सर्दी जुकाम भारत समेत दुनियाभर में सबसे आम संक्रामक रोगों में से एक है। हर साल, इस बीमारी के अरबों मामले दर्ज और इलाज किए जाते हैं। यह विभिन्न प्रकार के वायरस के कारण हो सकता है। हालांकि, राइनोवायरस इनका सबसे आम प्रकार है, 50 प्रतिशत सर्दी जुकाम के मामलों के लिए इस वायरस को जिम्मेदार माना जाता है। चूंकि, यह एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए यह आसानी से हवा के माध्यम से फैल सकती है। यह बीमारी किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने या दूषित स्थान (जहां वायरस मौजूद है) के आसपास जाने से हो सकती है।

सर्दी जुकाम के सबसे आम लक्षण हैं :

वायरस के संपर्क के करीब 2-3 दिनों के अंदर ये लक्षण विकसित हो सकते हैं। हालांकि, अक्सर यह स्थिति लगभग 2 सप्ताह तक बनी रह सकती है और बहुत परेशानी का कारण बनती है। घरेलू उपचार और ओवर-द-काउंटर (दवाइयां, जिन्हें डॉक्टर के पर्चे के बिना सीधे फार्मासिस्ट से खरीदा जा सकता है) एलोपैथिक दवाएं आम सर्दी के लिए सबसे आम उपचार के तरीके हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर पूर्ण राहत मिलती है।

होम्योपैथिक में भी इस बीमारी के लिए बड़ी मात्रा में दवाइयां उपलब्ध हैं। यह दवाइयां व्यक्ति के लक्षण और बीमारी की प्रवृत्ति के आधार पर दी जाती हैं। इनमें एकोनाइटम नैपेलस, ब्रायोनिया, बेलाडोना और नक्स वोमिका जैसे उपचार शामिल हैं।

  1. सर्दी जुकाम के लिए होम्योपैथिक दवाएं - Sardi Jukam ki homeopathic medicine
  2. सर्दी जुकाम के रोगियों के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव - Sardi Jukam ke homeopathic upchar ke samay kya khaye kya nahi
  3. सर्दी जुकाम के लिए होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं - Sardi Jukam ki homeopathic dawa kitni Kargar
  4. जुकाम सर्दी के लिए होम्योपैथिक दवा के दुष्प्रभाव और जोखिम - Sardi Jukam ki homeopathic dawa ka jokhim
  5. टिप्स - Takeaway

एकोनाइटम नैपेलस
सामान्य नाम :
मौंकशूद
लक्षण : एकोनाइटम नैपेलस को अक्सर 'एक्यूट वायरल इंफेक्शन' के मामले के लिए दिया जाता है, यह बुखार की तरह होता है। यह निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करता है :

एकोनाइटम नैपेलस से लाभ पाने वाले व्यक्ति अक्सर खुली हवा में बेहतर महसूस करते हैं और शाम व रात के समय और ठंड के मौसम में उनकी स्थिति बिगड़ जाती है।

एलियम सेपा
सामान्य नाम :
रेड ओनियन
लक्षण : निम्नलिखित सामान्य लक्षण बताए गए हैं, जिसके लिए एलियम सेपा निर्धारित है :

  • नाक से पानी आना
  • सिरदर्द, जो ज्यादातर माथे वाले हिस्से को प्रभावित करता है
  • गला बैठना
  • खांसना और छींकना
  • थकान

शाम को और गर्मी में यह लक्षण बिगड़ जाते हैं, जबकि खुली हवा और ठंडे वातावरण में इन लक्षणों से राहत मिलती है।

आर्सेनिकम एल्बम
सामान्य नाम :
आर्सेनिक एसिड
लक्षण : निम्नलिखित लक्षणों में आर्सेनिकम एल्बम की जरूरत होती है :
सिरदर्द, जो कोल्ड एप्लीकेशन (जैसे ठंडे पानी या बर्फ की सिकाई) से बेहतर हो जाता है

  • सूखा और सूजा हुआ गला
  • नाक से पानी आना
  • बंद नाक
  • रात में खांसी आना
  • तेज बुखार

ठंड और नम मौसम में रोगी की स्थिति खराब हो जाती है, जबकि हीट एप्लीकेशन (जैसे गर्म पानी की सिकाई) से लक्षणों में सुधार होता है।

