के दौरान
    • खुली हवा में जाने पर वर्टिगो (सिर चकराना), व्‍यक्‍ति को ऐसा महसूस होता है कि वो चक्‍कर खाकर एक ओर गिर जाएगा (खासतौर पर बाईं तरफ)
    • चेहरे के बाईं ओर ठंडा महसूस होना, जबकि चेहरे का दायां हिस्‍सा सूखा और गर्म रहना

लेटने पर, कुछ पीने पर, गाना गाने या हंसने खासतौर पर आधी रात के बाद लक्षण और बढ़ जाते हैं।

  • पल्‍सेटिला प्रेटेंसिस (Pulsatilla Pratensis)
    सामान्‍य नाम –
    विंड फ्लॉवर (Wind flower)
    लक्षण – व्‍यक्‍ति की मानसिक स्थिति और स्‍वभाव से इस दवा को चुनने में मदद मिलती है। इस दवा से जिन लोगों को फायदा होता है वो बहुत ज्‍यादा भावुक, आसानी से रोने वाले और हताश होने वाले होते हैं।

    इन्‍हें हमेशा खुली हवा में ठंड लगने की बजाय आरामदायक महसूस होता है और ये आमतौर पर सिर को ऊंचा एवं हाथों को सिर पर रख कर लेटते हैं। पल्‍सेटिला प्रेटेंसिस निम्‍न लक्षणों को कम करने में उपयोगी है –
    • आंखों से गाढ़ा, पीले-हरे रंग का मुलायम डिस्‍चार्ज होने के साथ पलकों में सूजन
    • मुंह में सूखापन लेकिन फिर भी व्‍यक्‍ति को प्‍यास न लगे
    • नीचे वाले होंठ के बीच में दरारें पड़ना, ये व्‍यक्‍ति अक्‍सर अपने नीचे वाले होंठ को मुंह के अंदर दबाते रहते हैं
    • पेट फूलना, प्‍यास कम लगना और खाना खाने के एक घंटे बाद पेट दर्द होना
    • मुंह में खट्टा स्‍वाद आना और सब कुछ स्‍वादहीन लगना
    • सूखी खांसी, खासतौर पर शाम और रात के समय एवं सुबह खांसी में अधिक बलगम आना
    • पतला, अधिक मात्रा में, हरा, गाढ़ा और खट्टा थूक आना

शाम के समय, वसायुक्‍त चीजें खाने के बाद और गर्म कमरे में लक्षण बढ़ जाते हैं। खुली हवा में आने और ठंडी सिकाई से व्‍यक्‍ति को बेहतर महसूस होता है।

  • रूमेक्‍स क्रिस्‍पस (Rumex Crispus)
    सामान्‍य नाम –
    येलो डक (Yellow duck)
    लक्षण – रूमेक्‍स क्रिस्‍पस से कई तरह के दर्द को नियंत्रित किया जाता है। ये दवा उस खांसी के इलाज में भी उपयोगी है, जिसमें गले के सिरे (गड्ढे) में गुदगुदी महसूस होती है और गले को छूने पर समस्‍या बढ़ जाती है।

    रूमेक्‍स को शरीर की श्‍लेष्‍मा झिल्लियों में फ्लूइड (तरल पदार्थ) के स्राव को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसके साथ ही ये स्‍वर यंत्र और श्‍वास नली में संवदेनशीलता को बढ़ाती है।

    इस दवा से लाभ पाने वाले लोगों को अन्‍य निम्‍न लक्षण महसूस होते हैं –
    • लसीका ग्रंथियों का बढ़ना
    • जीभ में दर्द
    • पेट फूलना, गेस्‍ट्राइटिस
    • छाती में चुभने वाला दर्द
    • नाक में सूखापन
    • नाक और श्‍वास नली से अत्‍यधिक म्‍यूकस (श्‍लेष्‍मा झिल्लियों से निकलने वाला पतला पदार्थ) निकलना
    • सूखी खांसी जो कि रात के समय, बात करने पर और सांस लेने पर बढ़ जाए। इसकी वजह से व्‍यक्‍ति को सोने में दिक्‍कत होती है।

