एस्पर्जिलोसिस के कई अलग-अलग प्रकार हैं, जो शरीर को भी अलग-अलग तरीके से प्रभावित करते हैं। कई प्रकार के रोग व दवाएं हैं, जो एस्पर्जिलोसिस के विभिन्न प्रकारों के विकसित होने का खतरा बढ़ाती है। अलग-अलग प्रकार के एस्पर्जिलोसिस के लक्षण भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। एस्पर्जिलोसिस के प्रकार और उनके अनुसार होने वाले लक्षणों के बारे में नीचे बताया गया है -
एलर्जिक ब्रोंकोपल्मोनरी एस्पर्जिलोसिस (एबीपीए)
एबीपीए में फंगस से एलर्जी संबंधी लक्षण होने लगते हैं, जैसे खांसी व घरघराहट होना आदि। इसके अलावा इसमें सांस लेने में दिक्कत व अस्वस्थ रहना आदि लक्षण देखे जा सकते हैं। फेफड़ों से संबंधी रोगों से ग्रस्त मरीजों को एलर्जिक ब्रोंकोपल्मोनरी रोग होने का अधिक खतरा होता है।
इनवेसिव एस्पर्जिलोसिस
यह आमतौर पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण होता है। इनवेसिव एस्पर्जिलोसिस फेफड़ों को प्रभावित करता है और गुर्दों या मस्तिष्क में भी फैल सकता है। यह आमतौर पर उन लोगों को होता है, जिनको पहले ही स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है इसलिए उनके लक्षणों का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इनवेसिव एस्पर्जिलोसिस के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं -
साथ ही फेफड़ों में हुआ संक्रमण शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है, जिनके अनुसार अन्य कई लक्षण पैदा हो सकते हैं।
एस्पर्जिलोमा
यदि आपको टीबी या फेफड़ों संबंधी कोई अन्य रोग है, तो फंगस के संपर्क में आने से आपके शरीर में फंगस बढ़ने लग जाता है। इस रोग को फंगस बॉल भी कहा जाता है, इसमें लगातार खांसी रहना, सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलने जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। कुछ गंभीर मामलों में खांसी के साथ खून भी देखा जा सकता है।
इन सबके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं, जो एस्पर्जिलोसिस के साथ देखे जा सकते हैं -
डॉक्टर को कब दिखाएं
यदि आपको अस्थमा या सिस्टिक फाइब्रोसिस की समस्या है और आपको सांस लेने संबंधी किसी प्रकार की तकलीफ या कोई भी बदलाव महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। हालांकि, जरूरी नहीं है कि सांस लेने में तकलीफ एस्पर्जिलोसिस के कारण ही हुई है, लेकिन इसकी जांच करना बेहद आवश्यक है।
यदि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है और आपको बिना किसी कारण के बुखार, सांस फूलना या खांसी जैसे लक्षण हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से दिखा लेना चाहिए। इनवेसिव एस्पर्जिलोसिस के मामलों में तुरंत डॉक्टर से जांच करवाना बेहद आवश्यक है।
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