बेलाडोना
सामान्य नाम :
डेडली नाइटशेड
लक्षण : बेलाडोना निम्नलिखित लक्षणों का इलाज करने में मदद करता है :

  • अचानक बुखार आना
  • गले में खराश और गला सूख जाना
  • सिरदर्द
  • कान में दर्द
  • सूखी खांसी के साथ बलगम

सभी लक्षण दोपहर में बढ़ते हैं और व्यक्ति 'सेमी एरेक्ट' पोजिशन (न पूरी तरह से लेटना न बैठना) में बेहतर महसूस करता है।

ब्रायोनिया अल्बा
सामान्य नाम :
वाइल्ड हॉप्स
लक्षण : ब्रायोनिया अल्बा शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द के लिए निर्धारित है। इसका असर उन व्यक्तियों में अच्छा होता है जो चिड़चिड़े स्वभाव के और आमतौर पर सांवले रंग के होते हैं। ब्रायोनिया अल्बा का उपयोग करके निम्नलिखित लक्षणों का इलाज किया जा सकता है :

  • सूखी और दर्दनाक खांसी
  • सिरदर्द
  • सूखे और फटे होंठ (और पढ़ें : फटे होंठों के लिए घरेलू उपचार)
  • गला और मुंह सूखने के कारण खूब प्यास लगना
  • बलगम, जिसे बाहर निकालना मुश्किल होता है। गर्म मौसम में यह स्थिति और खराब हो जाती है
  • गर्दन और हाथ पैर में अकड़न
  • बुखार

गर्म वातावरण में इन लक्षणों में सुधार होता है, जबकि ठंडे मौसम में व ठंडी चीजें खाने पीने से लक्षणों से राहत मिलती है।

डलकैमारा
सामान्य नाम :
बिटर स्वीट्स
लक्षण : अक्सर गर्मी के मौसम के अंत में होने वाली स्थितियों के लिए डलकैमारा निर्धारित किया जाता है। यह अत्यधिक मात्रा में बलगम और सूखी नाक के लिए एक प्रभावी उपाय है। निम्नलिखित लक्षणों में भी इस उपाय की मदद ली जा सकती है :

  • ठंड के मौसम के कारण सिरदर्द
  • नाक से गाढ़ा और पीला बलगम आना
  • सूखी और बंद नाक
  • कान में दर्द
  • गले में खराश
  • सफेद बलगम निकलना
  • सूखी खांसी के साथ अत्यधिक बलगम आना
  • हथेलियों में पसीना आना
  • ठंड लगने के साथ बुखार

ठंड के मौसम में (खासकर रात के दौरान) यह लक्षण बिगड़ जाते हैं, जबकि व्यक्ति गर्म वातावरण में अच्छा महसूस करता है।

यूफ्रेशिया ऑफिसिनैलिस
सामान्य नाम :
आईब्राइट
लक्षण : वे लक्षण जिन्हें यूफ्रेशिया ऑफिसिनैलिस के जरिए ठीक किया जा सकता है, निम्नलिखित हैं :

  • अत्यधिक सिरदर्द
  • अधिक खांसी आना
  • चिपचिपा बलगम आना
  • दिन के दौरान ज्यादा खांसी आना
  • रात को पसीना आने के साथ बुखार
  • ठंड लगना

व्यक्ति अक्सर शाम के समय और गर्म हवाओं के संपर्क में आने के बाद लक्षणों के बिगड़ने की शिकायत करता है, लेकिन कैफीन का सेवन बलगम के जमाव को कम करता है।

फेरम फास्फोरिकम
सामान्य नाम :
फॉस्फेट ऑफ आयरन
लक्षण : फेरम फास्फोरिकम ब्रोंकाइटिस सहित छाती से जुड़ी स्थितियों के लिए निर्धारित है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों में भी असर करती है :

रात और शाम की शुरुआत के दौरान लक्षण बिगड़ जाते हैं। हालांकि, कोल्ड एप्लिकेशन (जैसे ठंडी चीज से ​सिकाई) अस्थायी राहत दे सकती हैं।

जेल्सेमियम सेंपरविरेंस
सामान्य नाम :
येलो जैस्मिन
लक्षण : येलो जैस्मिन उन लोगों के लिए निर्धारित है, जो मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना और थकान का अनुभव करते हैं। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों में भी मदद कर सकती है :