छाती में बाईं ओर लक्षण ज्‍यादा गंभीर रहते हैं और शाम के समय एवं ठंडी हवा में सांस लेने पर बढ़ जाते हैं।

  • स्‍पोंजिया टोस्‍टा (Spongia Tosta)
    सामान्‍य नाम –
    रोस्‍टेड स्‍पॉन्‍ज (Roasted sponge)
    लक्षण – श्‍वसन मार्ग के ऊपरी हिस्‍से में संक्रमण होने पर, खांसी और हृदय में संक्रमण के लिए इस दवा को चुना जाता है। ये ट्यूबरकुलर इंफेक्‍शन में व्‍यापक रूप से उपयोगी है।

    इस दवा से लाभ पाने वाले मरीजों में निम्‍न लक्षण भी दिखाई देते हैं –
    • चिंता के साथ सांस लेने में दिक्‍कत
    • हल्‍की थकान के साथ छाती और चेहरे पर खून का प्रवाह तेज होना
    • सर्दी जुकाम
    • गले में खराश जो कि मीठा खाने पर बढ़ जाए
    • गले में गुदगुदी महसूस होना, जिससे खांसी हो
    • श्‍वसन मार्गों में सूखापन, जिसकी वजह से सूखी, कुक्‍कुर खांसी और गला बैठ जाए
    • स्‍वर यंत्र, श्‍वास नली और ब्रोंकाइल नलियों में सूजन, जो कि सांस लेने पर और आधी रात में बढ़ जाए
    • कुछ खाने या गर्म पेय पदार्थ पीने पर खांसी कम होना
    • ब्रोंकाइल से अत्‍यधिक डिस्‍चार्ज होना, जिसकी वजह से घरघराहट और अस्‍थमा वाली खांसी के साथ बहुत ज्‍यादा बलगम भी आए

आधी रात से पहले लक्षणों का गंभीर होना और सिर को नीचा करके लेटने पर आराम मिले।

  • फास्‍फोरस (Phosphorus)
    सामान्‍य नाम –
    फास्‍फोरस (Phosphorus)
    लक्षण – श्‍लेष्‍मा झिल्लियों, सीरस झिल्लियों, नसों और रीढ़ की नलिका में कोई दिक्‍कत और सूजन (जिसकी वजह से लकवा हो सकता है) पैदा करने वाली स्थितियों के इलाज में फास्‍फोरस उपयोगी है।

    ये दवा रक्तस्रावी पीलिया (पीलिया जिसमें ब्‍लीडिंग हो) की स्थिति पैदा करने वाली हड्डियों और रक्‍त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने की स्थिति के इलाज में मददगार है। यह व्‍यक्‍ति के मेटाबोलिज्‍म पर बेहतरीन प्रभाव डालती है और लीवर एट्रोफी (लीवर का धीरे-धीरे खराब होना) एवं हेपेटाइटिस (लिवर में सूजन) में असरकारी है।

    फास्‍फोरस उन लंबे, दुबले, कम चौड़ी छाती वाले लोगों के लिए उपयोगी है जिनमें बार-बार बेहोश होने की प्रवृत्ति होती है, जिन्‍हें बहुत पसीना आता है और जिन्‍हें अचानक चुभने वाला दर्द महसूस होता है। इस दवा से ठीक होने वाले अन्‍य लक्षण इस प्रकार हैं –
    • वृद्ध मरीजों में बेहोशी के साथ वर्टिगो और याददाश्‍त कमजोर होना
    • खांसी जिसकी शुरुआत गले में गुदगुदी महसूस होने से हो और जो खुली हवा में, बात करने पर, हंसने पर एवं पढ़ने पर गंभीर रूप ले
    • माहवारी के दौरान योनि की बजाय नाक से खून आना
    • जीभ सूखी, मुलायम, लाल या सफेद होना
    • व्‍यक्‍ति का ठंडा पानी पीने का मन करना
    • स्‍वर यंत्र में दर्द के कारण बात न कर पाना
    • दिल बढ़ने के साथ नब्‍ज तेज और नरम होना

