जिन लोगों को गठिया की समस्या है, उन्हें निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए:
सब्जियां
ज्यादातर सब्जियों को गठिया के लिए अच्छा कहा जाता है, लेकिन नाइटशेड परिवार से संबंधित सब्जियां जैसे आलू, बैंगन और टमाटर सूजन और गठिया के लक्षणों को खराब कर सकती हैं। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि आलू कार्बोहाइड्रेट से भरपूर है, इससे वसा की मात्रा बढ़ सकती है और सूजन व गठिया का खतरा हो सकता है।
इसलिए, यदि किसी व्यक्ति को गठिया की समस्या है, तो सबसे अच्छा तरीका है कि वह अपने चिकित्सक से इस बारे में बात करें और जानने की कोशश करें कि कौन-सी सब्जी उसके लिए उचित है।
अल्कोहल
वाइन को गठिया की स्थिति में अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें रेसवेराट्रॉल होता है, जिसे अंगूर से प्राप्त किया जाता है। रेसवेराट्रॉल यौगिकों के एक समूह का हिस्सा है, जो हृदय, संचार प्रणाली की सुरक्षा और कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए जाना जाता है।
(और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल का स्तर या नार्मल रेंज)
वाइन सूजन को कम करने में मदद करती है, लेकिन किफायती मात्रा में ही इसका सेवन करना चाहिए।
लंबे समय तक शराब का सेवन करने से ऑस्टियोआर्थराइटिस का जोखिम बढ़ सकता है। आर्थराइटिस सोसाइटी, कनाडा के अनुसार, गठिया की स्थिति में ली जाने वाली दवाइयां शराब के साथ रिएक्शन कर सकती हैं और पेट और लिवर के स्वास्थ को खराब कर सकती हैं। इसके अलावा अल्कोहल के सेवन से शरीर में पानी की कमी हो सकती है और यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है।
चीनी और नमक
चीनी और नमक दोनों ही प्रो-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ माने जाते हैं। जब कोई व्यक्ति अतिरिक्त मात्रा में चीनी का उपभोग करता है, तो यह रक्तप्रवाह में वसा और प्रोटीन के साथ मिल जाता है, जिससे सूजन का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह, एक अत्यधिक नमक के सेवन से ऊतकों में सूजन आ सकती है जो विशेष रूप से रूमेटाइड आर्थराइटिस के जोखित से जुड़ा है। इसलिए पैकेट वाला भोजन खरीदते समय शक्कर और नमक की मात्रा जरूर पढ़ लें।
रिफाइंड (परिष्कृत) अनाज
यदि किसी को गठिया की समस्या है, तो सभी प्रकार के परिष्कृत अनाज और आटे से बचना चाहिए। परिष्कृत अनाज में सफेद चावल और सफेद आटा और रिफाइंड आटे से बनी चीजें जैसे केक, ब्रेड, बिस्किट या प्रोसेस्ड फूड शामिल हैं।
इन खाद्य पदार्थों में वे फाइबर नहीं होते हैं जो किसी साबुत अनाज में पाए जाते हैं। इसके अलावा यह जल्दी पच जाते हैं। इसकी वजह से कार्ब्स (कार्बोहाइड्रेट) का उत्पादन होने लगता है और जब ये ज्यादा मात्रा में इकट्ठा हो जाते हैं तो इसकी वजह से सूजन की समस्या हो सकती है। आर्थराइटिस वाले लोगों में अतिरिक्त मात्रा में कार्ब्स जमा होने से अधिक वजन और मोटापे का जोखिम रहता है।
चिकन और जानवरों का मांस
मांस, विशेष रूप से रेड मीट, गठिया के रोगियों के लिए अच्छा नहीं होता है खासकर, यदि किसी को गाउटी आर्थराइटिस की समस्या है।
यह प्रोटीन में समृद्ध है और इसलिए यह सीरम यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाते हैं, जो गाउटी आर्थराइटिस के कारणों में से एक है।
हालांकि, सूजन पर मांस खाने का क्या प्रभाव पड़ता है इस बात को लेकर कोई विशेष सबूत नहीं हैं। ब्रिटिश जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में वर्ष 2000 में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि पशु के मांस में वसा, आयरन और नाइट्राइट होता है, जो सूजन को बढ़ाने का काम करता है। इसलिए गठिया के रोगियों को इनके सेवन से बचने की जरूरत है। इसके विपरीत, 2007 के किए गए एक अध्ययन में आयरन, रेड मीट और आर्थराइटिस के बीच किसी तरह के संबंध का पता नहीं चल पाया।
चीन के कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, चिकन (विशेष रूप चिकन ब्रेस्ट) में कोलेजन होता है, जो रूमेटाइड आर्थराइटिस के रोगियों के लिए अच्छा होता है बशर्तें जब इसे मौखिक रूप (विशेष रूप से कैप्सूल के रूप में) से लिया लाए।
इसके अलावा यह ओरल टोलेरेंस में भी सुधार करता है, ओरल टोलेरेंस का मतलब है कि जब मौखिक रूप से उचित मात्रा में सेवन किया जाए। कोलेजन प्रतिरक्षा प्रणाली की अतिसक्रियता को कम कर देता है, जो रूमेटाइड आर्थराइटिस का कारण बनता है।