चिकनगुनिया एक वायरल रोग है जो मच्छरों से फैलता है। चिकनगुनिया के लक्षण में उच्च बुखार, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, मतली और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं। इस बीमारी के लिए कोई इलाज नहीं है। लेकिन फिर भी इस बीमारी से उबरने में आहार की विशेष भूमिका होती है। यदि आप इस बीमारी में सही आहार का सेवन कर रहे हैं और साथ ही आप कुछ घरेलू उपाय अपनाएं तो आप इस बीमारी के कहर को काफी हद तक कम कर सकते हैं। चिकनगुनिया के बाद दर्द का इलाज और इसके दुष्‍प्रभाव से उबरने में सहायता के लिए आप इन घरेलू उपायों का उपयोग कर सकते हैं –

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  1. चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण से छुटकारा दिलाता है गिलोय - Chikungunya ka upay hai giloy in Hindi
  2. चिकनगुनिया का घरेलू उपाय करें पपीते की पत्तियों से - Chikungunya ka gharelu upay hai papaya leaf in Hindi
  3. चिकनगुनिया के दर्द का उपाय है लहसुन का पेस्ट - Chikungunya se bachne ka upay hai garlic in Hindi
  4. चिकनगुनिया से बचने का तरीका है हल्दी पाउडर - Chikungunya se chutkara dilata hai turmeric in Hindi
  5. चिकनगुनिया का घरेलू नुस्खा है लाल मिर्च - Chikungunya bukhar se chutkara pane ka tarika hai lal mirch in Hindi
  6. चिकनगुनिया के दौरान जोड़ों के दर्द को दूर करने का उपाय है कोल्ड कॉमप्रेस - Chikungunya ka dard jayega cold compress se in Hindi
  7. चिकनगुनिया के बाद जोड़ों के दर्द को करें मालिश से दूर - Chikungunya ke dard ka upay hai oil massage in Hindi
  8. चिकनगुनिया से छुटकारा पाने के लिए करें अंगूर दूध का उपयोग - Chikungunya bukhar se bachne ka upay hai grapes in Hindi
  9. चिकनगुनिया की रोकथाम करें तुलसी से - Chikungunya control karne ka nuskha hai tulsi in Hindi
  10. चिकनगुनिया बुखार से छुटकारा दिलाता है नारियल पानी - Chikungunya virus ka gharelu upay hai coconut water in Hindi

चिकनगुनिया से राहत के लिए अपने भोजन के बाद प्रति दिन दो गिलोय कैप्सूल लें या एक दिन में एक ग्राम की खुराक पर्याप्त है। कुछ हफ्तों तक इस जड़ी बूटी का लगातार सेवन करें। वैज्ञानिक तौर पर इसे टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया (Tinospora cordifolia) कहा जाता है और इसे आमतौर पर 'गुदुची' के नाम से जाना जाता है, इस पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक और हर्बल दवाओं में विभिन्न बीमारियों से जुड़े बुखार के इलाज के लिए किया जाता है। इसके सूजन को कम करने वाले, एंटी-आर्थराइटिस और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (immunomodulatory) गुण चिकनगुनिया के लक्षणों से राहत देते हैं। इसमें रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो संक्रमण से त्वरित राहत में सहायता कर सकते हैं।

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गिलोय को पांच साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देना चाहिए। पांच साल से अधिक बच्चों के लिए रोजाना 250 मिलीग्राम खुराक पर्याप्त होती है। वयस्कों के लिए, दैनिक खुराक प्रति दिन 3 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।

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7-8 ताजे पपीते की पत्तियों को धो लें और बीच से स्टेम (stem) को हटा दें। पत्तों को तोड़कर एक तरल पेस्ट पाने के लिए कुछ पानी मिक्स करें। अब इस मिश्रण को छान लें और इस रस के दो बड़े चम्मच हर तीन घंटे में पिएं। 2-3 दिनों के लिए इस रस का सेवन करना जारी रखें यदि लक्षण बने रहें तो एक और सप्ताह के लिए इसका सेवन जारी रखें।

पपीते की पत्ती न केवल डेंगू बल्कि चिकनगुनिया में भी उतनी ही प्रभावी है। इस बुखार में शरीर के प्लटेलटेस तेजी से गिरते हैं, जिन्हें पपीते की पत्तियां तेजी से बढ़ाती हैं। इस प्रकार यह शरीर को संक्रमण से उबरने में मदद करता है। 

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10-12 लहसुन की कलियों को छिल कर काट लें। पेस्ट प्राप्त करने के लिए इसे पानी के साथ पीस लें। प्रभावित जोड़ों (Joint) पर इस पेस्ट को लगाएँ और कुछ घंटों के लिए लगाकर छोड़ दें। एक दिन में दो बार इस उपाय का पालन करें।

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लहसुन का उपयोग अक्सर जोड़ों में दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। जब इसे बाह्य रूप से लगाया जाता है तो यह दर्द और सूजन को कम करता है और परिसंचरण में भी सुधार करता है।