  • सुस्ती व मानसिक रूप से थकावट
  • सिरदर्द - व्यक्ति को लेटने पर सिर में भारीपन महसूस होता है
  • अत्यधिक ऊंघाई आना
  • खांसी के साथ नाक से पानी आना
  • नाक सूखना
  • कुछ भी निगलने पर दर्द व गले में खराश
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • सांस लेने में दिक्कत व छाती में भारीपन

यह लक्षण सुबह के दौरान और नम मौसम में खराब हो जाते हैं, जबकि खुली हवा में इन लक्षणों से राहत मिलती है।

हेपर सल्फर
सामान्य नाम :
हैनिमैन कैल्शियम सल्फाइड
लक्षण : हेपर सल्फर कमजोर मांसपेशियों के साथ गोरी त्वचा वालों के लिए अनुकूल है। यह अक्सर ज्यादा बलगम आने की स्थिति में निर्धारित किया जाता है। इस उपाय का इस्तेमाल निम्नलिखित लक्षणों में किया जाता है:

  • पसीना आना, साथ में सिरदर्द
  • आंखें लाल होना व उनमें दर्द होना
  • गले में खराश और नाक बहना
  • खांसी के साथ मोटा बलगम
  • भोजन निगलने में कठिनाई
  • गले में खराश व दर्द जो कि कानों की ओर बढ़ता है
  • ठंड और शुष्क हवाओं के संपर्क में आने पर अत्यधिक उबासी और खांसी
  • खुली हवा में बाहर जाने पर ठंड लगना
  • रात को पसीना आना

यह लक्षण ठंडे और शुष्क मौसम में खराब होते हैं, जबकि गर्म मौसम में राहत मिलती है।

कैलियम बिक्रोमिकम
सामान्य नाम :
बाईक्रोमेट ऑफ पोटाश
लक्षण : यह उपाय श्लेष्मा झिल्ली (मुंह, नाक और गले की अंदरूनी परत) को प्रभावित करता है। कैलियम बिक्रोमिकम के जरिए निम्न लक्षणों से छुटकारा मिल सकता है :

  • सिरदर्द, विशेष रूप से आंखों के ऊपर माथे वाले हिस्से में
  • बाएं कान में तेज दर्द
  • नाक से पानी निकलना
  • बंद नाक
  • नाक से गाढ़ा, पीला-हरा बलगम निकलना
  • गले में खराश
  • शाम के समय सांस लेने में कठिनाई व कर्कश आवाज

यह लक्षण सुबह के समय और बढ़ते तापमान के साथ तेजी से बिगड़ते हैं। हालांकि, हीट अप्लाई से कुछ लोगों को लक्षणों से राहत मिल सकती है।

नैट्रियम म्यूरिएटिकम
सामान्य नाम :
क्लोराइड ऑफ सोडियम
लक्षण : नैट्रियम म्यूरिएटिकम अक्सर उन लोगों के लिए निर्धारित किया जाता है, जिनमें अक्सर ठंड पकड़ने की प्रवृत्ति होती है। इसके अलावा यह निम्न लक्षणों को भी ठीक करता है :

  • सुबह जल्दी उठने पर सिरदर्द
  • आंखों में भारीपन और जलन
  • नाक से पानी निकलना
  • बंद नाक और सांस लेने में कठिनाई
  • सुबह के समय में बुखार व साथ में कमजोरी व ठंड लगना
  • दोपहर के समय चक्कर आना

यह लक्षण सुबह के समय व किसी गतिविधि में शामिल होने पर गंभीर हो सकते हैं। ठंडे मौसम और खुली हवा में लक्षणों से राहत मिल सकती है।

नक्स वोमिका
सामान्य नाम :
पॉइजन नट
लक्षण : नक्स वोमिका पतले, सक्रिय व्यक्तियों में अच्छी तरह से काम करता है। इसके अलावा यह निम्न लक्षणों में भी मदद करता है :

  • सिरदर्द (ज्यादातर आंखों के ऊपर वाले हिस्से में) व साथ में शोर, रोशनी और गंध के प्रति अतिसंवेदनशीलता
  • रात के समय नाक बंद हो जाना, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है
  • गले में खरास
  • खांसने पर छाती में दर्द होना
  • सूखी खांसी
  • ठंड लगना व साथ में बुखार

सुबह के समय, शुष्क और ठंडे मौसम में लक्षण बिगड़ जाते हैं, जबकि आराम करने पर, शाम के समय में इन लक्षणों से राहत मिलती है।

