चिकन पॉक्स भारत के कई क्षेत्रों में छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग मुख्यतः बच्चों और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को होता है। वैसे आमतौर पर इस रोग के प्रभाव हल्के ही होते हैं, लेकिन 12 माह से कम आयु के शिशु व कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले किशोरों, गर्भवती महिलाओं और वयस्कों में इसके गंभीर लक्षण देखें जा सकते हैं। चिकन पॉक्स संक्रामक रोग है, जो आसानी से अन्य लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है। इस रोग का संक्रमण हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे तक फैलता है। शिशुओं, बच्चों और अन्य वयस्कों का इस रोग से बचाव करने के लिए चिकन पॉक्स वैक्सीन का उपयोग किया जाता है।

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चिकन पॉक्स की गंभीरता और इससे बचाव के लिए ही आपको इस लेख में चिकन पॉक्स वैक्सीन के बारे में बताया जा रहा है। साथ ही इस लेख में आपको चिकन पॉक्स वैक्सीन क्या है, चिकन पॉक्स वैक्सीन किस उम्र में दी जानी चाहिए, चिकन पॉक्स वैक्सीन की कीमत, चिकन पॉक्स वैक्सीन के साइड इफेक्ट और चिकन पॉक्स वैक्सीन किसे नहीं दी जानी चाहिए आदि विषयों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।    

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  1. चिकन पॉक्स वैक्सीन क्या है? - Chickenpox vaccine kya hai
  2. चिकन पॉक्स का टीका किस उम्र में दिया जाना चाहिए? - Chickenpox ka tika kis umar me diya jana chahiye
  3. चिकन पॉक्स की कीमत - Chickenpox ki kimat
  4. चिकन पॉक्स के साइड इफेक्ट - Chickenpox ke side effects
  5. चिकन पॉक्स टीका किसे नहीं देना चाहिए? - Chickenpox tika kise nahi dena chahiye
  6. चिकन पॉक्स वैकसीन की खोज किसने की? - Chickenpox vaccine ki khoj
  7. सारांश
चिकन पॉक्स वैक्सीन के डॉक्टर

चिकन पॉक्स के वायरस से शिशुओं और अन्य वयस्कों का बचाव करने के लिए ही चिकन पॉक्स वैक्सीन को बनाया गया है। वैक्सीन लेने के बाद इसके वायरस से संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है। चिकन पॉक्स वैक्सीन को जानने के लिए आपको चिकन पॉक्स (छोटी माता) के बारे में भी समझना होगा कि यह रोग होता क्यों है। आपको बता दें कि इस रोग को वेरिसेला (varicella) भी कहा जाता है। यह रोग वेरिसेला जोस्टर वायरस (वीजेडवी, VZV) के कारण होता है। इसकी वजह से रोगी को खुजली होने लगती है, जो सामान्यतः एक सप्ताह में ठीक हो जाती है। इसके साथ ही इसमें निम्न तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।

चिकन पॉक्स में होने वाले गंभीर लक्षण –

चिकन पॉक्स के गंभीर लक्षण में रोगी को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस रोग से कुछ मामलों में रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। चिकन पॉक्स होने पर बच्चे को पांच से छह दिनों तक घर पर ही रहने की आवश्यकता होती है। कुछ लोगों को चिकन पॉक्स में रैश हो जाते हैं। इनको शिंगल्स (shingles) भी कहा जाता है।   

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इससे बचाव के लिए चिकन पॉक्स वैक्सीन दी जाती है। चिकन पॉक्स वेरिसेला जोस्टर वायरस के कारण होती है, इस वजह से इसको वेरिसिला वैक्सीन भी कहा जाता है। यह वैक्सीन कमजोर और सूक्ष्म वायरस से बनाई जाती है। यह वायरस शरीर पर अन्य वायरस की अपेक्षा कम दुष्प्रभाव डालते हैं। वैक्सीन में शामिल होने वाले वायरस चिकन पॉक्स होने का कारण नहीं होते हैं और व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता को उत्तेजित करने का काम करते हैं। 

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चिकन पॉक्स वैक्सीन बच्चों को 12 महीने से 12 साल के बीच दो खुराक में दी जा सकती है। वैक्सीन देने की सही उम्र के बारे में नीचे जानें:

  • पहली खुराक: बच्चे के 12 से 15 महीनों के बीच, 0.5 मिली लीटर
  • दूसरी खुराक: बच्चे के 4 साल से 6 साल का होने के बीच, 0.5 मिली लीटर

13 साल या उससे अधिक आयु के जिन किशोरों को पहले कभी चिकन पॉक्स नहीं हुआ हो और ना ही उन्होंने कभी इसकी वैक्सीन को ली हो, तो ऐसे में उनको कम से कम 28 दिनों के अंदर दो खुराक लेनी चाहिए। बच्चों और वयस्कों को वैक्सीन 0.5 मिलीलीटर से 0.65 मिलीलीटर मात्रा में देने की आवश्यकता होती है।

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साथ ही जिन लोगों ने चिकन पॉक्स वैक्सीन की मात्र एक ही खुराक ली है, उनको भी दूसरी खुराक जरूर लेनी चाहिए। 13 साल से कम आयु के बच्चों को कम से कम तीन महीनों के बाद इसकी दूसरी खुराक लेनी चाहिए, जबकि 13 साल से अधिक आयु के बच्चे और वयस्कों को इसकी दूसरी खुराक को न्यूनतम 28 दिनों के भीतर लेनी चाहिए।

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एक टीके के संयोजन को एमएमआरवी (MMRV) कहा जाता है, इसमें चिकन पॉक्स वैक्सीन और एमएमआर वैक्सीन साथ में मिली होती हैं। 12 माह से एक साल तक के बच्चों के लिए एमएमआरवी भी एक विकल्प होती है।  