(और पढ़ें - सूजन कम करने के उपाय)

आधा स्पून हल्दी पाउडर को एक गिलास गुनगुने दूध में मिलाएँ। एक गिलास दूध सुबह और एक गिलास दूध सोने से पहले  पिएं।

हल्दी बड़ी बीमारियों के लिए सबसे प्रभावी घरेलू उपचार में से एक है। हल्दी भारत में भी एक लोकप्रिय मसाला है। हल्दी में करक्यूमिन नामक एक मजबूत एंटीऑक्सीडेंट है जिसमें सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं। ये गुण चिकनगुनिया के लक्षणों के इलाज के लिए हल्दी को एक प्रभावी घरेलू उपाय बनाते हैं।

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पानी में 3 बड़े स्पून लाल मिर्च को 5-10 मिनट के लिए एक डबल बॉयलर पर गर्म करें। अब इसमें आधा कप मोम मिलाएँ और लगातार चलाते रहें जब तक मोम अच्छी तरह से पिघल कर मिश्रित नहीं हो जाती है। अब इसे आँच से हटाए और इस मिश्रण में 1 कप जैतून का तेल मिक्स कर इसे रेफ्रिजरेटर में 10 मिनट के लिए रखें। और फिर प्रभावित जोड़ों पर लगाएँ। आप इस पेस्ट को एक वायुरोधी कंटेनर में 1-2 सप्ताह के लिए स्टोर कर सकते हैं।

लाल मिर्च कैप्सैसिइन में परिपूर्ण होती है जो एक प्रभावी सूजन को कम करने वाले एजेंट के रूप में काम करती है। वैज्ञानिक शोध ने यह सिद्ध कर दिया है कि इस यौगिक (compound) से सूजन कम हो जाती है।

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बर्फ की क्यूब्स को थोड़ा क्रश कर लें और एक छोटे तौलिए में क्रश आइस को लपेटे। कुछ मिनटों के लिए तौलिए को जोड़ों के ऊपर रखें। दिन के दौरान इसे कई बार दोहराएं। सूजन, दर्द और जोड़ों की क्षति को कम करने का सबसे अच्छा तरीका कोल्ड कॉमप्रेस है। यह प्रभावित क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को धीमा करके ऐसा करता है।

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2 बड़े चम्मच कैस्‍टर आयल को हल्का गर्म करें और इसमें एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिलाएँ। अच्छी तरह से मिक्स करें और प्रभावित जोड़ों की कुछ मिनटों के लिए धीरे से मालिश करें। दिन के दौरान दो बार या तीन बार इस तेल के साथ पुन मालिश करें।

अरंडी तेल के सूजन को कम करने वाले गुण चिकनगुनिया विषाणु के कारण दर्द को कम करने के लिए जाने जाते हैं। दालचीनी में भी सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं और यह जोड़ों के दर्द को कम करने में अरंडी तेल को बढ़ावा देती है।

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कुछ बीज निकले हुए अंगूर को चबाएं और इसके साथ दूध पिएं। आप इसे एक या दो दिन के लिए दोहरा सकते हैं।

यह उपाय चिकनगुनिया के गंभीर लक्षण जैसे दर्द और बुखार से राहत देता है। अंगूर को गाय के गुनगुने दूध के साथ लेने पर चिकनगुनिया के वायरस मरते हैं। अंगूरों में मौजूद फिनालिक यौगिक में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीवायरल गुण होते हैं। इस उपाय का उपयोग न करें यदि आपको डेयरी और डेयरी उत्पादों से एलर्जी होती है।

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10 तुलसी के पत्तों को को आधा लिटर पानी में उबाल लें। और तब तक उबाले जब तक कि पानी आधा नहीं हो जाता है। अब इस काढ़े को छाने और पूरा दिन यह घूंटे। कुछ दिनों के लिए इस तुलसी काढ़े का सेवन करते रहें।

तुलसी पत्तियां बहुत प्रभावी होती हैं जब वे चिकनगुनिया की बुखार के इलाज के लिए इस्तेमाल होती है। ये पत्ते बुखार को कम करते हैं और शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देते हैं। उनकी रोगाणुरोधी गतिविधि ठीक करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देती है। 

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कुछ दिनों के लिए दिन के दौरान 3-4 गिलास नारियल पानी पिएं। नारियल का पानी लिवर के साथ साथ चिकनगुनिया वायरस के लिए भी अच्छा उपाय है। नारियल का पानी पीना सबसे अच्छा घरेलू उपचार है क्योंकि यह मरीजों के लिवर को साफ़ करके तेजी से ठीक होने में मदद करता है। इसकी मैंगनीज सामग्री जोड़ों में दर्द को कम करने में मदद करती है क्योंकि यह एक सूजन को कम करने वाले एजेंट के रूप में काम करता है।

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