चेचक एक संक्रामक और घातक रोग है। चेचक ने हजारों वर्षों से व्यक्तियों को प्रभावित किया हुआ था। लेकिन वैश्विक टीकाकरण अभियान की मदद से 1980 तक प्राकृतिक रूप से होने वाले चेचक रोग को दूनिया भर से दूर कर दिया गया।
चेचक को खत्म करने से पहले इसके वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमित हो जाते थे। यह रोग मुख्य रूप से वैरिओला वायरस (variola virus) के कारण होता था। चेचक होने पर व्यक्ति को बुखार और रैशेज आदि के लक्षण दिखाई देते थे, जिसको कम करने के लिए चेचक के टीके का उपयोग किया गया। रिसर्च कार्यों के उद्देश्य से चेचक रोग के वायरस को सुरक्षित रखा गया है। लेकिन वायरस को सुरक्षित रखने से इस बात की चिंता भी बढ़ी कि कहीं इनका प्रयोग भविष्य में जैविक हथियार बनाने के लिए न किया जाये।
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इस लेख में आपको चेचक के टीके के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही आपको चेचक के टीके की खुराक, चेचक वैक्सीन को कब लगाएं, चेचक वैक्सीन के साइड इफेक्ट, चेचक टीका किसे नहीं लगाना चाहिए और चेचक टीके की खोज आदि के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।
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