फेफड़ों के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचती है। जब हम सांस लेते हैं तो फेफड़े हवा से भर जाते हैं। यह हवा फेफड़ों में मौजूद वायु की थैलियों (एल्वियोली) तक जाती है जहां से रक्त में ऑक्सीजन का संचार होता है। रक्त के माध्यम से ही शरीर में अंगों और ऊतकों को ऑक्सीजन प्राप्त होता है। फेफड़े में एक या अधिक हिस्सों के कोलैप्स करने की स्थिति को एटेलेक्टेसिस कहा जाता है। एटेलेक्टेसिस के कारण वायु की थैलियों को क्षति पहुंचती है। इस स्थिति में ये पर्याप्त मात्रा में हवा और ऑक्सीजन नहीं ले पाती हैं। एटेलेक्टेसिस के कारण यदि फेफड़ों का बड़ा हिस्सा प्रभावित हो जाए तो इसके कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
अंतर्निहित कारणों के आधार पर एटेलेक्टेसिस के कारण फेफड़े के छोटे या बड़े हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। यहां ध्यान रखना आवश्यक है कि सामान्य रूप से होने वाले लंग कोलैप्स की स्थिति (न्यूमोथोरैक्स) और एटेलेक्टेसिस में फर्क होता है। न्यूमोथोरैक्स तब होता है जब छाती की आंतरिक दीवारों और फेफड़े के बाहरी हिस्से में हवा फंस जाती है। इस कारण से फेफड़ा सिकुड़ जाता है जिससे लंग कोलैप्स हो सकता है।
न्यूमोथोरैक्स और एटेलेक्टेसिस भले ही दो अलग-अलग स्थितियां हैं। फिर भी न्यूमोथोरैक्स के कारण एटेलेक्टेसिस विकसित हो सकता है। यदि किसी को पहले से ही फेफड़े की बीमारी है तो एक्टेलासिस की स्थिति में उसके लिए सांस लेने में मुश्किल हो सकती है। लंग कोलैप्स होने के कारण और स्थिति की गंभीरता के आधार पर एटेलेक्टेसिस का इलाज किया जाता है।
इस लेख में हम एटेलेक्टेसिस के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे।