सुप्त मत्स्येन्द्रासन एक सरल आसन है जो लगभग कोई भी कर सकता है। लेकिन इसकी सरलता में इसकी उपयोगिता छिपी है: लेट कर किए जाने वाला यह आसन रीढ़ की हड्डी में मोड़ लाकर उसे लंबा और मजबूत करता है। और साथ में ही आंतरिक अंगों की मालिश करके उन्हे विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है।

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इस लेख में सुप्त मत्स्येन्द्रासन के तरीके और उससे होने वाले लाभों ंके बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि आसन करने के दौरान क्या सावधानी बरतें। लेख के अंत में एक वीडियो भी शेयर किया गया है।

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  1. सुप्त मत्स्येन्द्रासन के फायदे - Supta Matsyendrasana (Supine Spinal Twist Pose) ke Fayde in Hindi
  2. सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने से पहले यह आसन करें - Supta Matsyendrasana (Supine Spinal Twist Pose) se pahle aasan in Hindi
  3. सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका - Supta Matsyendrasana (Supine Spinal Twist Pose) karne ka tarika in Hindi
  4. सुप्त मत्स्येन्द्रासन का आसान रूपांतर - Supta Matsyendrasana (Supine Spinal Twist Pose) ke Modifications in Hindi
  5. सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने में क्या सावधानी बरती जाए - Supta Matsyendrasana me kya savdhani barte in Hindi
  6. सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने के बाद आसन - Supta Matsyendrasana (Supine Spinal Twist Pose) ke baad aasan in Hindi
  7. सुप्त मत्स्येन्द्रासन का वीडियो - Supta Matsyendrasana Video in Hindi

सुप्त मत्स्येन्द्रासन के लाभ इस प्रकार हैं:

  1. यह आसन पीठ और नितंब की मांसपेशियों में खिचाव लाता है।
  2. यह रीढ़ की हड्डी को लंबा करता है, और आराम देता है।
  3. यह पाचन अंगों की मालिश करता है और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है। नतीजतन, यह कमर का टोन करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ को हटाने में भी मदद करता है। (और पढ़ें - बॉडी को डिटॉक्स कैसे करें)
  4. यह आसन खून के प्रवाह को पाचन अंगों तक पहुँचने में मदद करता है, जिससे आपके पूरे पाचन तंत्र का स्वास्थ्य और कार्य बेहतर होता है।
  5. पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों, और रीढ़ की हड्डी में दर्द को कम करता है।
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सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने से पहले यह आसन करें:

  1. पवनमुक्तासन (Pawanmuktasana or Wind-Relieving Pose)
  2. उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन (Utthita Hasta Padangusthasana or Extended Hand-To-Big-Toe Pose)
 

सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका इस प्रकार है:

  1. पीठ के बल सीधा ज़मीन पर लेट जायें।
  2. दोनो हाथों को कंधों की सिधाई में दोनो ओर फैला लें।
  3. दाईं टाँग को घुटने से मोड़ें और ऊपर उठायें। दायें पैर को बायें घुटने पर टिका लें।
  4. अब साँस छोड़ते हुए, और दायें कूल्हे को उठाते हुए, पीठ को बाईं ओर मोड़ें और दायें घुटने को नीचे की ओर जाने दें। ऐसा करते समय दोनो हाथ ज़मीन पर टिका कर ही रखें।
  5. कोशिश करें की दायां घुटना पूरी तरह से शरीर की बाईं ओर ज़मीन पर टिक जाए।
  6. सिर को दाईं ओर घुमायें। अब आप सुप्त मत्स्येन्द्रासन की मुद्रा में हैं।
  7. इस मुद्रा में 30-60 सेकेंड तक रहें। सामान्य रूप से साँस लेते रहें।
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सुप्त मत्स्येन्द्रासन को आसान बनाने के लिए यह कर सकते हैं:

  1. यदि आपका घुटना जमीन तक नहीं पहुंचता है, तो समर्थन के लिए इसके नीचे एक योगा ब्लॉक या तौलिया मोड़ कर रखें।
  2. यदि आपकी रीढ़ की हड्डी में लचीलेपन कम है, तो आप दोनों घुटनों को एक साथ घुमा सकते हैं।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन करते समय यह सावधानियाँ अवश्य बरतें:

  1. यदि पीठ दर्द, पीठ की चोट या रीढ़ की हड्डी की डिस्क्स में कोई परेशानी हो, तो यह आसन बहुत सावधानी के साथ करें। बेहतर यही होगा कि केवल एक अनुभवी और जानकार प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में इस आसन का अभ्यास करें।
  2. यदि आपके घुटनों या कूल्हों में चोट हो, तो इस आसन का अभ्यास ना करें।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने के बाद यह आसन करें:

  1. बद्ध कोणासन (Baddha Konasana or Bound Angle Pose)
  2. अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana or Half Lord of the Fishes Pose)

 

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