अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और स्वीडन स्थित lund यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे ब्लड टेस्ट पर काम किया है जो 20 साल पहले ही अल्जाइमर्स बीमारी का पता लगा सकता है। जी हां, याददाश्त और अनुभूति से जुड़े अपरिवर्तनीय लक्षण दिखने से पहले ही इस टेस्ट के माध्यम से अल्जाइमर्स रोग का पता लगाया जा सकता है। यह टेस्ट अभी आम लोगों के लिए मौजूद नहीं है लेकिन अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि यह स्पाइनल फ्लूइ टेस्ट की तुलना में कम आक्रामक और पीईटी स्कैन की तुलना में कम महंगा होगा। फिलहाल अल्जाइमर्स रोग की पहचान के लिए सभी जगहों पर इन दोनों टेस्ट का ही इस्तेमाल किया जाता है।
पीईटी स्कैन या पोजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी एक इमेजिंग तकनीक है जिसमें डाई के तौर रेडियोऐक्टिव मटीरियल का इस्तेमाल किया जाता है। भारत में इस तरह के एक ब्रेन स्कैन की कीमत करीब 10 हजार रुपये है। सेरेब्रल स्पाइनल फ्लूइड टेस्ट में रीढ़ की हड्डी के आसपास के हिस्से से छोटी सी मात्रा में तरल पदार्थ लिया जाता है यह जांचने के लिए कि उसमें खास तरह के केमिकल्स मौजूद हैं या नहीं। अल्जाइमर्स के डायग्नोसिस के लिए, इन दोनों ही तकनीक के माध्यम से यह देखा जाता है कि मस्तिष्क में 2 तरह के प्रोटीन- बीटा ऐमिलॉयड्स और टाओ की वृद्धि हुई है या नहीं।
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यह नया टेस्ट भी टाओ प्रोटीन की पहचान करता है खासकर पी-टाओ217 की। लेकिन यह कहा जा रहा है कि यह टेस्ट इतना संवेदनशील है कि सिर्फ 4 मिलिलीटर खून में भी यह पी-टाओ217 प्रोटीन की मौजूदगी का पता लगा सकता है जिसका संबंध अल्जाइमर्स से है। इतना ही नहीं lund यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने तो यहां तक पाया कि जिन लोगों में अल्जाइमर्स बीमारी होती है उनके शरीर में पी-टाओ217 प्रोटीन 7 गुना अधिक होता है, उन लोगों की तुलना में जिन्हें अल्जाइमर्स नहीं होता।
दुनियाभर के सभी डिमेंशिया के मामलों में से 60 से 70% हिस्सा अल्जाइमर्स का है। इसका मतलब ये है कि दुनिया भर में करीब 3 करोड़ लोग इस स्थिति से पीड़ित हैं जो धीरे-धीरे याददाश्त और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बाधित करती है। अल्जाइमर्स का अब तक कोई ठोस इलाज खोजा नहीं जा सका है लेकिन एक तरह का मैनेजमेंट प्रोटोकॉल है जिसके जरिए ब्रेन में प्रोटीन प्लेक (बीटा-ऐमिलॉयड) और प्रोटीन टैंगल्स (टाओ प्रोटीन) के तेजी से हो रहे निर्माण को कम किया जा सकता है। ये प्रमुख कारण हैं जिनकी वजह से अल्जाइमर्स के लक्षण नजर आते हैं।
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अगर सफलतापूर्वक इसका अनावरण हो जाता है तो पी-टाओ217 प्रोटीन के लिए किया जाने वाला यह ब्लड टेस्ट आज अल्जाइमर्स के मरीजों के साथ काम करने वाले चिकित्सकों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक को हल कर सकता है और वो है: अल्जाइमर्स का जल्द से जल्द शुरुआती स्टेज में ही पता लगाया जाए ताकि उसके प्रभावों को अगर पूरी तरह से बदला न जा सके तो कम जरूर किया जा सके। आम जनता के लिए उपलब्ध होने से पहले इस ब्लड टेस्ट को अभी कई दौर के परीक्षण से गुजरना होगा। लेकिन शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह जल्द ही उन मरीजों की पहचान कर लेगा जिनमें बीमारी शुरुआती चरण में होगी और दवाओं के ट्रायल में भी भाग लेने में सक्षम होगा।