वायु प्रदूषण बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर यह स्थिति देखने को मिल रही है। ट्रैफिक से होने वाला वायु प्रदूषण (टीआरपी) इसका बड़ा कारण है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि टीआरपी के संपर्क में आने से 12 साल तक की उम्र के बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
'पीएलओएस वन' पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन अमेरिका स्थित 'सिनसिनाटी चिल्ड्रन हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर' (सीसीएचएमएस) में किया गया है। रिसर्च में शोधकर्ताओं ने 147 बच्चों को शामिल किया था। इनकी उम्र एक से 12 वर्ष के बीच है। बच्चों के मानसिक विकास में हो रहे बदलाव को जानने के लिए उनके मस्तिष्क का एमआरआई स्कैन किया गया। इसके बाद वैज्ञानिकों ने शहर में ट्रैफिक संबंधी वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों पर होने वाले प्रभाव की जांच की। इसके आधार पर अध्ययन के प्रमुख लेखक ट्रैविस बेकविथ ने कहा कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं, वह मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकती है।
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ग्रे मैटर को समझना है जरूरी
अध्ययन के शोधकर्ता परिणामों की जानकारी देते हुए ग्रे मैटर का जिक्र करते हैं। वे बताते हैं कि ग्रे मैटर मस्तिष्क का वह हिस्सा है जहां ज्यादातर न्यूरोनल (तंत्रिका) कोशिकाएं होती हैं। इनका संबंध हमारे शरीर और दिमाग की गतिविधियों (देखना, सुनना, याद रखना आदि) के नियंत्रण से है। इन्हीं कोशिकाओं की वजह से मांसपेशियों की गतिविधियां नियंत्रित होती हैं। यानी अगर इन कोशिकाओं को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचता है, तो उसका सीधा असर हमारी शारीरिक क्षमताओं पर पड़ेगा। इसके लिए जरूरी है कि हमारे दिमाग की बाहरी परत मोटी रहे। शोधकर्ताओं ने बताया कि अगर मस्तिष्क की बाहरी परत मोटी है, तो यह ग्रे मैटर के अच्छे विकास को दर्शाता है।
अध्ययन के परिणाम से यह भी पता चला कि टीआरपी से होने वाली क्षति ऊतकों (टिशू) में होने वाले नुकसान से भले बहुत कम हो, लेकिन यह कई तरह से शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करने के लिए काफी है। अगर कोई शुरुआती उम्र में ही टीआरपी की चपेट में आ जाए, तो उसके मानसिक विकास पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
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क्या है टीआरपी और इसके प्रभाव?
यातायात से संबंधित वायु प्रदूषण यानी टीआरपी मोटर वाहनों के उत्सर्जन से आता है। यह जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न होता है। शहरों में हर रोज बढ़ते प्रदूषण के लिए यह काफी हद तक जिम्मेदार है। टीआरपी के प्रभाव से लोगों में हाइपरटेंशन और हृदय से जुड़ी समस्या बढ़ सकती है। टीआरएपी के संपर्क में आने की वजह से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
टीआरपी से बच्चों को बचाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें-
- प्रदूषण का स्तर अधिक होने पर बच्चों को बाहर खेलने न जाने दें।
- बाहर खेलने के लिए उन्हें घर के किसी पास के पार्क में ही भेजें।
- बाहर जाते समय उन्हें एंटी-पॉल्यूशन मास्क पहनने के लिए दें।
- संभव हो तो बच्चों को बस से स्कूल भेजें या उन्हें स्कूल जाने के लिए कोई ऐसा रास्ता दिखाएं, जो ट्रैफिक वाली जगहों से होके न जाता हो।
- अगर आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां प्रदूषण से बचना मुश्किल है तो बच्चों को मुंह और नाक पर रूमाल या कपड़ा लगाकर चलने के लिए कहें।
- बच्चों को एंटीऑक्सीडेंट युक्त चीजें, जैसे कि फल और सब्जियां खाने को दें।