हैलिटोसिस या सांसों की बदबू एक आम मौखिक स्वास्थ्य समस्या है। यह कुछ खाद्य पदार्थों जैसे प्याज और लहसुन खाने के बाद, दांत और मुंह के अंदर सही से सफाई न करने से, मुंह से सांस लेने, मुंह सूखने, मसूड़ों या लार ग्रंथि से संबंधित रोग हो जाने के कारण हो सकता है। जो लोग आर्टिफिशियल दांत का प्रयोग करते हैं, उनके द्वारा सही से दांतों की सफाई न करने से भी मुंह से दुर्गंध आ सकती है।
मुंह से दुर्गंध के गैर-मौखिक कारणों में डायबिटीज, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, पोस्ट नेजल ड्रिप, लिवर या गुर्दे की बीमारी, जठरांत्र संबंधी विकार, नाक, गले या फेफड़ों में संक्रमण और क्रोनिक साइनसाइटिस शामिल हैं। हैलिटोसिस में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं :
- मुंह सूखना
- सुबह के समय सांसों से बदबू आना व जीभ में जलन लगना
- जीभ पर सफेद कोटिंग, खासकर जीभ के पीछे
- गाढ़ी लार
- नाक बहना या बलगम आना
- मुंह में लगातार कड़वा, खट्टा या धातु स्वाद
हैलिटोसिस के होम्योपैथिक उपचार का उद्देश्य स्थिति के अंतर्निहित कारण का इलाज करना है। एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर मरीज के लिए सही उपाय चुनने से पहले रोगी के व्यक्तिगत लक्षणों, शारीरिक और मानसिक स्थिति को समझता है। सामान्य उपचारों में कार्बो वेजिटेबिलिस, कैलियम फास्फोरिकम, क्रियोसोटम, मर्क्यूरियस सॉल्यूबिलिस, पल्सेटिला, पाइरोजेनियम और सीपिया शामिल हैं। इन खुराकों को प्रत्येक व्यक्तिगत मामले के आधार पर होम्योपैथिक चिकित्सक द्वारा निर्धारित किया जाता है।
होम्योपैथी की सही खुराक न सिर्फ रोगी के लक्षणों को ठीक करती है, बल्कि मनोवैज्ञानिक तनाव से निपटने के साथ-साथ समग्र स्वास्थ में भी सुधार करती है। हालांकि, कई बार, मुंह से दुर्गंध आना काल्पनिक भी हो सकता है, इस स्थिति में चिकित्सक व आसपास के लोग सांस में बदबू आने की पुष्टि नहीं कर सकते हैं।