इंसानों की तरह कुत्तों में भी मोतियाबिंद की समस्या हो सकती है। कुत्तों की आंखों का लेंस, जो किसी भी ऑब्जेक्ट को देखने में फोकस करता है, वह पारदर्शी होता है। इस प्रक्रिया को अकोमोडेशन कहा जाता है। कई बार कुत्तों की आंखों में लेंस के कुछ हिस्से आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ धुंधले होने लगते हैं और ये धुंधलापन आंखों के महत्वपूर्ण हिस्सों को प्रभावित करता है जो आंख संबंधी समस्याओं के अलावा अन्य तरह की भी जटिलताएं हो सकती हैं।
अब प्रश्न उठता है कि आंखों के लेंस धुंधले क्यों हो जाते हैं? कुछ खास तरह के नस्लों में मोतियाबिंद की समस्या जन्मजात होती है, यानी इसका संबंध जीन से है। आमतौर पर मोतियाबिंद पांच साल से कम उम्र के छोटे कुत्तों को प्रभावित करता है। इसके अलावा डायबिटीज भी मोतियाबिंद का कारण बन सकता है क्योंकि अतिरिक्त मात्रा में खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने से लेंस के आसपास मौजूद जलीय घोल की संरचना बदल सकती है। इसके अलावा किसी चोट और बिजली के झटके की वजह से भी मोतियाबिंद हो सकता है।
मोतियाबिंद की गंभीरता अलग-अलग हो सकती है। शुरुआत में मोतियाबिंद लगभग 15 प्रतिशत तक आंखों के लेंस को ढक देते हैं। यह इतना हल्का होता है कि मालिक इस समस्या को शुरुआत में पकड़ नहीं पाते हैं। जब मोतियाबिंद गंभीर होने लगता है तो यह लेंस के एक बड़े हिस्से को कवर कर लेता है और धीरे-धीरे लेंस की परतों को प्रभावित करने लगता है। इसकी वजह से देखने में मुश्किल होने लगती है, ऐसे में रेटिना भी दिखाई नहीं देता है।
मोतियाबिंद स्वयं आमतौर पर दर्दनाक नहीं होते हैं, लेकिन इसकी वजह से ग्लूकोमा और यूवाइटिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिनकी वजह से तेज दर्द हो सकता है। ग्लूकोमा आंख के भीतर दबाव बढ़ने के कारण होता है और इससे अंधापन हो सकता है, जबकि यूवाइटिस आंख की मध्य परत में होने वाली सूजन को कहते हैं।
शुरुआती या अपरिपक्व मोतियाबिंद के मामले में, आई ड्रॉप आंखों को फैलने से रोकने और रेटिना पर अधिक रोशनी डालने में मदद कर सकती है। जबकि, गंभीर मोतियाबिंद की स्थिति में लेंस पायसीकरण नामक सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में, मोतियाबिंद को ठीक करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। इस दौरान एक वैक्यूम पंप खराब ऊतकों को बाहर निकालता है और इसके स्थान पर एक कृत्रिम यानी आर्टिफिशियल लेंस लगाया जाता है। हालांकि, सर्जरी की वजह से कुछ जटिलताएं भी हो सकती हैं।
सर्जरी के बाद कुत्ते की आंखों में अनिश्चित रूप से आई ड्रॉप डालने की जरूरत होती है। यदि सर्जरी के बाद खून बह रहा है तो यह खतरनाक हो सकता है जो कि अंधेपन का कारण भी बन सकता है। खून बहने की वजह से वह अत्यधिक भौंकने लगते हैं या उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन देखा जा सकता है। इसकी वजह से आंख में जलन भी हो सकती है जो दर्दनाक हो सकती है और इससे ग्लूकोमा और यूवाइटिस भी हो सकता है।
यदि ऑपरेशन से पहले कुत्ते की आंखों में जलन कम है और कुत्ता अभी वयस्क नहीं हुआ है तो ऐसे में सर्जरी के सफल होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, इलेक्ट्रो रेटिनोग्राम की जांच करनी चाहिए, ताकि पता चल सके कि रेटिना अब भी कार्य कर रहा है या नहीं। बता दें कि इलेक्ट्रो रेटिनोग्राम रेटिना के कामकाज को निर्धारित करता है। यदि रेटिना सही से काम नहीं कर रहा है तो ऐसे में सर्जरी की जरूरत नहीं होती है।
डायबिटीज भी कुत्तों में मोतियाबिंद का एक कारण बन सकता है। इसलिए कुत्ते के लिए स्वस्थ आहार और नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां महत्वपूर्ण हैं। अगर कुत्ता जन्मजात अंधेपन का शिकार है तो ऐसे में कोई भी उपाय काम नहीं आता। कुछ न दिखाई देने की स्थिति में यह जानवर गंध और सुनने की क्षमता पर भरोसा रखते हैं। ऐसी स्थिति में यदि इन जानवरों को अपने मालिक से स्नेह और समर्थन मिलता है तो इनके जीवन की गुणवत्ता उच्च हो सकती है।
(और पढ़ें - कुत्ते का स्वास्थ्य और देखभाल)