दवा कंपनी जाइडस कैडिला ने भारत में एक प्रेशराइज्ड मीटर्ड डोज इनहेलर लॉन्च किया है जो कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी सीओपीडी के मरीजों के लिए होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस इनहेलर को जाइडस के इनोवेशन इन फॉर्मुलेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके विकसित किया गया है। जाइडस कैडिला कंपनी ने अपने बयान में बताया कि इस इनहेलर को "फॉरग्लाइन पीएमडीआई" (Forglyn pMDI) नाम दिया गया है जो कि भारत का पहला प्रेशराइज्ड मीटर्ड डोज इनहेलर है जिसकी कीमत प्रति पैक 495 रुपये होगी।
क्या है सीओपीडी बीमारी ?
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़े से संबंधित रोगों का एक समूह होता है। यह रोग सांसों में रुकावट पैदा करता है जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है। वातस्फीति और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज में बनने वाली दो सबसे आम परिस्थितियां हैं। क्रोनिक ब्रोन्काइटिस आपके ब्रोन्कियल ट्यूब्स (श्वसनलियां) की सूजन होती है, यह ब्रोन्कियल ट्यूब्स व्यक्ति के फेफड़ों तक हवा ले जाने का काम करती हैं। वातस्फीति तब होती है, जब फेफड़ों की सबसे छोटे हवा के अंश से बनी थैली (ब्रोन्कोइल) धीरे-धीरे नष्ट होती है।
रिपोर्ट के मुताबिक सीओपीडी से व्यक्ति के फेफड़ों में होने वाले नुकसान को दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके उपचार से लक्षणों को नियंत्रित करने और आगे के नुकसान को कम करने में मदद मिलती है।
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सीओपीडी के लक्षण
सीओपीडी होने पर सांस लेने में मुश्किल आने लगती है। लेकिन यह समस्या कई सालों में धीरे-धीरे विकसित होती है और इसमें आप इस बात को समझ नहीं पाते हैं कि यह बीमारी आपको कब से है। सीओपीडी से ग्रसित अधिकांश लोग इस समस्या के आम लक्षणों को तब तक जान नहीं पाते हैं, जब तक कि वो 40 से 50 की आयु तक नहीं पहुंचते। इसके कुछ लक्षण हैं जो इस प्रकार हैं-
- बलगम के साथ लगातार खांसी आना
- सीने में संक्रमण होना
- लगातार गले में खिच-खिच (खराश) होना
- सीने में जकड़न
- रोज फेफड़ों से बलगम को साफ करने की जरूरत होना
- लगातार सर्दी जुकाम होना
- फ्लू या अन्य सांस संबंधी संक्रमण होना
- कमजोरी आना
दुनिया भर में सीओपीडी मौत का तीसरा प्रमुख कारण
जाइडस कैडिला कंपनी ने अपने लॉन्च किए हुए उत्पाद की जरूरत के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि सीओपीडी एक सामान्य श्वसन विकार है जिसके कारण मरीज का रोजाना का कामकाज या गतिविधियां प्रभावित होती हैं। इतना ही नहीं सीओपीडी जीवन की गुणवत्ता को भी सीमित करता है। इसके अलावा सीओपीडी दुनिया भर में मौत का तीसरा प्रमुख कारण है और भारत में अनुमानित साढ़े 5 करोड़ से अधिक (55.3 मिलियन) मरीज सीओपीडी से पीड़ित हैं।
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कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (मैनेजिंग डायरेक्टर) शरविल पटेल ने बताया "हमारी नई खोज और पद्धतियों की मदद से सांस संबंधी समस्या, महिला स्वास्थ्य, कार्डियो-मेटाबोलिक संबंधी विकार, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और दर्द प्रबंधन के क्षेत्र में नेक्स्ट जेनरेशन थेरेपी देने में मदद मिलेगी। इस नई तकनीक के साथ, हम सीओपीडी से पीड़ित रोगियों को राहत पहुंचाने और उनके स्वास्थ्य और उनकी मदद करने की उम्मीद करते हैं। साथ ही इस तकनीक से जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।" कंपनी ने कहा कि उसने इस उत्पाद के लिए पेटेंट का आवेदन भी दायर किया है।