रक्त में बिलीरुबिन (Bilirubin) का स्तर बढ़ जाने के कारण व्यक्ति को पीलिया होता है। ये स्तर लिवर, ब्लैडर और पित्त नलिकाओं से संबंधित कई बीमारियों के कारण बढ़ सकता है। पीलिया होने पर रोगी की आंख का सफेद भाग और उसकी त्वचा पीली पड़ने लगती है। अगर पीलिया करने वाले कारण को समय रहते ठीक न किया जाए, तो रोगी के लिए ये जानलेवा साबित हो सकता है।
(और पढ़ें - बिलीरुबिन टेस्ट कैसे किया जाता है)
पीलिया कई कारणों से होता है, जैसे बिलीरुबिन मेटाबोलिज्म से संबंधित अनुवांशिक समस्याएं, लिवर रोग, मूत्राशय के रोग, अग्नाशय कैंसर और हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी व ई के कारण हुए लिवर इन्फेक्शन। त्वचा पीली होने के अलावा, पीलिया में त्वचा का फीकापन, रूखी त्वचा, नाखूनों का बीच में से दबकर चम्मच की तरह हो जाना और त्वचा मोटी होने जैसे लक्षण होते हैं।
पीलिया का पता लगाने के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट किए जा सकते हैं। पीलिया का इलाज करने के लिए और अंदरूनी कारण को ठीक करने के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे शेलिडोनियम (Chelidonium), कार्डुअस मेरियनस (Carduus marianus), लायकोपोडियम (Lycopodium) और फॉस्फोरस (Phosphorus)। कुछ मामलों में, लायकोपोडियम (Lycopodium) जैसी दवाओं से पीलिया की जटिलताएं भी ठीक की गई हैं, जैसे लिवर में सूजन और पेट में पानी भरना।
(और पढ़ें - पीलिया होने पर क्या करना चाहिए)
- होम्योपैथी में पीलिया का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me jaundice ka ilaaj kaise hota hai
- पीलिया की होम्योपैथिक दवा - Jaundice ki homeopathic dawa
- होम्योपैथी में पीलिया के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me jaundice ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
- पीलिया के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Jaundice ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
- पीलिया के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Jaundice ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
होम्योपैथी में पीलिया का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me jaundice ka ilaaj kaise hota hai
पीलिया, वायरल इन्फेक्शन जैसी एक्यूट समस्याओं से भी हो सकता है और लिवर फेलियर व सिरोसिस जैसी क्रोनिक स्थितियां भी इसका कारण बन सकती हैं। होम्योपैथिक दवाएं रोग से जुडी अंदरूनी समस्याओं को ठीक करने में मदद करती हैं। थूजा (Thuja) नामक होम्योपैथिक दवाएं एंटीवायरल दवाओं की तरह काम करती हैं, हालांकि, शेलिडोनियम (Chelidonium) और कार्डुअस मेरियनस (Carduus marianus) सीधा लिवर पर असर करती हैं और उसके काम को ठीक करने में मदद करती हैं। बेलाडोना (Belladonna) को सूजन व दर्द के मामलों में सबसे पहले उपयोग किया जाता है और लायकोपोडियम (Lycopodium) से एडिमा को ठीक करने में मदद मिलती है।
(और पढ़ें - लीवर बढ़ने के लक्षण)
