कब्ज पाचन से जुड़ी आम समस्या है. आजकल ज्यादातर लोग कब्ज की समस्या से परेशान हैं. कब्ज बनने पर व्यक्ति को मल त्याग करने में मुश्किल होती है. कभी-कभार कब्ज बनना सामान्य है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय तक कब्ज की शिकायत रहती है, तो उसे क्रोनिक कब्ज कहा जा सकता है. क्रोनिक कब्ज होने पर व्यक्ति को लंबे समय तक कब्ज के लक्षणों का अनुभव हो सकता है. जी मिचलाना, पेट में दर्द व कठोर मल आना आदि कब्ज के लक्षण हैं. वहीं, तनाव, आईबीएस व थायराइड आदि को इसका कारण माना गया है. ऐसे में लाइफस्टाइल में बदलाव करके और जरूरत पड़ने पर दवा खाने से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है.

आज इस लेख में आप क्रोनिक कब्ज के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. क्रोनिक कब्ज क्या है?
  2. सारांश
  3. क्रोनिक कब्ज का इलाज
  4. क्रोनिक कब्ज के कारण
  5. क्रोनिक कब्ज के लक्षण
क्रोनिक कब्ज के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

क्रोनिक कब्ज ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को कई हफ्तों तक मल त्याग करने में दिक्कत महसूस होती है. जब किसी व्यक्ति को आमतौर पर सप्ताह में तीन दिन से कम बार मल त्याग होता है, तो उस स्थिति को क्रोनिक कब्ज के रूप में जाना जाता है. क्रोनिक कब्ज की समस्या व्यक्ति को परेशान करने वाली हो सकती है. इस स्थिति में व्यक्ति को पेट में तेज दर्द महसूस हो सकता है, साथ ही दैनिक कार्यों को करने में भी दिक्कत महसूस हो सकती है.

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कब्ज खराब पाचन का एक संकेत होता है. अगर सप्ताह में 3 दिन से कम मल त्याग होता है, तो उसे क्रोनिक कब्ज कहा जाता है. क्रोनिक कब्ज कई कारणों से हो सकता है, इसमें खराब डाइट, इनएक्टिव लाइफस्टाइल, प्रेगनेंसी, डायबिटीज, थायराइड और मलाशय की समस्याएं शामिल हैं. वैसे तो कब्ज को जीवनशैली में बदलाव करके ही ठीक किया जा सकता है, लेकिन क्रोनिक कब्ज होने पर डॉक्टर कुछ दवाइयां लिख सकते हैं. क्रोनिक कब्ज की स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है. अगर आपका रोजाना पेट साफ नहीं होता है, तो इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क जरूर करें.

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क्रोनिक कब्ज को डाइट में अधिक फाइबर व तरल पदार्थों को शामिल करके और फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ाकर ठीक किया जा सकता है. अगर इससे भी क्रोनिक कब्ज ठीक नहीं होती है, तो इसका पूरा इलाज करवाना जरूरी हो जाता है. इसके लिए डॉक्टर कुछ दवाइयां लिख सकते हैं -

सर्जरी

जब क्रोनिक कब्ज दवा से ठीक नहीं होती है, तो डॉक्टर सर्जरी करवाने की भी सलाह दे सकते हैं. ऐसा सिर्फ दुर्लभ मामलों में ही किया जाता है. सर्जरी के दौरान आंत ब्लॉकर और रोगग्रस्त कोलन के हिस्से को हटाया जा सकता है. 

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बायोफीडबैक ट्रेनिंग

बायोफीडबैक ट्रेनिंग एक तरह की बिहेवेरियल थेरेपी है. इसका मुख्य उद्देश्य कब्ज और आंतों से जुड़ी अन्य समस्याओं का इलाज करना होता है. इस थेरेपी को मूत्राशय और आंतों को सहारा देने वाली पैल्विक मसल्स को आराम देने के लिए करवाया जाता है. दरअसल, जब पैल्विक मसल्स को आराम मिलता है, तो मल त्याग को आसान बनाया जा सकता है.   

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प्रिस्क्रिप्शन दवाइयां

अगर ओवर-द-काउंटर लेने के बाद कब्ज में कोई आराम नहीं मिलता है, तो डॉक्टर कुछ दवाइयां लिख सकते हैं. इनमें शामिल हैं-

ये दवाइयां आमतौर पर क्रोनिक कब्ज के इलाज में प्रभावी मानी जाती हैं.

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ओवर-द-काउंटर मेडिशन

अगर कब्ज बन रही है, तो कुछ दवाइयों को बिना डॉक्टर की सलाह के भी ले सकते हैं. इनमें शामिल हैं-

  • फाइबर सप्लीमेंट, जैसे साइलियम. यह दवा मल को जोड़ती है और मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाती है.
  • स्टूल सॉफ्टनर, जैसे सर्फक. यह दवा मल को नरम बनाने में मदद करती है. इससे मल आसानी से बाहर निकल जाता है.
  • ऑस्मोटिक, जैसे फिलिप्स मिल्क ऑफ मैग्नेशिया. यह दवा कोलन में तरल पदार्थ को बढ़ाती है. इससे मल त्याग में आसानी होती है.

