मौसम बदलने के साथ-साथ कुछ शारीरिक परेशानियां भी शुरू हो जाती हैं. ऐसी ही एक समस्या है खांसी की जिससे कभी न कभी हर कोई परेशान होता ही है. वैसे गौर किया जाए, तो खांसी की परेशानी अलग-अलग तरह की होती है और अगर खांसी के प्रकार को न समझा जाए, तो यह समस्या धीरे-धीरे गंभीर बीमारी का कारण भी बन सकती है. इसलिए, आज इस लेख में खांसी के प्रकार और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को समझेंगे, जिससे समय पर खांसी की समस्या का निदान किया जा सके.

(और पढ़ें - खांसी के घरेलू इलाज)

  1. खांसी के प्रकार कौन-कौन से हैं?
  2. सारांश
खांसी के प्रकार के डॉक्टर

वैसे तो खांसी के कई प्रकार हैं, लेकिन यहां हम वैज्ञानिक शोध के आधार पर कुछ प्रमुख प्रकारों के बारे में बता रहे हैं -

सूखी खांसी

सूखी खांसी यानी ड्राई कफ की समस्या श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण शुरू हो सकती है, जैसे - सर्दी या फ्लू. ऐसी समस्या तब शुरू होती है, जब गले में म्यूकस कम या नहीं होता है. ऐसी स्थिति के कारण व्यक्ति अपने गले में खुजली महसूस करता है और साथ में खांसी भी आने लगती है. वैसे तो खांसी की समस्या अपने आप ही ठीक हो जाती है, लेकिन लंबे वक्त से चली आ रही खांसी की समस्या अन्य बीमारियों को दावत दे सकती है. इन बीमारियों में शामिल है -

  • अस्थमा - खांसी के कारण अस्थमा की समस्या हो सकती है और ऐसे में सीने में जकड़नसांस लेने में तकलीफ और घरघराहट जैसे लक्षण महसूस किए जा सकते हैं.
  • गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) - यह समस्या तब हो सकती है, जब पेट का एसिड ऊपर की तरफ बढ़कर गले में पहुंच जाए और इसकी वजह से खांसी शुरू हो जाए.
  • लंग कैंसर - फेफड़ों के कैंसर से संबंधित खांसी बलगम में खून आने के लक्षण देखे जा सकते हैं, जो फेफड़ों के कैंसर के कारण बन सकते हैं. ऐसे लक्षण नजर आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

सूखी खांसी का इलाज - सूखी खांसी के इलाज के लिए डॉक्टर कफ सिरप दे सकते हैं या अगर गले में सिर्फ खराश की समस्या है, तो गर्म पानी का सेवन और गरारे करने से भी लाभ मिल सकता है.

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गीली खांसी

गीली खांसी यानी वेट कफ की समस्या इंफेक्शन जैसे - फ्लू, सामान्य सर्दी या फिर सीने में इंफेक्शन की वजह से होती है. खांसी के प्रकार में शामिल गीली खांसी की समस्या अगर गंभीर हो जाए, तो इससे अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है, जैसे -

  • ब्रोन्किइक्टेसिस - यह ऐसी स्थिति है, जिसमें सांस की नलियों को नुकसान पहुंच सकता है. इसकी वजह से कफ साफ करना मुश्किल हो जाता है.
  • निमोनिया - यह समस्या तब शुरू हो सकती है, जब बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण फेफड़ों के टिशू में सूजन आ जाती है.
  • नॉनट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया इंफेक्शन - यह इंफेक्शन फैलता नहीं है, लेकिन इसके कारण थकान, अस्वस्थता महसूस होने के साथ-साथ वजन कम होने की समस्या भी शुरू हो सकती है.
  • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) - अगर सीओपीडी की समस्या शुरू होती है, तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई और गले से घरघराहट की आवाज सुनाई देती है.

गीली खांसी का इलाज - शरीर में पानी की संतुलित मात्रा बनाए रखने से गीली खांसी की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है. वहीं, कुछ लोगों को ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) खांसी की दवाओं से भी राहत मिलती है. हालांकि, बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से कफ की समस्या को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की भी जरूरत पड़ सकती है.

