दिन में कुछ कप कॉफी पीना मेटास्टेटिक कोलोरेक्टल कैंसर (या कोलन कैंसर) के मरीजों का न सिर्फ ज्यादा समय तक जिंदा रखने में मदद कर सकता है, बल्कि कैंसर के इस प्रकार को और ज्यादा बढ़ने से रोकने में भी सहायक भूमिका निभा सकता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में यह जानकारी दी गई है। इस प्रतिष्ठित संस्थान के मुताबिक, उसके द्वारा मान्यता प्राप्त डाना-फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट (डीएफसीआई) और कुछ अन्य संस्थानों ने अपने नए अध्ययन के हवाले बताया है कि दिन में कुछ कप कॉफी पीने से कोलन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में मदद मिल सकती है। इन संस्थानों के वैज्ञानिकों ने क्लिनिकल ट्रायल के तहत व्यापक स्तर पर किए ऑब्जर्वेशनल स्टडी से जुड़े डेटा के आधार पर यह जानकारी दी है। ऐसा करते हुए पिछले अध्ययनों के आंकड़ों की भी मदद ली गई है, जिनमें कॉफी के सेवन से नॉन-मेटास्टेटिक कोलोरेक्टल कैंसर के मरीजों में सुधार होने के संबंध को रेखांकित किया गया था। इन सब तथ्यों के साथ इस नए अध्ययन को जानी-मानी अमेरिकी मेडिकल पत्रिका जामा ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
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क्या कहता है अध्ययन?
डीएफसीआई और उसके सहयोगी संस्थानों के वैज्ञानिकों का कहना है कि मेटास्टेटिक कोलोरेक्टल कैंसर के 1,171 मरीजों की जांच करने के बाद उन्होंने पाया है कि दिन में दो से तीन कप कॉफी पीने से इस बीमारी के पीड़ित ज्यादा समय तक जीवित रह सकते हैं और उनके सर्वाइवल की गुणवत्ता भी बढ़ सकती है। यानी इस अवधि का ज्यादातर समय वे बीमारी के और ज्यादा गंभीर हुए बिना बिता सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कॉफी पीने वाले मरीजों की हालत इस पेय को नहीं पीने वाले कोलन कैंसर पीड़ितों की अपेक्षा कम खराब होगी। अध्ययन के हवाले से बताया गया है कि जिन प्रतिभागी मरीजों ने प्रतिदिन ज्यादा मात्रा (चार कप से ज्यादा) के साथ कॉफी का सेवन किया, उन्हें तुलनात्मक रूप से और ज्यादा फायदा मिला। अच्छी बात यह है कि कैफीन और बिना कैफीन दोनों प्रकार की कॉफी के लाभ एक समान पाए गए हैं।
इस महत्वपूर्ण जानकारी के सामने आने के बाद वैज्ञानिकों को कॉफी पीने और कैंसर तथा इससे मौत होने के खतरे के कम होने के संबंध को स्थापित करने में मदद मिली है, जैसा कि पिछले अध्ययनों में भी कहा गया है। हालांकि वैज्ञानिकों ने कहा है कि फिलहाल यह सुझाव देना उचित नहीं होगा कि जो लोग कोलोरेक्टल कैंसर की एडवांस स्टेज में हैं या मेटास्टेटिक कैंसर से पीड़ित हैं, उन्हें ठीक होने के लिए नियमित रूप से प्रतिदिन कॉफी का सेवन शुरू कर देना चाहिए या उसकी मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
इस बारे में अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता और लेखक चेन युआन बताते हैं, 'यह पहले से ज्ञात है कि कॉफी में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और अन्य प्रकार के तत्व होते हैं। एपिडेमियोलॉजिकल स्टडीज से पता चलता है कि तीसरी स्टेज के कोलन कैंसर में जीवित रहने की संभावना के बढ़ने का कॉफी के सेवन से संबंध है। लेकिन मेटास्टेटिक कैंसर फॉर्म के साथ भी ऐसा होता है या नहीं, यह ज्ञात नहीं हुआ है।'
इसी के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिकों ने डेटा आधारित अलायंस/स्वॉग 80405 नाम से स्टडी की शुरुआत की। तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के तहत स्टैंडर्ड कीमोथेरेपी के लिए अध्ययन में कुछ दवाओं का इस्तेमाल किया गया। इन ड्रग्स के नाम हैं सीटूक्जीमैब और बेवाकीजुमैब। स्टडी में शामिल कैंसर पीड़ित प्रतिभागियों का पहले इलाज नहीं हुआ था। इन लोगों में एडवांस स्टेज और मेटास्टेटिक फॉर्म दोनों प्रकार के कोलन कैंसर के मरीज शामिल थे। अध्ययन की शुरुआत में उन्हें जो प्रश्नावली दी गई, उसमें उनके आहार में कॉफी के सेवन से जुड़े सवाल भी शामिल थे। इससे मिली जानकारी को ट्रीटमेंट के बाद के कोर्स के दौरान तुलना के लिए इस्तेमाल किया गया।
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अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों को पता चला कि जो प्रतिभागी पीड़ित स्टडी की शुरुआत में प्रतिदिन दो से तीन कप कॉफी पी रहे थे, उनके कोलन कैंसर से मरने का खतरा कम हुआ पाया गया था। साथ ही उनके कैंसर का बढ़ना भी उन मरीजों की तुलना में कम हो गया था, जो कॉफी नहीं पीते थे। वहीं, जो लोग दिन में चार कप से ज्यादा कॉफी पीते थे, उन्हें इससे कैंसर के खिलाफ और ज्यादा फायदा मिला।
हालांकि इन परिणामों को लेकर वैज्ञानिक जल्दबाजी करने के मूड में नहीं हैं। डीएफसीआई के एक और शोधकर्ता और वरिष्ठ लेखक किमी एनजी का कहना है, 'कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के रूप में कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन करने की सलाह देना जल्दबाजी होगी। लेकिन हमारी स्टडी से यह तो पता चला ही है कि (कोलन कैंसर के मामले में) कॉफी पीने के नुकसान नहीं हैं और संभावित रूप से यह फायदेमंद हो सकती है। इस बारे में और ज्यादा शोध करने की आवश्यकता है ताकि पता चल सके कि कॉफी के सेवन और कोलोरेक्टर कैंसर में सुधार के बीच वाकई में कोई संबंध है या नहीं, और आखिर कॉफी के कौन से तत्व हैं जो इस सुधार के लिए जिम्मेदार हैं।'