काले दाग धब्बे या हाइपरपिगमेंटेशन (झाइयां) त्वचा के विशेष हिस्सों पर काले दाग या झाइयों का होना है। ये दाग शरीर के विभिन्न भागों में दिखाई दे सकते हैं, जैसे चेहरे, गर्दन, हाथ आदि। हालांकि दाग धब्बों वाली त्वचा से सभी परेशान रहते हैं लेकिन महिलाओं को थोड़ी अधिक चिंता होती है क्योंकि ये दाग उनकी ख़ूबसूरती में ग्रहण की तरह होते हैं जिनकी वजह से उनके आत्मविश्वास में भी कमी आती है।

मेलानिन, जो त्वचा को प्राकृतिक रंग प्रदान करता है और मेलानोसाइट्स कोशिकाओं द्वारा उत्पादित होता है। पिगमेंटेशन, तब होता है जब मेलानिन का उत्पादन अधिक मात्रा में होने लगता है। या फिर ऐसा मेलानोसाइट कोशिकाओं में असामन्यता के कारण भी हो सकता है।

झाइयां अक्सर, सूरज की यूवी किरणों, हार्मोनल परिवर्तन, आनुवंशिकी, दवाइयों (जैसे गर्भनिरोधक गोलियां), गर्भावस्था, त्वचा की उम्र बढ़ने या त्वचा की देखभाल वाले उत्पादों के गलत इस्तेमाल के कारण होती हैं।

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डार्क स्पॉट को उम्र के धब्बे या काले दाग धब्बों के रूप में भी जाना जाता है। ये लाल, भूरे और ग्रे रंग के भी हो सकते हैं। ये धब्बे, रंग और आकार में भिन्न हो सकते हैं लेकिन एक बात में ये समान होते हैं कि इनसे पीड़ित हर व्यक्ति इनकी वजह से परेशान ही रहता है। तो आइये इस लेख में जानते हैं कि ये कितने प्रकार के होते हैं, किस किस वजह से होते हैं और इनका इलाज क्या है? 

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  1. झाइयों और काले दाग धब्बों के प्रकार - Types of pigmentation and dark spots in Hindi
  2. झाइयां और काले दाग धब्बे कैसे होते हैं? - Pigmentation and dark spots causes in Hindi
  3. झाइयों और काले दाग धब्बों का इलाज - Pigmentation and dark spots treatment in Hindi

झाइयों और काले दाग धब्बों के प्रकार - Types of pigmentation and dark spots in Hindi

हर कोई ये सोचता है कि डार्क स्पॉट तो डार्क स्पॉट हैं इनसे कितनी जल्दी छुटकारा मिल जाये और फिर जब सभी उपाय करने के बाद भी समस्या नहीं सुलझती तो वे परेशान होते हैं। वास्तव में झाइयां और डार्क स्पॉट भी कई प्रकार के होते हैं और सही इलाज करने या बताने के लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आपके काले धब्बे किस प्रकार के हैं। जिससे उनके होने का सही कारण पता करके उनका सही इलाज किया जा सके जो वाकई में असरदार होगा।

  1. एपिडर्मल (Epidermal- त्वचा की सतह पर): ये झाइयां धूप के कारण जाली हुयी सी, भूरे या गहरे भूरे रंग की होती हैं और इनसे छुटकारा पाने में महीनों या साल तक लग सकते हैं।
  2. डर्मिस (Dermis- त्वचा की आंतरिक परत): इस प्रकार की झाइयां रंग में नीले-भूरे रंग की होती हैं और अगर इनका इलाज न किया जाए तो ये स्थायी भी हो सकती हैं।
  3. मेलास्मा (Melasma): मेलास्मा, डार्क स्पॉट्स का वो प्रकार है जो गालों पर बड़े धब्बों जैसा दिखता है। हार्मोनल असंतुलन, हार्मोनल थेरेपी या थायरॉयड हार्मोन के सही से कार्य न करने के कारण इस तरह के काले धब्बे पैदा होते हैं।
  4. लेंटईगिनेस (Lentigines): लेंटईगिनेस वो डार्क स्पॉट हैं जिनका कोई खास पैटर्न नहीं होता है। ये सामान्यतः भूरे रंग के धब्बों के रूप में देखने को मिलते हैं जो बड़े-बूढ़ों की खाल पर दिखाई देते हैं। ये त्वचा के सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों के अत्यधिक संपर्क में आने के कारण होते हैं।
  5. पिम्पल के निशान (Pimple marks): जब पिम्पल किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया से संक्रमित होते हैं तो इनमें दर्द हो सकता है और इसके हल्के होने के बाद निशान भी पड़ सकता है। धीरे धीरे यह निशान डार्क स्पॉट का रूप ले सकता है। (और पढ़ें - पिम्पल्स हटाने के घरेलू उपाय)
  6. पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन (Post inflammatory hyperpigmentation): किसी भी प्रकार की चोट या घाव जैसे: रगड़, जलना (Burns), मुँहासे आदि के कारण भी त्वचा में काले धब्बे हो जाते हैं, जो बाद में उस जगह काले धब्बे होने का कारण बनते हैं।