कुछ अध्ययन में ये पाया गया कि जिन मामलों में पीलिया के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आम उपचार काम नहीं कर पा रहे थे, वहां फॉस्फोरस (Phosphorus) और सीपिया (Sepia) जैसी होम्योपैथिक दवाओं ने दीर्घकालिक पीलिया को ठीक किया और लिवर की अन्य समस्याओं का भी उपचार किया। ज्यादातर मामलों में, इन्फेक्शन करने वाले एजेंट से हुई लिवर की सूजन के कारण ही लिवर को नुकसान पहुंचता है। इससे लिवर इन्फेक्शन और लिवर में पानी भरने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे मामलों में, फॉस्फोरस (Phosphorus) और मेडोराएनिम (Medorrhinum) जैसी दवाओं से पीलिया की अंदरूनी समस्याओं को ठीक किया जाता है।
होम्योपैथी में रोगी की बीमारी के अंदरूनी कारण को समझा जाता है और उसके लक्षणों के आधार पर उसे उचित दवा दी जाती है। इसके अलावा, होम्योपैथिक दवाओं का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता और न ही इनका उपयोग करने के कोई जोखिम कारक होते हैं।
(और पढ़ें - पीलिया का घरेलू उपचार)
पीलिया की होम्योपैथिक दवा - Jaundice ki homeopathic dawa
पीलिया का इलाज करने के लिए प्रयोग की जाने वाली दवाओं के बारे में नीचे दिया गया है:
- एकोनिटम नेपेलस (Aconitum Napellus)
सामान्य नाम: मौंक्सहुड (Monkshood)
लक्षण: पीलिया के साथ नीचे दिए गए लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:- लगातार चिंता और डर बने रहना।
- शारीरिक और मानसिक तौर से बेचैनी। (और पढ़ें - बेचैनी कैसे दूर करे)
- अचानक बुखार होने के साथ बहुत प्यास लगना। (और पढ़ें - बुखार कम करने का घरेलू उपचार)
- शरीर में अलग-अलग जगह सूजन और दर्द होना।
- भविष्य की चिंता होना।
- आंख, मुंह और त्वचा का सूखापन। (और पढ़ें - स्किन एलर्जी का इलाज)
- अलग-अलग अंगों में जलन।
- असहनीय पेट दर्द होना, जिससे रोगी बहुत बेचैन हो जाता है।
- बुखार उतरने के बाद पसीना आना, जिससे लक्षणों में राहत मिलती है। (और पढ़ें - ज्यादा पसीना आना रोकने के उपाय)
- ताजी हवा में बेहतर महसूस करना।
- संगीत और ठंडी हवा जैसे बाहरी कारकों से लक्षण बढ़ जाना।
- आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
सामान्य नाम: आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड (Arsenic Trioxide)
लक्षण: किसी भी प्रकार के वायरल इन्फेक्शन के लिए ये दवा सबसे अच्छी दवाओं में से एक मानी जाती है। निम्नलिखित लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जानी चाहिए:- बहुत ज्यादा बेचैनी।
- हर दिन एक ही समय पर बुखार होना। (और पढ़ें - तेज बुखार होने पर क्या करना चाहिए)
- बहुत ज्यादा थकान महसूस होना। शरीर में किसी जगह या पूरे शरीर में जलन। (और पढ़ें - थकान दूर करने का घरेलू इलाज)
- हमेशा मौत का डर रहना और अकेले रह जाने से डरना।
- नाक बंद होना और सांस न ले पाना। (और पढ़ें - सांस फूलने के कारण)
- खाने को देखने या उसकी गंध से भी उल्टी का मन हो जाना।
- बहुत ज्यादा प्यास लगने के बाद भी कुछ घूंट से ज्यादा पानी न पी पाना। लिवर और प्लीहा का बढ़ना। (और पढ़ें - पानी कितना पीना चाहिए)
- शरीर में जलन व दर्द होना जो गर्मी से बढ़ जाता है।
- बेलाडोना (Belladonna)
सामान्य नाम: डेडली नाइटशेड (Deadly nightshade)
लक्षण: ये दवा हर व्यक्ति को सूट करती है, हालांकि, इसे ज्यादातर बच्चों के लिए उपयोग किया जाता है। नीचे दिए गए लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:- शरीर में लाली, जलन और नसें फड़कने की भावना महसूस होना जो मुख्य तौर पर बुखार चढ़ने पर होती है।
