एनीमिया दुनियाभर में एक आम समस्या बन गयी है और यह विशेष रूप से महिलाओं को प्रभावित करती है। एनीमिया दुनियाभर में करीब 1.62 अरब लोगो को प्रभावित करता है। डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) का अनुमान है कि भारत में विशेष रूप से महिलाओं में एनीमिया सबसे ज़्यादा पाया जाता है।

एनीमिया में हीमोग्लोबिन या लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या का स्तर कम हो जाता है जिससे शरीर में खून की कमी पैदा होती है। पुरुषों के लिए सामान्य स्तर  है 13.5 ग्राम ग्राम प्रति डेसीलीटर और महिलाओं में 12.0 ग्राम ग्राम प्रति डेसीलीटर। हीमोग्लोबिन का काम शरीर के चारों ओर ऑक्सीजन ले जाना होता है। यदि आपके रक्त में कम या असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं हो या आपका हीमोग्लोबिन कम या असामान्य हो तो आपके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में आपके फेफड़ो और हृदय को रक्त से ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन इसका इलाज उचित भोजन, सही उपचार और योग एवं प्राणायाम के अभ्यास की मदद से किया जा सकता है। 

  1. एनीमिया के लिए योग कैसे मदद करता है? - How does Yoga help with Anemia in Hindi
  2. एनीमिया के लिए प्राणायाम के फायदे - Pranayam for anemia in Hindi
  3. एनीमिया के लिए योगासन के फायदे - Yogasana for anemia in Hindi
  4. सारांश

योग आरबीसी (रेड ब्लड सेल) की संख्या को दो तरह से बढ़ाने में मदद करता है - एक श्वास व्यायाम से और दूसरा आसन से। विभिन्न योग गुरु के मुताबिक एनीमिया रोगियों को अपना योग सत्र प्राणायाम के साथ शुरू करना चाहिए। सूर्ये भेदन, शीतली प्राणायाम, अनुलोम विलोम, कपालभाति जैसे प्राणायाम रक्त परिसंचरण को बढ़ाते हैं और पूरे परिसंचरण प्रणाली के कार्य में सुधार करते हैं। फिर आप आसन अभ्यास करें, जिसमें त्रिकोणासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासनउत्तानपादासनविपरीतकर्णी आसन, सूर्ये नमस्कार, योग मुद्रा जैसे आसन हैं। 

आइए इनके बारे में विस्तार से जानें - 

एनीमिया के लिए प्राणायाम कुछ इस प्रकार हैं :

एनीमिया के लिए शीतली प्राणायाम के फायदे - Sheetali pranayam for anemia in Hindi

शितली प्राणायाम का अभ्यास विशेष रूप से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए किया जाता है। शितली प्राणायाम करने से खून की कमी को दूर करने में मदद मिलती है।  

शीतली प्राणायाम करने की विधि

इस प्राणायाम का अभ्यास सूर्योदय से पहले करें। ध्यान रहे पद्मासन, सुखासन, सिद्धासन या वज्रासन करते समय आप पूर्व की तरफ बैठें। सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएँ। अब अपनी जीभ का एक ट्यूब आकार बनाएं। अगर इस आकार को करना संभव नहीं है तो आप मुँह का गोल आकार बना सकते हैं। इस ट्यूब के ज़रिये साँस अंदर लें। साँस लेने के अंत में, जीभ को मुंह में वापिस अंदर लेकर मुँह बंद कर लें। और नाक के माध्यम से साँस को छोड़ें। श्वास लेते समय तेज हवा के समान ध्वनि उत्पन्न होनी चाहिए। इस चक्र को 9 बार करें। 

(और पढ़ें - शीतली प्राणायाम करने का तरीका और फायदे)

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एनीमिया के लिए अनुलोम विलोम के फायदे - Anulom vilom for anemia in Hindi

अगर सांस को लिया या छोड़ा जाएँ तो उस प्रक्रिया को अनुलोम विलोम प्राणायाम कहते है। अनुलोम विलोम करने से आपके शरीर का रक्त संचार अच्छे से होता है और खून की कमी भी दूर होती है। 