थकान, मौसम बदलने पर, गर्म चीज खाने या पेय पदार्थ पीने और दर्द वाले हिस्‍से की ओर लेटने पर लक्षण बढ़ जाते हैं। दाईं करवट लेटने, ठंडी चीजें खाने, खुली हवा में जाने और सोने के बाद व्‍यक्‍ति को आराम मिलता है।

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होम्योपैथिक दवाओं का ज्यादा से ज्याtदा लाभ पाने के लिए होम्योपैथी चिकित्सिक मरीज को जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव करने की भी सलाह देते हैं। इसमें कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों को न खाने के लिए कहा जाता है, जिनके औषधीय गुण दवाओं के प्रभाव पर असर डाल सकते हैं।

इसके साथ ही मरीज को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए कहा जाता है। होम्योपैथी ट्रीटमेंट लेने के दौरान निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –

क्‍या करें

  • गर्म मौसम में लिनेन की बजाय सूती कपड़े पहनें
  • नियमित व्‍यायाम करें और संतुलित आहार लें (और पढ़ें - व्यायाम करने का सही समय)
  • कुछ गंभीर मामलों में मरीज का कोई चीज खाने या पीने का मन कर सकता है। इस तरह की इच्‍छाओं को पूरा करने से बीमारी को जड़ से मिटाने में बाधा आ सकती है।
    अत: मरीज को उसकी पसंद का कुछ भी खाने या पीने के लिए बिल्कुल मना न करें बल्कि डॉक्‍टर से सलाह लेकर कुछ मात्रा में इनका सेवन करवा सकते हैं।

क्‍या न करें

  • वैक्‍सीनेसन के विकल्‍प के तौर पर होम्‍योपैथी दवाओं का इस्‍तेमाल न करें
  • हर्बल चाय, कॉफी, औषधीय मसालों से बनी बीयर या शराब न पिएं
  • मसालेदार खाना, सूप,प्‍याज से बनी चटनी, अजमोद, मीट और औषधीयों गुणों से युक्‍त पुरानी चीज का भी सेवन न करें
  • परफ्यूम, कपूर, तेज खुशबू वाले या अन्‍य हवा में घुलने वाले पदार्थों के पास होम्‍योपैथिक दवाएं न रखें
  • गतिहीन जीवनशैली और गंदगी से दूर रहें
  • कीचड़ और गंदगी वाली जगहों पर जाने से बचें

श्‍वसन मार्ग में घुसे किसी प्रदूषक को दूर करने के लिए शरीर की मदद करने के रूप में खांसी उत्‍पन्‍न होती है, इसलिए खांसी को दवाओं से पूरी तरह से रोकना नहीं चाहिए।

बलगम वाली खांसी में गाढ़े बलगम को पतला करने और सूखी खांसी को दबाने की बजाय उससे राहत दिलाने में होम्‍योपैथिक दवाएं मदद करती हैं।

बच्‍चों में खांसी और जुकाम के इलाज में होम्‍योपैथिक सिरप के प्रभाव की जांच के लिए अमेरिका में एक चिकित्‍सकीय परीक्षण किया गया। इस परीक्षण में 261 प्रीस्‍कूल बच्‍चों (स्‍कूल जाने से पहले की उम्र के बच्‍चे) को दो हिस्‍सों में बांटा गया। इनमें से एक समूह के बच्‍चों को दिन में दो बार प्‍लेसिबो और दूसरे समूह के बच्‍चों को होम्‍योपैथिक दवा दी गई।

