पश्चिमोत्तानासन का नाम दो शब्दों के मेल से बना है: पश्चिम, और उत्तान। पश्चिम यानी पश्चिम दिशा या शरीर का पिछला हिस्सा, और उत्तान मतलब खिचा हुआ।
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पश्चिमोत्तानासन का नाम दो शब्दों के मेल से बना है: पश्चिम, और उत्तान। पश्चिम यानी पश्चिम दिशा या शरीर का पिछला हिस्सा, और उत्तान मतलब खिचा हुआ।
हर आसन की तरह पश्चिमोत्तानासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:
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पश्चिमोत्तानासन करने से पहले आप यह आसन कर सकते हैं।
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पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।
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किसी भी योगासन में कभी भी अपनी शारीरिक क्षमता से ज़्यादा करने की कोशिश ना करें, खास तौर से कि उन आसन में जिनमें आप आगे मुड़ते हैं। यह बात पश्चिमोत्तानासन पर भी लागू होती है क्यूंकी पीठ पर प्रभाव बैठ कर करने वाले आसन से ज़्यादा पड़ता है। अक्सर, हॅम्स्ट्रिंग या पीठ की मसपेशियों में जकड़न की वजह से, शुरुआत में ज़्यादा आगे मुड़ पॅयन मुश्किल होता है। कई बार तो ऐसा प्रतीत होता है कि आप सीधे ही बैठे हुए हैं। अगर ऐसा हो तो चिंता ना करें। समय के साथ आप में लचीलापन बढ़ने लगेगा और आप ज़्यादा आगे मउद पाएँगे।
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पश्चिमोत्तानासन को ठीक से करने के लिए यह वीडियो ध्यान से देखें।