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काली खांसी

काली खांसी यानी व्हूपिंग कफ को मेडिकल की भाषा में पर्टुसिस भी कहा जाता है. यह तेजी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है. नवजात शिशुओं और जिन लोगों ने टीकाकरण नहीं करवाया है, उनमें यह बीमारी विकसित हो सकती है. काली खांसी से पीड़ित व्यक्ति में हल्की सर्दी या फ्लू जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं, जो धीरे-धीरे गंभीर हो सकते हैं. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, जैसे बच्चों को अगर यह समस्या शुरू हो जाए, तो यह काफी तकलीफदेह होने के साथ-साथ सांस लेने में भी कठिनाई हो सकती है. रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों में काली खांसी की समस्या होती है, उन्हें लगभग 2 सप्ताह तक इसके फैलने की आशंका सबसे अधिक होती है.

काली खांसी का इलाज - काली खांसी से बचाव के लिए इसके टीके को लगवाना अनिवार्य माना जाता है. वहीं, एंटीबायोटिक की मदद से काली खांसी की गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती है. इसलिए, टीका नहीं लेने वाले लोगों को इसके लक्षण नजर आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

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पुरानी खांसी

पुरानी खांसी यानी क्रोनिक खांसी ऐसी की समस्या है, जो सामान्य बीमारी से ज्यादा समय तक बनी रह सकती है, जो 8 सप्ताह या इससे भी अधिक रह सकती है. ये खांसी कभी-कभी किसी अन्य शारीरिक बीमारी की ओर इशारा भी कर सकती है. ध्यान रखें कि पुरानी खांसी की समस्या एलर्जीस्मोकिंगनिमोनियालंग डिजीज, थ्रोट या ओरल कैंसर या फिर निगलने से जुड़ी समस्या के कारण हो सकती है.

पुरानी खांसी का इलाज - अगर खांसी की समस्या लंबे समस्या से चल रही है, तो डॉक्टर से सलाह लें. डॉक्टर इसके कारणों के आधार पर इलाज शुरू कर सकते हैं.

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चोकिंग

यदि किसी व्यक्ति के एयरवे में कोई रुकावट है, तो उसे खांसी हो सकती है और शरीर उस वस्तु से छुटकारा पाने की कोशिश कर सकता है. इसी तरह, जो व्यक्ति कुछ बड़ा या कुछ ऐसा खा लेता है, जिससे गले में जलन हो सकती है, तो खांसी की परेशानी हो सकती है. वहीं, दम घुटने की घटना के कारण भी खांसी की समस्या बनी रहती है. ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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बच्चों में खांसी की समस्या

बच्चों में प्रायः वायरल संक्रमण के कारण क्रुप खांसी की समस्या देखी जाती है, जो विशेष रूप से 5 और उससे कम उम्र के बच्चों में होती है. क्रुप खांसी के कारण वायुमार्ग में सूजन आ जाती है और जलन होने लगती है. छोटे बच्चों का वायुमार्ग पहले से ही काफी पतला होता है. इसलिए, जब सूजन वायुमार्ग को और अधिक पतला कर देती है, तो उनके लिए सांस लेना मुश्किल हो सकता है, जिसके कारण बच्चों को सांस लेने में कठिनाई, सांस लेते समय तेज आवाजें निकालना या बच्चे बहुत तेजी से सांस लेने लगते हैं. अगर बच्चों में खांसी की समस्या नजर आए, तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

(और पढ़ें - खांसी का होम्योपैथिक इलाज)

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खांसी के अलग-अलग प्रकारों को समझकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है. इसलिए, अगर आप या किसी भी उम्र के लोगों में यह समस्या लगातार बनी रहे, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए. ऐसा करने से बीमारी की जानकारी भी समय पर मिल जाएगी और इलाज भी जल्द से जल्द शुरू हो सकता है, जिससे मरीज जल्दी ठीक हो सकते हैं और फैलने वाली खांसी की समस्या को भी एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है.

(और पढ़ें - खांसी की आयुर्वेदिक दवा)

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