तीन दिन के अंदर ही दवा ने सकारात्‍मक प्रभाव दिए। प्‍लेसिबो ग्रुप की तुलना में होम्‍योपैथिक सिरप लेने वाले बच्‍चों में जुकाम के लक्षणों की गंभीरता में काफी कमी देखी गई।

इसी की तरह एक अध्‍ययन में ऊपरी श्‍वसन मार्ग में संक्रमण और एक्‍यूट (गंभीर) ब्रोंकाइटिस (श्वासनलियां या मुंह और नाक और फेफड़ों के बीच के हवा के मार्ग सूज जाते हैं) के मरीजों में खांसी को कम करने में होम्‍योपैथिक सिरप के प्रभावशाली होने की जांच की गई।

एक सप्‍ताह तक 80 मरीजों पर नजर रखी गई। इसमें पाया गया कि होम्‍योपैथी सिरप लेने वाले मरीजों में चार दिन में ही खांसी की गंभीरता में कमी आई।

शिकागो में बच्‍चों के एक अस्‍पताल में काली खांसी को कम करने में होम्‍योपैथिक दवाओं के प्रभाव की जांच के लिए एक अध्‍ययन किया गया। इस अध्‍ययन में 21 महीने से लेकर 20 साल की उम्र तक के 20 मरीजों को शामिल किया गया था।

इन्‍हें होम्‍योपैथी की दो दवाएं ड्रोसेरा 6सी और परटुसिनम 30सी एक साथ दी गईं। इस ट्रीटमेंट से अधिकतर मामलों में कुछ दिनों से लेकर हफ्ते में स्थिति की गंभीरता में कमी आई।

होम्‍योपैथिक ट्रीटमेंट में बहुत ही पतली खुराक में दवाओं के सक्रिय घटकों का इस्‍तेमाल किया जाता है। इस वजह से होम्‍योपैथिक दवाओं के कोई हानिकारक दुष्‍प्रभाव नहीं होते हैं। अगर साइड इफेक्‍ट हुए भी तो सिरदर्द, चक्कर आने या दस्त जैसे कुछ लक्षणों में केवल मामूली वृद्धि होती है।

होम्‍योपैथी दवाएं शिशु, बच्‍चों, गर्भवती और स्‍तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए भी सुरक्षित मानी जाती हैं। अनुभवी होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक की देखरेख में ही ट्रीटमेंट लेना बेहतर रहता है। अगर कोई मरीज एलोपैथी ट्रीटमेंट के साथ भी होम्‍योपैथी दवा लेता है तो भी ये दवाएं एलोपैथी के प्रभाव पर असर नहीं डालती हैं।

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होम्‍योपैथी उपचार बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने के साथ-साथ व्‍यक्‍ति की संपूर्ण सेहत में सुधार लाता है। होम्‍योपैथी से अचानक और दीर्घकालिक खांसी का इलाज किया जा सकता है।

अगर अनुभवी होम्‍योपैथी चिकित्‍सक की देखरेख में होम्‍यापैथी दवाओं को लिया जाए तो ये जल्‍दी और कारगर तरीके से काम करती हैं। हालांकि, होम्‍योपैथी ट्रीटमेंट को एलोपैथी के विकल्‍प के रूप में नहीं लिया जा सकता है। अकेले या एलोपैथी ट्रीटमेंट के साथ होम्‍योपैथिक उपचार ले सकते हैं।

Dr. Anmol Sharma

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होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Sarita jaiman

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होमियोपैथ
11 वर्षों का अनुभव

Dr.Gunjan Rai

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होमियोपैथ
11 वर्षों का अनुभव

DR. JITENDRA SHUKLA

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होमियोपैथ
24 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. National Health Service [Internet] NHS inform; Scottish Government; Cough
  2. American Lung Association. [Internet] Illinios, Chicago, U.S.Learn About Cough
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  6. William Boericke. Homeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1 Homoeopathic Materia Medica
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