पल्सेटिला प्रेटेंसिस
सामान्य नाम :
वाइंड फ्लावर
लक्षण : पल्सेटिला प्रेटेंसिस ऐसे संवेदनशील व्यक्तियों पर अच्छा असर करता है, जिन्हें बात करते समय आसानी से रोना आ जाता है। यह श्लेष्म झिल्ली को प्रभावित करने वाली स्थितियों के लिए एक प्रभावी उपाय है। वाइंड फ्लावर से निम्न लक्षणों का भी इलाज किया जा सकता है :

  • थकावट से सिरदर्द
  • सुनने में कठिनाई, व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे उनके कान में कुछ भरा है
  • पलकों में जलन के साथ आंखों में सूजन
  • नाक का दांया हिस्सा बंद होना
  • नाक से पीले रंग का बलगम आना, विशेष रूप से सुबह के समय
  • शाम और रात के समय सूखी खांसी आना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • शाम के शुरुआती समय में सर्दी लगने के साथ हल्का बुखार

हीट अप्लाई या गर्म मौसम में स्थिति बिगड़ती है। दूसरी ओर, कोल्ड अप्लाई और ठंड के मौसम के लक्षणों से राहत मिलती है।

(और पढ़ें - सर्दी जुकाम का आयुर्वेदिक इलाज)

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ज्यादातर लोगों को लापरवाही के कारण सर्दी-जुकाम की समस्या होती है। सावधानी व अच्छी तरह से न रहने के कारण लोगों का स्वास्थ्य खराब रहता है और बीमारियां फैलने लगती हैं। ऐसे में स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने जैसे छोटे कदम की बदौलत बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

यदि कोई व्यक्ति होम्योपैथिक दवाएं ले रहा है, तो डॉक्टर उसे निम्नलिखित सुझाव दे सकता है :

क्या करना चाहिए

  • होम्योपैथिक दवाएं अत्यधिक घुलनशील रूप में तैयार की जाती हैं, ऐसे में कई प्रकार के आहार और जीवन शैली के कारण आसानी से इन दवाइयों का असर प्रभावित हो सकता है। इसलिए, होम्योपैथिक डॉक्टर द्वारा सुझाई गई बातों का अच्छे से व सावधानीपूर्वक पालन करना चाहिए।
  • खुद व अपने आसपास की साफ-सफाई बनाए रखें, ताकि किसी तरह का वायरल संक्रमण न हो सके
  • ढीले व आरामदायक कपड़े पहनें

क्या नहीं करना चाहिए

  • शराब और कैफीन से बचें, क्योंकि वे होम्योपैथिक दवा के काम में बाधा डालते हैं।
  • नमकीन और खट्टे भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि वे उपचार पर नकारात्मक असर करते हैं।
  • होम्योपैथिक असर ठीक से हो सके, इस​के लिए मसालेदार खाद्य पदार्थ या फ्लेवर वाले भोजन से भी बचा जाना चाहिए।

(और पढ़ें - सर्दी जुकाम के घरेलू उपाय और नुस्खे)

चूंकि, सर्दी जुकाम एक हल्का व आत्म-सीमित रोग है, इसलिए अधिकांश लोगों को इस स्थिति के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, लंबे समय तक बुखार या बढ़ते लक्षणों के मामलों में चिकित्सक से परामर्श लेना एक अच्छा विचार हो सकता है। आमतौर पर डॉक्टर ठंड के लक्षणों का प्रबंधन करने के लिए दवाएं दे सकते ​हैं, क्योंकि इस स्थिति के लिए उपयुक्त दवा नहीं है। निर्धारित उपचार केवल लक्षणों को दबाने का कार्य करते हैं।

सर्दी जुकाम के लक्षणों के लिए होम्योपैथी में कई अलग-अलग दवाएं मौजूद हैं। ये लक्षणों को दबाने का काम नहीं करती हैं, लेकिन संक्रमण से लड़ने के लिए रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करती हैं।

इसके अतिरिक्त, एक होम्योपैथिक चिकित्सक मरीज के परीक्षण (लक्षणों और शारीरिक और मानसिक उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए) के बाद उपाए निर्धारित करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो, प्रत्येक उपाय प्रत्येक मरीज पर एक जैसा असर नहीं करते हैं, क्योंकि हर मरीज की स्थिति अलग-अलग होती है और होम्योपैथी में स्थिति के अनुसार ही दवाइयां निर्धारित की जाती हैं। कुछ वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद हैं जो यह बताते हैं कि होम्योपैथिक उपचार सर्दी-जुकाम के प्रति प्रभावी है।