- दौरे पड़ने के बाद मतली और उल्टी होना। (और पढ़ें - उल्टी को रोकने के उपाय)
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा, जिसके कारण व्यक्ति किसी के आस-पास रहना पसंद नहीं करता। (और पढ़ें - गुस्सा कैसे कम करें)
- शरीर के अलग-अलग भागों में तेज दर्द होना। पेट में खिंचाव होना और हाथ लगाने पर दर्द महसूस होना।
- पतला और हरे रंग का मल आना।
- पेट में तेज दर्द महसूस होना, जैसे कोई पेट को काट रहा हो।
- पूरे शरीर में खुश्की। (और पढ़ें - रूखी त्वचा के लिए क्या खाना चाहिए)
- नींद में बेचैनी होना।
- ब्रायोनिया एल्बा (Bryonia Alba)
सामान्य नाम: वाइल्ड हॉप्स (Wild Hops)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए उपयोगी है जिन्हें गुस्सा जल्दी आता है और उन्हें शरीर की दाहिनी तरफ समस्याएं होती हैं। पीलिया के साथ नीचे दिए गए लक्षण अनुभव करने पर इस दवा का उपयोग किया जाता है:- पेट के क्षेत्र में तेज दर्द होना। (और पढ़ें - पेट दर्द के घरेलू उपचार)
- आराम करने पर दर्द घटना और हिलने-डुलने पर बढ़ जाना।
- आंखों, मुंह, होंठ और त्वचा में खुश्की।
- चिड़चिड़ापन।
- बहुत ज्यादा शारीरिक कमजोरी महसूस होना। (और पढ़ें - कमजोरी दूर करने का घरेलू इलाज)
- तेज सिरदर्द। (और पढ़ें - सिर दर्द के लिए योग)
- सुबह के समय मतली होना।
- पेट पर हाथ लगाने में दर्द होना।
- लिवर में सूजन के साथ जलन व दर्द।
- त्वचा पीली व फीकी होना। (और पढ़ें - त्वचा पर चकत्ते के कारण)
- पहले से ज्यादा प्यास लगना।
- कार्डुअस मारियानस (Carduus Marianus)
सामान्य नाम: सेंट मैरी थीस्ल (St. Mary’s thistle)
लक्षण: लिवर और नसों से संबंधित समस्याओं के लिए मुख्यतः ये दवा उपयोग की जाती है। ये दवा ज्यादातर बड़े लोगों को सूट करती है और शराब की लत, पीलिया, सूजन व शुगर के मेटाबॉलिज्म में समस्या होने के मामलों में इसका उपयोग किया जाता है। निम्नलिखित लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:- पूरे शरीर में दर्द महसूस होना।
- वैरिकोज वेन्स और छाले होना। (और पढ़ें - वैरिकोज वेन्स के घरेलू उपाय)
- मुंह का स्वाद कड़वा होना।
- पेट की ऊपरी दाहिनी तरफ दर्द होना (लिवर के क्षेत्र में)।
- कब्ज, सख्त मल आना। (और पढ़ें - कब्ज में परहेज)
- कभी-कभी चटक पीले रंग का मल आना।
- पेशाब का रंग काफी हद तक सुनहरा होना। (और पढ़ें - यूरिन का रंग कैसा होना चाहिए)
- चेलिडोनियम माजुस (Chelidonium Majus)
सामान्य नाम: सेलेन्डाइन (Celandine)
लक्षण: ये ऐसी दवा है जिसे कई लिवर संबंधी विकार ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है। ये एंटी-वायरल, एंटी-इन्फेमेट्री, एंटी-ट्यूमर और एंटी-माइक्रोबियल दवा की तरह काम करती है। पीलिया से पीड़ित जानवरों पर किए गए एक अनुसंधान के अनुसार, चेलिडोनियम का उपयोग करने से 10 दिन के अंदर उनका पीलिया ठीक किया गया था। जब पीलिया के कारण पित्त की पथरी और लिवर से पित्त तक बाइल जूस आने में रुकावट होती है, तब यह दवा दी जाती है। नीचे दिए गए लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:- दाहिने कंधे की निचली तरफ लगातार दर्द होना। (और पढ़ें - कंधे में दर्द का इलाज)
- त्वचा में पीलापन मौजूद होना।
- मौसम बदलने के कारण लक्षण अनुभव करना।
- सामान्य रूप से सुस्ती महसूस होना।
- सिर भारी होना।