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भारत में मिलने वाली कुछ चिकनपॉक्स वैक्सीन और उसकी कीमत को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

चिकनपॉक्स वैक्सीन  कीमत
जोस्टावैक्स (Zostavax) 7650 
वैरीलरीक्स वैक्सीन (Varilrix Vaccine) 1709
वैरीवैक्स वैक्सीन (Varivax Vaccine) 1690 
बॉयोवैक वी वैक्सीन (Biovac V Vaccine) 1799

 

चिकन पॉक्स वैक्सीन सुरक्षित होती है और यह चिकन पॉक्स के बचाव के लिए प्रभावी रूप से काम करती है। लेकिन अन्य वैक्सीन की तरह इससे भी साइड इफेक्ट होने की संभावनाएं काफी अधिक होती है। सामान्यतः चिकन पॉक्स के टीके से किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है। यह वैक्सीन दो खुराक में दी जाती है और इसके दुष्प्रभाव दूसरी खुराक की अपेक्षा ज्यादातर पहली खुराक में अधिक देखने को मिलते हैं।

चिकन पॉक्स वैक्सीन से होने वाले सामान्य साइड इफेक्ट

चिकन पॉक्स वैक्सीन से गंभीर दुष्प्रभाव बेहद ही कम मामलों में होते हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में चिकन पॉक्स का टीका लगाने के बाद रैशेज, फेफड़े और लीवर में संक्रमण, मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार), दौरे पड़ना, निमोनिया और टीके में मौजूद वायरस से अन्य गंभीर संक्रमण होने लगते है।

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जिन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर होती है, उनको वैक्सीन लेने के बाद गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। 

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निम्न तरह की स्थिति में लोगों को चिकन पॉक्स वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए या डॉक्टर से पूछने के बाद ही लेनी चाहिए।

  • गंभीर और घातक एलर्जी होने पर :
    यदि पहले कभी व्यक्ति या शिशु को वैक्सीन लेने के बाद गंभीर एलर्जी को सामना करना पड़ा हो या इंजेक्शन की जगह पर एलर्जी हुई हो तो ऐसे में व्यक्ति या शिशु को चिकन पॉक्स वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए। 
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  • प्रेग्नेंट या प्रेग्नेंसी के प्रयास करने वाली महिलाएं :
    गर्भवती महिला को चिकन पॉक्स वैक्सीन लेने के लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए। इसके अलावा चिकन पॉक्स वैक्सीन को लेने के बाद महिला को प्रेग्नेंसी का प्रयास करने के लिए कम से कम एक महीने का इंतजार करना चाहिए। 
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  • कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता :
    एचआईवी या अन्य इलाज जैसे रेडिएशन, इम्युनोथैरेपी, स्टेरॉयड व कीमोथेरेपी की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर भी चिकन पॉक्स वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। 
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  • परिवार में किसी को रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी समस्या होना –
    यदि व्यक्ति या शिशु के परिवार में पहले किसी सदस्य को रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी समस्या हो तो ऐसे में डॉक्टरी सलाह के बाद ही चिकन पॉक्स वैक्सीन को लेना चाहिये।
     
  • हाल ही में खून चढ़ाया हो या खून के किसी तत्व को ग्रहण किया हो –
    इस स्थिति में चिकन पॉक्स का टीका लेने से पहले करीब तीन महीने या अधिक समय के लिए इंतजार करना चाहिए। 
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  • टीबी –
    टीबी के मरीज को चिकन पॉक्स वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। 
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  • किसी अन्य वैक्सीन को लेना –
    पिछले चार महिनों में किसी अन्य टीके या वैक्सीन को लेना। 
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  • तबीयत खराब होना –
    आमतौर पर किसी बीमारी के हल्के लक्षण (जैसे सर्दी जुकाम आदि) होने पर चिकन पॉक्स के टीके को लगाने के लिए इंतजार नहीं करना होता है। लेकिन अगर बीमारी के लक्षण ज्यादा गंभीर हैं तो ऐसे में टीके को लेने से पहले डॉक्टर की राय लेनी चाहिए।

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चिकन पॉक्स वैक्सीन की खोज जापानी विषाणु विज्ञानी (virologist) डॉ मिशियाकी ताकाहाशी (Dr. Michiaki Takahashi) ने की थी। डॉ ताकाहाशी ने इस वैक्सीन में उपयोग किए जाने वाले वायरस की पहचान कर इस टीके का निर्माण किया। 1972 में इस दवा के सभी प्रयोग सफलता पूर्वक पूरे किए गए। जिसके कुछ ही सालों बाद यह वैक्सीन जापान और अन्य देशों में भी इस्तेमाल होना शुरू हो गई। 

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चिकन पॉक्स वैक्सीन, जिसे वैरिकैला टीका भी कहा जाता है, एक प्रभावी और सुरक्षित उपाय है जो चिकन पॉक्स (जलVar) से बचाव करता है। यह बीमारी आमतौर पर बच्चों में होती है और त्वचा पर खुजली वाले फफोले, बुखार और थकावट का कारण बनती है। वैक्सीन शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर संक्रमण को रोकती है या इसके प्रभाव को कम करती है। आमतौर पर यह टीका दो डोज़ में दिया जाता है—पहली डोज़ 12-15 महीने की उम्र में और दूसरी 4-6 साल की उम्र में। यह टीका न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि सामूहिक प्रतिरक्षा (हर्ड इम्युनिटी) भी बढ़ाता है। चिकन पॉक्स से संबंधित गंभीर जटिलताओं, जैसे निमोनिया और त्वचा संक्रमण, को रोकने के लिए यह टीका अत्यधिक अनुशंसित है।

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