पिगमेंटेशन यानि त्वचा में झाइयां एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा पर सामान्य त्वचा की तुलना में गहरे रंग के पैच बन जाते हैं. ये निशान अधिक काले तब होते हैं जब त्वचा में मेलेनिन की अधिकता हो जाती है. कुछ ऐसे बायोलॉजिकल फैक्टर भी हैं जो त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं, जैसे विटामिन की कमी, हार्मोंस में बदलाव होना, आयरन अधिक होना, मेलेनिन का अधिक उत्पादन और मुंहासों या फुंसी के निशान इत्यादि. हाइपरपिग्मेंटेशन के भी कई कारण हो सकते हैं.

मेलास्मा (Melasma) एक सामान्य पिगमेंटेशन डिसऑर्डर है जिसके कारण त्वचा पर सामान्‍य त्वचा के मुकाबले गहरे ब्राउन रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, खासतौर पर चेहरे पर. मेलास्मा आपकी त्वचा का रंग बनाने वाली कोशिकाओं के अधिक उत्पादन के कारण होता है. हालांकि त्वचा में मेलेनिन की अधिकता हानिरहित है और कुछ उपचार इसे ठीक करने में मदद कर सकते हैं.

(और पढ़ें - झाइयों का इलाज)

आज इस लेख में हम जानेंगे कि क्या वाकई आयरन की कमी से मेलस्मा होता है.

  1. मेलस्मा और आयरन के बीच संबंध - Relationship between melasma and iron in Hindi
  2. कुछ अन्य कारण - Some other reasons
क्या आयरन की कमी से त्वचा में मेलास्मा होता है? के डॉक्टर

रशियन ओपन मेडिकल जरनल-आरओएमजे (Russian Open Medical Journal-ROMJ) के मुताबिक, कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जिन्हें  देखकर ये कहा जा सकता है कि आयरन की कमी के कारण होने वाले एनीमिया और विटामिन बी 12 की कमी के कारण हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या हो सकती है.

आरओएमजे के मुताबिक, आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो रिप्रोडक्टिव उम्र की महिलाओं या युवा महिलाओं में सबसे अधिक होता है. ये महिलाओं का वो वर्ग है जो मेलास्मा के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होता है. जरनल में ये भी बताया गया कि मेलास्मा के रोगियों में हीमोग्लोबिन (एचबी) का स्तर, आयरन, फेरिटिन और टोटल आयरन बाइंडिंग कैपेसिटी-टीआईबीसी (TIBC) का सीरम स्तर बहुत कम देखा गया है. हालांकि मेलास्मा के मरीजों की पोषण संबंधी आदतें भी इस सीरम स्तर को बहुत ज्यादा प्रभावित करती हैं. इस शोध में ये भी कहा गया कि मेलास्मा की समस्या से पीड़ि‍त महिलाओं में हाई टीआईबीसी स्तर में आयरन बहुत कम होता है.

वर्तमान में हुए शोध भी इस ओर इशारा करते हैं कि मेलास्मा से पीड़ित महिलाओं में एनीमिया की समस्या को बार-बार देखा गया है और आयरन भी बहुत कम मात्रा में होता है. शोध में ये बातें भी सामने आईं कि मेलास्मा के रोगियों में आयरन का स्तर, बार-बार होने वाले एनीमिया और मरीज को पहले से कोई बीमारी के कारण या उम्र के कारण अलग भी हो सकता है. यानि यह कहना मुश्किल है कि  मेलास्मा के रोगियों में आयरन का स्तर कितना फीसदी कम होता है.

काजी एट अल (2017) द्वारा किए गए शोध के परिणामों में भी मेलास्मा से पीड़ित महिलाओं में एनीमिया बार-बार होने की आवृत्ति और आयरन की कमी को देखा गया जो कि वर्तमान में हुए शोधों के अनुरूप है.

इस शोध के निष्कार्ष में ये साबित हुआ कि मेलास्मा से पीड़ि‍त महिलाओं का आयरन प्रोफाइल सामान्य महिलाओं की तुलना में अलग होता है. साथ ही यह भी माना गया कि एनीमिया की उच्च आवृत्ति के कारण मेलास्मा हो सकता है.

(और पढ़ें - चेहरे की झाइयां हटाने के उपाय)

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आमतौर पर ये माना जाता है‍ कि मेलास्मा त्वचा में मेलानोसाइट्स (melanocytes; रंग बनाने वाली कोशिकाओं) की खराबी के कारण हो सकता है, जिससे वे बहुत अधिक रंग पैदा कर सकते हैं. ये भी कहा जाता है कि डार्क कलर की त्वचा वाले लोगों में मेलास्मा की होने की आशंका सबसे अधिक होती है, क्योंकि उनमें हल्की त्वचा वाले लोगों की तुलना में मेलेनोसाइट्स अधिक होता है.

डॉक्टर्स अभी तक समझ नहीं पाएं हैं कि असल में मेलास्मा क्यों होता है. लेकिन कुछ कारणों पर गौर किया जा सकता है -

अगर ये कहा जाए कि आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के कारण पिगमेंटेशन डिसऑर्डर होता है, तो ये गलत नहीं होगा.

(और पढ़ें - झाइयां हटाने की क्रीम)

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