- लिवर में दर्द होने से पहले सिर की दाहिनी तरफ और आंख में भी दर्द होना। (और पढ़ें - आधे सिर में दर्द होने के कारण)
- त्वचा गरम और सूखी लगना। कभी-कभी त्वचा ठंडी और चिपचिपी भी हो सकती है।
- दबाव डालने पर लक्षण बेहतर होना।
- चाइना ओफ्लिनेलिस (China Offinalis)
सामान्य नाम: पेरुवीयन बार्क (Peruvian bark)
लक्षण: निम्नलिखित लक्षण अनुभव कर रहे लोगों को ये दवा दी जाती है:- शरीर से तरल पदार्थ निकलने के कारण कमजोरी। (और पढ़ें - शरीर में पानी की कमी के लक्षण)
- बार-बार लक्षण वापिस आना।
- दिमाग में बहुत कुछ चलने के कारण नींद न आना।
- आंखों के आस-पास नीलापन, आंख के सफेद भाग का पीला होना। (और पढ़ें - आंख लाल होने पर क्या करना चाहिए)
- हवा में तैरते हुए पदार्थ नजर आना।
- चेहरे का रंग पीला पड़ना और बुझा-बुझा दिखना।
- उल्टी आना। (और पढ़ें - नवजात शिशु को उल्टी होने के कारण)
- बहुत ज्यादा पेट फूलना, जो चलने पर बेहतर हो जाता है।
- ज्यादातर पेट की ऊपरी दाहिनी तरफ दर्द होना।
- एक हाथ ठंडा और एक गरम होना।
- लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)
सामान्य नाम: क्लब मॉस (Club moss)
लक्ष्ण: ये दवा उन को सूट करती है जो पतले होते हैं, लेकिन उनका पेट निकला हुआ होता है। ऐसे लोग अपनी उम्र से ज्यादा उम्र के लगते हैं और उन्हें यूरिक एसिड की अधिकता, किडनी और पाचन संबंधित विकार के लक्षण होते हैं। ज्यादातर लक्षण शरीर की दाहिनी तरफ होते हैं। निम्नलिखित लक्षणों में ये दवा दी जाती है:- त्वचा पर पीले धब्बे। (और पढ़ें - चेहरे के दाग धब्बे हटाने के उपाय)
- पेशाब में लाल रंग आना। (और पढ़ें - पेशाब में खून आने का कारण)
- समय से पहले बुढ़ापा आना, माथे पर आड़ी लाइन और समय से पहले बाल सफेद होना। (और पढ़ें - सफेद बालों को काला करने का तरीका)
- अपच होना, खासकर भारी, फैट वाला और खमीर वाला खाना खाने के बाद। अपच के कारण खट्टी डकार आना।
- पेट फूलना।
- पेट पर ब्राउन रंग के धब्बे दिखना।
- हाथ-पैरों में सूजन और दर्द। (और पढ़ें - पैरों में सूजन के घरेलू उपाय)
- त्वचा के सूखेपन के साथ झुर्रियां पड़ना।
- नक्स वोमिका (Nux Vomica)
समान्य नाम: पाइजन नट (Poison nut)
लक्षण: ये दवा उन लोगों को दी जाती है जिन्हें पहले कुनेन की दवा की लत थी। ऐसे लोग चिड़चिड़े होते हैं, उन्हें जल्दी गुस्सा आ जाता है और उनकी जीवनशैली सुस्ती भरी होती है। इस दवा से इलाज के लिए इस्तेमाल की गई अन्य दवाओं के दुष्प्रभाव को ठीक किया जाता है। इस दवा को निम्नलिखित लक्षणों में दिया जाता है:- धूप में जाने पर सिरदर्द होना।
- ठंड में नाक बंद हो जाना। (और पढ़ें - बंद नाक खोलने के उपाय)
- पेट में भारीपन महसूस होना। व्यक्ति को खाने के बाद मतली महसूस हो सकती है।
- पेट फूलना। (और पढ़ें - पेट फूलने का कारण)
- लिवर भरा हुआ महसूस होना और उसमें दर्द होना। (और पढ़ें - लिवर रोग के लक्षण)
- कब्ज होना और ऐसी भावना होना जैसे आप पूरी तरह से मल नहीं कर पाए हैं। (और पढ़ें - कब्ज दूर करने के उपाय)
- फॉस्फोरस (Phosphorus)
सामान्य नाम: फॉस्फोरस (Phosphorus)
लक्षण: ये दवा लंबे और पतले लोगों के लिए इस्तेमाल की जाती है जिन्हें अचानक से लक्षण अनुभव होने लगते हैं। पीलिया के साथ निम्नलिखित लक्षण हों, तो इस दवा को दिया जाता है:- सूजन। (और पढ़ें - सूजन कम करने के घरेलू उपाय)