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आमतौर पर कब्ज तब होती है, जब अपशिष्ट पदार्थ या मल पाचन तंत्र के माध्यम से धीमी गति से चलता है. इस स्थिति में मल काफी कठोर, सख्त और शुष्क हो जाता है. इसकी वजह से मल त्याग करने में दिक्कत होती है. क्रोनिक कब्ज के कई कारण हो सकते हैं, इनमें शामिल हैं -

हाइपोथायरायडिज्म

हाइपोथायरायडिज्म यानी अंडरएक्टिव थायराइड क्रोनिक कब्ज के लक्षणों का एक कारण बन सकता है. दरअसल, जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती है, तो मेटाबॉलिज्म पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है. इस स्थिति में मेटाबॉलिज्म और पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है, जिससे कब्ज हो जाता है. 

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कुछ दवाइयां

कुछ मामलों में दवाइयां भी कब्ज का कारण बन सकती हैं. एंटीडायरेहियल एजेंट, एनीमिया का इलाज करने वाले आयरन सप्लीमेंट, पेनकिलर और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स कब्ज बना सकते हैं.

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प्रेगनेंसी

प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज होना आम होता है. 5 में से 2 महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज की शिकायत करती है. दरअसल, प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का अधिक उत्पादन होने लगता है, इससे आंतों की मांसपेशियों को कॉन्ट्रैक्ट करने में कठिनाई होती है. इसकी वजह से कब्ज बनने लगती है. 

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तनाव

तनाव डायबिटीज, थायराइड और मोटापे के साथ ही कब्ज का भी कारण बन सकता है. अगर कोई अक्सर ही तनाव में रहता हैं, तो उसे कब्ज से परेशान होना पड़ सकता है. तनाव में रहने की वजह से पाचन रुक जाता है, इससे भोजन को आंत से मलाशय तक आने में काफी समय लग जाता है. ऐसे में मल त्याग के दौरान गंभीर दर्द हो सकता है.

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आईबीएस

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आईबीएस आंतों की एक बीमारी है. आईबीएस कब्ज का एक मुख्य कारण हो सकता है. जिस व्यक्ति को आईबीएस होता है, उसे अक्सर ही कब्ज से परेशान होना पड़ता है. आईबीएस वाले व्यक्ति को क्रोनिक कब्ज हो सकती है.

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डायबिटीज

हाइपोथायरायडिज्म की तरह ही डायबिटीज भी एक हार्मोनल समस्या है. डायबिटीज में शरीर इंसुलिन हार्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाता है, जिससे शरीर रक्त में शुगर को तोड़ पाने में समर्थ नहीं होता है. इससे ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ता है. लगातार बढ़ा हुआ शुगर का स्तर नसों को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे पाचन तंत्र को नियंत्रित करने वाली नसें भी डैमेज होने लगती हैं, जिससे कब्ज हो सकती है.

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पेल्विक मांसपेशियों में समस्याएं

पैल्विक मांसपेशियों में समस्या होने पर क्रोनिक कब्ज बन सकती है. इस स्थिति में व्यक्ति के लिए मल का त्याग करना बहुत मुश्किल हो जाता है. पेट में दर्द और ऐंठन भी हो सकती है.

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कोलन और मलाशय की नसों में समस्या

कोलन और मलाशय के आसपास की नसों में कोई समस्या होने पर भी क्रोनिक कब्ज बन सकती है. दरअसल, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं उन नसों को प्रभावित कर सकती हैं, जो कोलन और मलाशय में मांसपेशियों को जोड़ती हैं. साथ ही इस स्थिति में आंतों के माध्यम से मल को निकलने में भी दिक्कत होती है.

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मलाशय में रुकावट

मलाशय या कोलन में किसी भी तरह की रुकावट आने पर क्रोनिक कब्ज की शिकायत हो सकती है. दरअसल, जब मलाशय में रुकावट आती है, तो मल की गति धीमी या बंद हो जाती है. इस स्थिति में कब्ज की समस्या होने लगती है. मलाशय में रुकावट पेट के कैंसर या फिर मलाशय के कैंसर की वजह से हो सकती है.

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खराब जीवनशैली और डाइट

खराब जीवनशैली और डाइट को क्रोनिक कब्ज का एक मुख्य कारण माना जाता है. जो व्यक्ति समय पर खाना नहीं खाता, देर रात को खाना खाता है या फिर जंकफूड-फास्टफूड का अधिक सेवन करता है, उसे कब्ज की दिक्कत हो सकती है. इसके अलावा, फाइबर और पानी की कमी होने पर भी क्रोनिक कब्ज बन सकती है. जो लोग शराब व कैफीन लेते हैं, उनमें क्रोनिक कब्ज हो सकती है. इसके अलावा, शारीरिक रूप से एक्टिव न रहने पर और हमेशा तनाव से घिरे रहने पर भी मल त्याग में मुश्किल हो सकती है.

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जब कब्ज होती है, तो शुरुआत में ही इसके लक्षण नजर आने लगते हैं. जैसे-जैसे कब्ज की स्थिति गंभीर होती जाती है, यह क्रोनिक कब्ज का रूप ले लेता है. क्रोनिक कब्ज होने पर कई लक्षण महसूस हो सकते हैं -

  • सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग करना
  • कठोर और सख्त मल आना
  • गांठदार मल निकलना
  • मल त्याग के लिए जोर लगाना
  • मलाशय में रुकावट महसूस होना
  • मलाशय से मल को पूरी तरह से खाली न कर पाना
  • जी मिचलाना
  • पेट में तेज दर्द
  • पेट में ऐंठन
  • भूख कम लगना
  • मल त्याग के दौरान चुभन महसूस होना

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