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की विधि

अपने बाहिनें हाथ की हथेली को चेहरे के सामने लाएं। नाक को बंद करने के लिए बाहिनें हाथ से विष्णु मुद्रा को बनाएं। अपनी मध्य उंगली से दाहिनी नाक को दबाएं और अंगूठे को बाएं नथुनों की ओर रखें। दाहिनी नाक को दबाने के बाद बाएं छिद्र से लंबी सांस लें। इसके बाद बाएं छिद्र को बंद करके, दाएं नाक के छिद्र से लम्बी सांस को छोड़िये। यही प्रक्रिया दूसरी तरफ भी अपनाएँ। इस प्रक्रिया को रोज़ पांच बार करें फिर धीरे धीरे इसे बड़ा सकते हैं। 

(और पढ़ें - अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने का तरीका और फायदे)

एनीमिया के लिए कपालभाति के फायदे - Kapalbhati for anemia in Hindi

इस प्राणायाम को करने से वज़न कम करने में मदद मिलती है और शरीर संतुलित रहता है। साथ ही साथ शरीर में खून की कमी भी दूर होती है। 

कपालभाति प्राणायाम करने की विधि

सबसे पहले कमल योगिक अवस्था लें। फिर हल्की साँस लें और बाहर ज़ोर से छोड़ें। इस प्रक्रिया को रोज़ाना कम से कम 4-5 बार दोहराएं। 

(और पढ़ें - कपालभाती करने का तरीका और फायदे)

एनीमिया के लिए सूर्य भेदन प्राणायाम के फायदे - Benefits of surya bhedan pranayama for anemia in Hindi

सूर्य भेदन प्राणायाम में श्वास लेने की प्रक्रिया दाहिनी नाक से होती है और श्वास छोड़ना की प्रक्रिया बाईं नाक से। दाईं नाक नाड़ी से जुड़ी मानी जाती है इसलिए सबसे पहले श्वास लेने की प्रक्रिया दाहिनी तरफ से करें। इससे श्वास का प्रवाह नियंत्रित होता है और खून की कमी भी दूर होती है। 

सूर्य भेदन प्राणायाम करने की विधि

सबसे पहले पद्मासन में बैठेँ। अपनी बाईं नाक बंद करके दाईं नाक से सांस खीचें। अब दाईं नाक बंद करके बाईं नाक से सांस छोड़ें। यही प्रक्रिया दुबारा दाईं नाक से भी करें। इस प्रक्रिया को पांच से दस बार रोज़ाना करें। 

एनीमिया के लिए योग कुछ इस प्रकार हैं :

एनीमिया के लिए त्रिकोणासन के फायदे - Trikonasana benefits for Anemia in Hindi

इस आसन का नाम “त्रिकोण” शब्द से रखा गया है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए त्रिकोणासन बहुत महत्वपूर्ण है। त्रिकोणासन रोज़ाना करने से खून की कमी का उपचार होता है साथ ही शरीर में खून के स्तर को पूरा करने में मदद मिलती है। 

त्रिकोणासन करने की विधि

इस आसन को करने के लिए ताड़ासन में खड़े हो जायें। श्वास अंदर खीचें और 2 से 3 फ़ीट पैरों को खोल लें। धीरे से अपने शरीर को दाहिनी ओर मोड़ें। जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। अब श्वास अंदर भरते हुए दाएं हाथ को दाहिनें पैर के पंजों पर टिका दें। अगर संभव है तो आप पैर के अंगूठे को भी पकड़ सकते हैं। अगर संभव नहीं है तो सिर्फ हाथों को एड़ी या पंजों तक ही टिका दें। फिर बाएं हाथ को ऊपर की तरफ उठाकर गर्दन को भी बाईं ओर घुमाइए और अपने बाईं हाथ की तरफ देखते रहिये। सांस को पांच बार अंदर लें और बाहर छोड़ें। इससे आप आसन में 40 से 50 सेकेंड तक रहेंगे। जैसे जैसे शरीर में लचीलापन आता रहेगा वैसे वैसे आप समय की अवधि को भी बड़ा सकते हैं। दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें।

(और पढ़ें - परिवृत्त त्रिकोणासन करने की विधि, फायदे)

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एनीमिया के लिए सर्वांगासन के फायदे - Sarvangasana good for anemia in Hindi

सर्वांगासन शरीर के हर अंग को किसी न किसी तरीके से स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है। सर्वांगासन शरीर में अच्छा परिसंचरण को बढ़ावा देने में मदद करता है, क्योंकि यह पूरे निचले शरीर के प्रवाह को हृदय की ओर भेजता है और शरीर में खून की कमी का इलाज करता है। सर्वांगासन करने से थकान और थायराइड जैसी परेशानियां दूर होती हैं। (और पढ़ें – थकान दूर करने के घरेलू उपाय)