- हेपेटाइटिस या इन्फेक्शन के कारण त्वचा का पीलापन। (और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी के लक्षण)
- जीभ सूखना, लाल होना और मुलायम होना।
- खून की कमी। (और पढ़ें - खून की कमी का घरेलू इलाज)
- प्यास लगना, लेकिन ठंडा पानी पीने का मन करना।
- खाने के तुरंत बाद भूख लग जाना।
- लिवर का क्षेत्र भरा हुआ लगना और उसमें दर्द होना।
- वायरल लिवर इन्फेक्शन। (और पढ़ें - ब्लड इन्फेक्शन के लक्षण)
होम्योपैथी में पीलिया के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me jaundice ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
होम्योपैथिक उपचार के साथ आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:
क्या करें:
- एक स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें।
- एक्यूट मामलों में, रोगी को खाने-पीने के लिए वह चीजें देनी चाहिए जो वह कहता है। अगर उसे उसकी मनपसंद चीज दी जाएंगी तो रोगी को बेहतर महसूस होगा और थोड़ी देर के लिए आराम भी मिलेगा। (और पढ़ें - पीलिया में क्या खाना चाहिए)
- ताजी हवा में सैर व व्यायाम करने से आपको आराम मिलेगा और दिमाग शांत करने में मदद मिलेगी। (और पढ़ें - दिमाग शांत करने के उपाय)
क्या न करें:
- होम्योपैथिक दवाओं को अन्य दवाओं और तेज गंध वाली वस्तुओं के आस-पास न रखें। ऐसा करने से दवा के असर पर प्रभाव पड़ सकता है।
- ऐसे पदार्थों का सेवन न करें जिनके औषधीय गुण हों, जैसे कॉफी, जड़ी बूटी वाली चाय, हर्बल चाय और मसालेदार खाने। होम्योपैथिक दवाओं को पहले ही बहुत कम मात्रा में उपयोग किया जाता है और इन पदार्थों के सेवन से दवा के कार्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। (और पढ़ें - ग्रीन टी पीने के फायदे)
- किसी भी तरह का शारीरिक या मानसिक तनाव न लें।
(और पढ़ें - तनाव दूर करने का घरेलू उपाय)
पीलिया के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Jaundice ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथिक दवाओं का कोई भी दुष्प्रभाव या इन्हें लेने का कोई जोखिम कारक अभी तक सामने नहीं आया है। ये दवाएं बहुत ही सुरक्षित होती हैं क्योंकि इन्हें प्राकृतिक समाग्री का इस्तेमाल करके बहुत ज्यादा घोला जाता है और उसके बाद उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है।
(और पढ़ें - पीलिया के लिए डाइट चार्ट)
पीलिया के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Jaundice ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
पीलिया एक ऐसा विकार है जो बिलीरुबिन मेटाबोलिज्म से संबंधित समस्याओं के कारण होता है। ये समस्याएं ज्यादातर लिवर के काम में हुई किसी गड़बड़ी के कारण होती हैं। होम्योपैथी में ऐसी बहुत सी दवाएं उपलब्ध हैं जो पीलिया के अंदरूनी कारणों को ठीक कर सकती हैं और साथ ही इसकी जटिलताओं से भी बचाव करती हैं। हालांकि, कोई भी होम्योपैथिक दवा लेने से पहले आपको एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए ताकि वे आपकी समस्या के लक्षणों के आधार पर आपको उचित दवाएं दे सकें।
(और पढ़ें - मेटाबोलिज्म बढ़ाने के तरीके)
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12 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
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