झाइयों और काले दाग धब्बों के प्रकारों के आधार पर, आप या तो प्राकृतिक और घरेलू उपाय अपना सकती हैं या फिर कॉस्मेटिक की मदद से उन्हें दूर कर सकती हैं।

झाइयां और काले दाग धब्बे कैसे होते हैं? - Pigmentation and dark spots causes in Hindi

पिगमेंटेशन और काले दाग धब्बे होने के कई कारण होते हैं जैसे आनुवांशिकी कारण, गर्भावस्था, यूवी किरणें और त्वचा रोग आदि। 20 से 50 की उम्र के बीच, तनाव, गर्भनिरोधक गोलियों, गर्भधारण, रजोनिवृत्ति आदि के कारण हार्मोनल भिन्नताएं भी काले धब्बे पैदा कर सकती हैं। 20 साल की उम्र तक डार्क स्पॉट या लाल निशान संक्रमण के कारण पैदा हो सकते हैं। (और पढ़ें - एक्जिमा क्यों होता है)

चेहरे पर पड़ने वाले इन दाग धब्बों के कारणों का विस्तारपूर्वक वर्णन इस प्रकार है:

पराबैंगनी किरणें

सूर्य की रोशनी या पराबैंगनी किरणें, हाइपरपिग्मेंटेशन का प्रमुख कारक हैं क्योंकि यह सीधे, शरीर में मेलानिन के उत्पादन को प्रभावित करता है।

मेलानिन मूल रूप से एक प्राकृतिक सनस्क्रीन है जो पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है। लेकिन जब त्वचा सूरज के संपर्क में अत्यधिक आती है, तो मेलानिन का उत्पादन कम हो सकता है और परिणामस्वरूप काले धब्बे पड़ सकते हैं।

आयु

त्वचा के सूरज के अधिक संपर्क में आने से 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में लेंटिगो सोलारिस (Lentigo solaris) नामक छोटे छोटे धब्बे बन सकते हैं। इसका कारण यह है कि जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं, आपकी त्वचा की पुनर्जीवित (Regenerate) होने की क्षमता कम होती जाती है।

ये स्पॉट हल्के भूरे रंग से काले रंग के होते जाते हैं, जो कि लिवर के समान दिखाई देते हैं इस कारण इन्हें लिवर स्पॉट (liver’s spot) भी कहा जाता है। उम्र झाइयों का भी बहुत बड़ा कारण है। अक्सर झाइयां उम्र बढ़ने पर ही होती हैं।

हार्मोन परिवर्तन

हार्मोनल उतार चढ़ाव के परिणामस्वरूप पैदा होने वाले पिगमेंटेशन और  ब्लैक स्पॉट को अक्सर मेलास्मा (Melasma- काले धब्बों का एक प्रकार) या क्लोस्मा (Chloasma) कहा जाता है।

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन, सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर मेलानिन के अत्यधिक उत्पादन को प्रेरित करते हैं, जिस कारण त्वचा पर धब्बे पड़ जाते हैं।

कई गर्भवती महिलाओं में मेलास्मा का प्रभाव देखा जाता है इसलिए अक्सर गर्भावस्था में होने वाले काले धब्बों को मेलास्मा के अंतर्गत रखा जाता है।

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हालांकि, यह उन महिलाओं में भी पाया जा सकता है, जो रजोनिवृत्ति की प्रक्रिया से गुज़र रही हों, गर्भनिरोधक गोलियां लेती हों, थायरॉयड हार्मोन सही से काम न कर रहा हो या हार्मोन थेरेपी लेती हों। 

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पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन

जैसा कि नाम से पता चलता है, इस प्रकार का हाइपरपिगमेंटेशन त्वचा में चोट और सूजन आदि के कारण होता है, उदाहरण के लिए, घाव, सोरायसिस (Psoriasis), जलना (Burns), एक्जिमा, मुँहासे या वैक्सिंग करने के बाद। ऐसे सौंदर्य उत्पादों का उपयोग करना जो बहुत कठोर हों या हानिकारक हों, वो भी काले धब्बों का कारण होते हैं।