सर्वांगासन करने की विधि

सबसे पहले कमर के बल सीधा ले जाएँ। हाथों को सीधा ज़मीन पर टिकाकर रखें। अब श्वास अंदर लें और दोनों टांगों को ऊपर की ओर उठा लें। कोहनियों को ज़मीन पर टिकाते हुए दोनों हाथों से अपनी पीठ को सहारा दें। इस मुद्रा में 2-3 बार सांस अंदर और बाहर लें और संतुलन बनाएं रखें। अब धड़ और टांगों को उठाकर अपने शरीर को बिलकुल एक सीध में कर लें। अगर आप दृष्टि को नाक पर नहीं रख सकते तो पेट की नाभी पर भी रख सकते हैं। अपनी क्षमता के मुताबिक इस मुद्रा को बनाएं रखें और फिर धीरे से नीचे आएं। शुरुआत में कुछ देर के लिए करें और बाद में अवधि बढ़ा सकते हैं।

(और पढ़ें - सर्वांगासन करने का तरीका और फायदे)

एनीमिया के लिए सूर्य नमस्कार के फायदे - Benefits of surya namaskar for anemia in Hindi

सूर्य नमस्कार पूरी दुनिया में सूर्ये को ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। सूर्ये को पूजने का क्रम अभी तक चला आ रहा है और सूर्ये देव से ज्ञान और ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सूर्य नमस्कार किया जाता है। सूर्य नमस्कार का अर्थ है सूरज को अर्पण या नमस्कार करना। यह एक आसन न होकर कई आसनों का मेल है जो शरीर और मन को स्वस्थ रखने का एक बहुत अच्छा तरीका है। इन कारणों से सूर्य नमस्कार सैकड़ों आसनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके निरंतर अभ्यास से आपका शरीर रोग से मुक्त और स्वस्थ हो जाएगा। सूर्य नमस्कार करने से आपके खून का संचार होता है और ऑक्सीजन में भी किसी प्रकार की कमी नहीं होती। रोज़ सूर्यनमस्कार करने से खून की कमी को कम किया जा सकता है। 

सूर्य नमस्कार करने की विधि जानने के लिए यह लेख पढ़ें - सूर्य नमस्कार करने का तरीका और फायदे। 

एनीमिया के लिए योग मुद्रा के फायदे - Yoga mudra for anemia in Hindi

योग मुद्रा बढ़ती उम्र के लिए, रक्त संचार के लिए, खून की कमी को दूर करने के लिए काफी मदद करता है। इस योग का नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है जागरूकता। 

योग मुद्रा करने की विधि

सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएँ। अब अपनी आँखों को बंद कर लें और सामान्य रूप से साँस लें। फिर पीठ के पीछे हाथ लाएं और बाहिनें हाथ से दाईं कलाई को पकड़ें। धीरे-धीरे आगे बड़े और माथे या नाक के साथ सामने फर्श को छूने की कोशिश करें। आगे झुकने के दौरान श्वास बाहर छोड़ें। कुछ मिनटों तक इस अवस्था को बनाए रखने की कोशिश करें। इसके बाद अपनी पुरानी अवस्था में वापस आ जायें। 

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एनीमिया से पीड़ित व्यक्तियों के लिए योग और प्राणायाम बहुत फायदेमंद हो सकते हैं, क्योंकि ये शरीर में रक्त संचार बढ़ाने और ऑक्सीजन की आपूर्ति में सुधार करने में मदद करते हैं। योग के आसनों जैसे सर्वांगासन (Shoulder Stand), पवनमुक्तासन (Wind Relieving Pose), और विपरीत करणी (Legs Up the Wall Pose) से शरीर की रक्त निर्माण प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिलता है। साथ ही, भस्त्रिका प्राणायाम और अनुलोम-विलोम जैसे श्वास अभ्यास फेफड़ों की क्षमता बढ़ाकर शरीर में अधिक ऑक्सीजन पहुंचाते हैं, जिससे थकान और कमजोरी में राहत मिलती है। नियमित योग और प्राणायाम से एनीमिया के लक्षणों में सुधार आ सकता है और शरीर की ऊर्जा स्तर में वृद्धि हो सकती है।

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