आयुर्वेद में गठिया को वात दोष से जोड़ा गया है. इसमें जोड़ों में सूजन, दर्द और जकड़न महसूस होती है. 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में गठिया एक सामान्य समस्या है, लेकिन यह बच्चों और युवाओं को भी प्रभावित कर सकता है. ऑस्टियोआर्थराइटिस को गठिया का आम प्रकार माना गया है. यह रोग मरीज की दिनचर्या को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. गठिया प्रतिरक्षा प्रणाली और शरीर के आंतरिक अंगों को भी प्रभावित कर सकता है. ऐसे में पतंजलि की अमवतारी रस व दिव्य सिंहनाद गुग्गुल जैसी आयुर्वेदिक दवाइयां गठिया रोग में फायदेमंद साबित हो सकती हैं.
आज इस लेख में आप जानेंगे कि गठिया के इलाज के लिए पतंजलि की कौन-सी दवाइयां कारगर हैं -
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गठिया में फायदेमंद पतंजलि की दवाएं
अगर कोई गठिया के कारण परेशान है और इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाएं ढूंढ रहा है, तो पतंजलि से बेहतर और क्या हो सकता है. यहां हम पतंजलि की अमवतारी रस व दिव्य सिंहनाद गुग्गुल जैसी कई दवाओं के बारे में बता रहे हैं, जो गठिया के दर्द से राहत दिला सकती हैं -
दिव्य आमवातारि रस
दिव्य आमवातारि रस का उपयोग ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज करने के लिए किया जाता है. अमवतारी रस बनाने के लिए शुद्ध पारादी, शुद्ध गंधक, त्रिफला, चित्रक मूल, शुद्ध गुग्गुल और अरंडी के तेल जैसी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है. अमवतारी रस में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने में भी मदद करते हैं. इसमें प्राकृतिक रूप से कैल्शियम भी होता है, जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है. अमवतारी रस दवा जोड़ों के दर्द से आराम दिलाती है व लचीलेपन में सुधार करती है. इसके सेवन से शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ भी मल के माध्यम से आसानी से निकल जाते हैं.
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दिव्य ऑर्थोग्रिट टेबलेट
गठिया का इलाज करने के लिए पतंजलि की दिव्य ऑर्थोग्रिट टेबलेट भी फायदेमंद हो सकती है. यह दवा गठिया, क्रोनिक अर्थराइटिस और सूजन में इस्तेमाल की जाती है. इसके अलावा, यह दवा हड्डियों व मांसपेशियों में मोच आने पर भी उपयोगी हो सकती है. ऑर्थोग्रिट की दवाइयां 20 से अधिक जड़ी-बूटियों से बनी होती हैं.
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दिव्य सिंहनाद गुग्गुल
दिव्य सिंहनाद गुग्गुल दवा क्रोनिक गठिया व रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज में उपयोगी होती है. इसके अलावा, यह पैरालिसिस स्ट्रोक में भी असरदार साबित हो सकती है. आयुर्वेद में इस दवा का उपयोग सभी प्रकार के वात रोगों के लिए किया जाता है. इस दवा में बहेड़ा का फल, हरड़ फल, आंवला, शुद्ध गंधक, अरंडी का तेल व शुद्ध गुग्गुल जैसी जड़ी-बूटियां मिली हुई हैं. दिव्य सिंहनाद गुग्गुल का उपयोग मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है. यह मूत्रवर्धक होती है, साथ ही रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाओं को भी बढ़ाती है.
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दिव्य लाक्षादि गुग्गुल
आयुर्वेद में हड्डी से संबंधित समस्याओं का इलाज करने के लिए लाक्षादी गुग्गुल का उपयोग किया जाता है. लाक्षादी गुग्गुल दवा हड़जोड़ लता, अर्जुन की छाल, अश्वगंधा और शुद्ध गुग्गुल जैसी जड़ी-बूटियों से बनी है. इसमें कैल्शियम, विटामिन और मिनरल भरपूर रूप से होते हैं. ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को ठीक करने के लिए इस दवा को असरदार माना जाता है. इसका उपयोग बोन डेंसिटी, फ्रैक्चर व जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए भी किया जाता है. इस दवा के सेवन से हड्डी के ऊतकों को पोषण मिलता है, इससे हड्डियों की समस्या जल्दी ठीक होने लगती है.
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दिव्य त्रयोदशांग गुग्गुलु
त्रयोदशांग गुग्गुलु गठिया के इलाज में कारगर होता है. इसके अलावा, इस दवा का उपयोग साइटिका व नसों में दर्द होने पर भी किया जा सकता है. आयुर्वेद में त्रयोदशांद गुग्गुल को सभी तरह के वात रोगों में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा, यह दवा महिलाओं की समस्याओं का इलाज करने में भी असरदार होती है. यह सबसे सुरक्षित दवा है, अगर इसे सही तरीके से लिया जाए, तो इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होता है.
यह दवा रसना, बबूल की फली, गोक्षुरादि, निशोथ (काला), अश्वगंधा, गिलोय, अजवाइन, शुद्ध गुग्गुलु और शतावरी जैसी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी है. गठिया के इलाज के लिए इस दवा की 2-2 खुराक सुबह और शाम को ली जा सकती है.
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सारांश
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को रूमेटाइड अर्थराइटिस होने की आशंका अधिक होती है. वहीं, पुरुषों में गाउट अर्थराइटिस के मामले अधिक देखने को मिलते हैं. इसके अलावा, मोटापे से ग्रस्त लोगों में भी गठिया विकसित होने का जोखिम अधिक होता है, क्योंकि अधिक वजन का घुटनों, कूल्हों और रीढ़ पर दबाव पड़ता है. अगर किसी व्यक्ति में गठिया के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो वह आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर इन पतजंलि दवाओं का सेवन कर सकता है.
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अस्वीकरण: ये लेख केवल जानकारी के लिए है. myUpchar किसी भी विशिष्ट दवा या इलाज की सलाह नहीं देता है. उचित इलाज के लिए डॉक्टर से सलाह लें.
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