इत्र

कई इत्र में फोटोसेंसीटाइज़र (Photosensitizer- प्रकाश के प्रति संवेदनशील कारक) होता है जो त्वचा को सूर्य के प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है।

जब त्वचा पर परफ्यूम लगाकर आप तुरंत धूप में निकलते हैं तो उससे भी त्वचा पर काले धब्बे पड़ते हैं। इस स्थिति को लॉक डर्मेटाइटिस (Locked dermatitis) भी कहा जाता है। 

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इसे रोकने के लिए केवल अपनी शर्ट पर इत्र का उपयोग करें न कि चेहरे, गर्दन या त्वचा के अन्य भागों पर। इसके साथ ही ऐसे इत्र का चयन करें जिसमें फोटोसेंसीटाइज़र की मात्रा कम हो।

प्रदूषण

यदि आप बड़े शहरों में रहते हैं और आपके चेहरे पर लाल भूरे रंग के धब्बे हो रहे हैं, तो इसका कारण प्रदूषण हो सकता है।

ये स्पॉट इसलिए विकसित होते हैं क्योंकि त्वचा कोशिकाएं, प्रदूषण की वजह से त्वचा के होने वाले नुकसान को रोकने के लिए अतिरिक्त मेलानिन एंटीऑक्सिडेंट का उत्पादन करती हैं। 

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दवाओं का सेवन और कुछ रोगों के कारण

झाइयां, ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune diseases) जैसे, पाचन तंत्र और चयापचय संबंधी रोग या विटामिन की कमी का लक्षण भी हो सकती हैं। ऑटोइम्यून बीमारियां वे बीमारियां होती हैं जिनमें शरीर अपने ही तत्वों को न पहचान पाने की वजह से उनके प्रति एंटीबाडी (जो प्रोटीन्स बाहरी हानिकारक तत्वों को नष्ट करती हैं) बना देता है और वो फिर बीमारी का रूप ले लेती हैं। 

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काले दाग कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव के रूप में भी होते हैं जैसे, कीमोथेरेपी, एंटीबायोटिक दवाओं, मलेरिया की दवा आदि। इन दवाओं के साइड इफ़ेक्ट से, आपकी त्वचा अधिक संवेदनशील बनती है। ऐसी दवाओं का उपयोग आपकी त्वचा के किसी भी क्षेत्र में डार्क स्पॉट पैदा कर सकता है।

आनुवंशिक कारक

आनुवंशिक कारक, त्वचा में मेलानिन की मात्रा को प्रभावित करते हैं। गहरे रंग या काले रंग के लोगों में प्राकृतिक मेलानिन उच्च मात्रा में मौजूद होता है, इस प्रकार उनमें हाइपरपिगमेंटेशन का अधिक जोखिम होता है।

इन लोगों में मेलास्मा और पोस्ट इंफ्लेमेटरी हाइपर पिगमेंटेशन (PIH) प्रकार अधिक आम होते हैं। हालांकि, हल्के रंग वाले लोगों में झाई आदि अधिक आसानी से दिखाई देती हैं।

कुछ अन्य कारक

इनके अलावा कुछ सावधानी बरतने वाले कारण इस प्रकार हैं:

  1. क्या आप अपना चेहरा बहुत अधिक छूती हैं?
    पूरे दिन चेहरे को छूने से चेहरा जल्दी गन्दा और खराब होता है। हालांकि हर रात सोने से पहले त्वचा को अच्छी तरह से धोना महत्वपूर्ण होता है, लेकिन अनावश्यक रूप से चेहरे को छूने से अपने हाथों को रोकने की कोशिश करें। इससे मुँहासे उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया त्वचा में जा सकते हैं और अधिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
  2. क्या अपने हाल ही में सामान्य से अधिक डेयरी उत्पाद खाना शुरू किया है?
    ठोड़ी, जबड़े की जगह और गर्दन में दर्दनाक धब्बा या दाना होना इस बात का संकेत हो सकता है कि आप अपने आहार में जितना आपका शरीर बर्दाश्त कर सकता है उससे अधिक डेयरी उत्पादों का सेवन कर रही हैं। आपकी त्वचा उन चीजों को इन दानों या मुहासों और पिम्पल्स के रूप में बाहर निकालने का प्रयास करती है जिनकी उसमें अधिकता हो जाती है। इसलिए जब आप बहुत अधिक डेयरी पदार्थ खाती हैं, तो यह पचाने के लिए कठिन होता है और चेहरे के निचले हिस्से में धब्बों के रूप में उत्पन्न हो जाता है।
  3. क्या आप जबरदस्त तनाव में हैं?
    एक कॉलेज के प्रोफेसरों ने एक अध्ययन में यह साबित कर दिया कि तनाव, डार्क स्पॉट्स और झाइयों का बहुत बड़ा कारण है। यह न केवल मुहासों को पैदा करता है बल्कि पूरी त्वचा की समस्या उत्पन्न करता है। यह एड्रीनल ग्रंथियों (Adrenal glands) से कोर्टिसोल (Cortisol) के अधिक उत्पादन को प्रोत्साहित करता है, जो बदले में वसामय ग्रंथियों (Sebaceous glands) से अधिक तेल का उत्पादन करता है और त्वचा को ऑयली बना देता है। इस प्रकार तनावपूर्ण स्थिति में, मुँहासे और उन मुहासों से दाग धब्बों की अधिक शिकायत उत्पन्न होती है।
  4. क्या आप रात में अपनी त्वचा अच्छी तरह से सफाई करके नहीं सोती हैं?
    ऑयली त्वचा पर बैक्टीरिया तेज़ी से बढ़ते हैं और ये बैक्टीरिया चेहरे पर दाग का कारण बनते हैं। न केवल बिना मेकअप हटाए सोने से बल्कि पूरे दिन में त्वचा पर इकट्ठे होने वाले तेल, गंदगी आदि की सफाई न करने से भी नए दाग धब्बे बनते हैं। (और पढ़ें - मेकअप हटाने के प्राकृतिक तरीके)
  5. क्या आपने नए त्वचा उत्पादों का उपयोग करना शुरू किया है?
    जब आप त्वचा पर नए उत्पादों का उपयोग करते हैं तो कभी-कभी आपको शुरुआत में कुछ दाग धब्बों का सामना करना पड़ सकता है। यदि ऐसा दो सप्ताह से अधिक समय तक हो रहा है, तो वे आपकी त्वचा के लिए उपयुक्त नहीं हैं। उनका उपयोग करना बंद कर दें।
  6. क्या आपने हाल ही में पिछले कुछ दिनों या सप्ताह में विमान यात्रा की है?
    वास्तव में हवाई जहाज़ में यात्रा करने से भी त्वचा अजीब सी होती है। हवाई जहाज के केबिनों में बहुत कम नमी होती है, जिससे त्वचा अत्यधिक डिहाइड्रेट (पानी की कमी) हो सकती है। शुष्क हवा नमी को खींचती है फिर वो उसे चाहे जहां से भी प्राप्त हो। डिहाइड्रेट कोशिकाओं के कारण त्वचा की गहराई में तेल जमा हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप बाद में दाने, मुँहासे आदि निकलते हैं जो दाग धब्बों का कारण बनते हैं।
  7. क्या मौसम के तापमान में दिन प्रतिदिन उतार चढ़ाव हो रहा है?
    जब मौसम बदलता है और मौसम एक दिन गर्म और अगले दिन ठंडा होता है तो यह त्वचा पर कहर बरपा सकता है। जिससे त्वचा का संतुलन बिगड़ जाता है और त्वचा दाग धब्बों से ग्रस्त हो सकती है।

झाइयों और काले दाग धब्बों का इलाज - Pigmentation and dark spots treatment in Hindi

त्वचा के काले धब्बे को हल्का करने और हाइपरपिग्मेंटेशन को दूर करने के लिए आप निम्नलिखित उपचारों को आजमा सकते हैं -

क्रीम

बहुत से लोग हाइपरपिग्मेंटेशन के इलाज के लिए अलग-अलग क्रीम का उपयोग करते हैं। इन क्रीम में ऐसे तत्व शामिल होते हैं जो त्वचा को हल्का करते हैं, जैसे -

  • एजेलिक एसिड
  • कोर्टिकोस्टेरोइड
  • हाइड्रोक्विनोन
  • कोजिक एसिड
  • रेटिनोइड्स, जैसे कि ट्रेटीनोइन
  • विटामिन सी

कॉस्मेटिक प्रक्रियाएं

हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करने के लिए कुछ कॉस्मेटिक प्रक्रियाएं त्वचा को हल्का कर सकती हैं।

हाइपरपिग्मेंटेशन के लिए कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं में शामिल हैं -

  • लेजर थेरेपी
  • तीव्र स्पंदित प्रकाश
  • केमिकल पील
  • माइक्रोडर्माब्रेशन

जो लोग इन प्रक्रियाओं में से किसी एक पर विचार कर रहे हैं, उन्हें त्वचा विशेषज्ञ के साथ इन पर चर्चा करनी चाहिए।

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