परिचय
पेट के ऊपर व गर्दन के नीचे (छाती) के क्षेत्र में किसी प्रकार की तकलीफ या दर्द आदि होने की स्थिति को छाती में जकड़न कहा जा सकता है। छाती में जकड़न की समस्या किसी भी उम्र में या किसी भी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति को हो सकती है। इस स्थिति में सीने में जलन, दबाव महसूस होना और दर्द जैसी समस्याएं होने लग जाती हैं।
ऐसी बहुत सारी स्थितियां हैं जिनसे छाती में जकड़न होती है, इनमें हार्ट अटैक जैसे खतरनाक रोग भी शामिल हैं। गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल, साइकोलॉजिकल और पल्मोनरी (फेफड़ों संबंधी) समस्याओं के कारण भी छाती में जकड़न की समस्या हो सकती है। छाती में जकड़न या छाती में भारीपन होना एक व्यक्तिपरक (सब्जेक्टिव) लक्षण है। जिसका मतलब यह है, कि मरीज इसे महसूस कर सकता है और डॉक्टर को बता सकता है लेकिन डॉक्टर खुद से इसका पता नहीं लगा सकते।
छाती में जकड़न या भारीपन अक्सर अन्य लक्षणों के साथ होती है, ये लक्षण किसी अंदरुनी समस्या, रोग या विकार के आधार पर विकसित होते हैं। इन लक्षणों में बुखार, बदन दर्द, सांस लेने में दिक्कत होना और चिंता आदि शामिल हैं। छाती में जकड़न का परीक्षण करने के लिए व उसके कारणों का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट जैसे ईसीजी, छाती का एक्स रे, कम्पलीट ब्लड काउंट, इको टेस्ट और स्पिरोमेट्री आदि किए जा सकते हैं।
छाती में जकड़न या छाती में भारीपन को ठीक करने के लिए इस स्थिति का कारण बनने वाली समस्याओं का इलाज किया जाता है। इसमें अस्थमा के लिए एरोसोल, छाती के दर्द के लिए निट्रो-ग्लाइसरीन टेबलेट और चिंता के लिए एंटी-एंग्जाइटी दवाएं दी जाती हैं। यदि आप छाती की जकड़न को नजर अंदाज कर रहे हैं, तो यह घातक हो सकता है क्योंकि छाती में जकड़न की समस्या कुछ मामलों मे हार्ट अटैक के कारण भी हो सकती है।
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