एक सिंगल ब्लाइंड स्टडी में, सर्दी-जुकाम से पीड़ित 485 लोगों को शामिल किया गया। इसके बाद उन्हें निश्चित अवधि के लिए एस्पिरिन या होम्योपैथिक दवाइयां दी गईं, जिसमें एकोनिटम, ब्रायोनिया, फॉस्फोरस इत्यादि शामिल थे। दोनों समूहों ने लक्षणों से समान राहत का अनुभव किया, यह दर्शाता है कि होम्योपैथिक उपचार प्रमाणित दवाओं के समान प्रभावी है। सिंगल ब्लाइंड स्टडी एक प्रकार का नैदानिक परीक्षण, जिसमें केवल अध्ययन करने वाले शोधकर्ता को पता होता है कि प्रतिभागियों को कौन सा उपचार दिया जा रहा है।

एक डबल-ब्लाइंड स्टडी में, एक समूह को या तो प्लेसबो दिया गया था या ​तो विन्सेटॉक्सिकम और सल्फर के मिश्रण को दिया गया था। यद्यपि यह उपाय बीमारी की आवृत्ति को कम नहीं करता था, लेकिन यह बीमार व्यक्ति में लक्षणों को प्रबंधित करने में सहायक है। डबल-ब्लाइंड स्टडी में न तो प्रतिभागियों और न ही प्रयोगकर्ताओं को पता है कि मरीज कौन सा उपचार प्राप्त कर रहा है। इस प्रक्रिया का उपयोग अनुसंधान परिणामों में पूर्वाग्रह को रोकने के लिए किया जाता है।

होम्योपैथिक उपचार पूरी तरह से प्राकृतिक पदार्थों से तैयार किए जाते हैं, इन्हें घुलनशील रूप में बनाया जाता है। घुलनशील होने से यह विषाक्तता से मुक्त हो जाता है और इसके औषधीय गुण बने रहते हैं। नतीजतन, होम्योपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट दुर्लभ हैं।

हालांकि, एलोपैथिक दवाएं भी प्रभावी होती है, लेकिन यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए असुरक्षित हो सकती हैं। जबकि बच्चों को होम्योपैथिक दवाएं दी जा सकती हैं। फिलहाल, कोई भी उपाय करने से पहले किसी योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

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सर्दी-जुकाम एक वायरल संक्रमण है जो हर साल अरबों लोगों को प्रभावित करता है। आमतौर पर यह हल्की, आत्म-सीमित बीमारी है। हालांकि, कुछ मामलों में गंभीर लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। इसके लिए कोई विशेष दवा नहीं है। जो भी दवाएं मौजूद हैं वे सिर्फ इसके लक्षणों को दबाने का कार्य करती हैं। लेकिन होम्योपैथी में व्यक्ति प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर फोकस किया जाता है ताकि, अपने आप ही सर्दी-जुकाम के वायरस से लड़ सकें।

एलोपैथिक दवाओं के विपरीत, होम्योपैथिक उपचारों के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। हालांकि, होम्योपैथिक ट्रीटमेंट भी अपने आप नहीं लेना चाहिए, क्योंकि हर दवा सभी व्यक्तियों पर एक समान असर नहीं करती है।

संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia. [Internet] US National Library of Medicine; Common Cold
  2. National Health Service [Internet]. UK; Common cold
  3. G. Michael Allan, Bruce Arroll. Prevention and treatment of the common cold: making sense of the evidence. 2014 Feb 18; 186(3): 190–199. PMID: 24468694
  4. British Homeopathic Association. What is homeopathy?. London; [Internet]
  5. William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
  6. Wenda Brewster O’Reilly. Organon of the Medical art by Wenda Brewster O’Reilly . B jain; New Delhi
  7. Rabe A, Weiser M, and Klein P. Effectiveness and tolerability of a homoeopathic remedy compared with conventional therapy for mild viral infections. Int J Clin Pract. 2004 Sep;58(9):827-32. PMID: 15529515.
  8. Bellavite Paolo, et al. Immunology and Homeopathy. 4. Clinical Studies—Part 1. Evid Based Complement Alternat Med. 2006 Sep; 3(3): 293–301. PMID: 16951713.

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हेड कोल्ड

Dr. Ayush Pandey
MBBS,PG Diploma
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