आज दुनिया भर में स्ट्रेस की समस्या से लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है. बच्चें हो या बुजुर्ग हर कोई स्ट्रेस से पीड़ित हैं. स्टडी के अनुसार, कोरोना महामारी में स्ट्रेस से ग्रस्त लोगों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही, जो एक चिंताजनक स्तर तक पहुंच चुकी है. यदि कोई व्यक्ति स्ट्रेस की समस्या से परेशान हैं, तो वह आसानी से सुदर्शन क्रिया की मदद से स्ट्रेस को दूर कर सकता है.

सुदर्शन क्रिया ब्रीथिंग यानी श्वसन से जुड़ी ऐसी अनोखी योग तकनीक है, जिसके माध्यम से स्ट्रेस से छुटकारा पा सकते हैं और अपनी इम्यूनिटी को भी मजबूत कर सकते हैं. बस ध्यान रखें कि इस क्रिया को करने से पहले कुछ विशेष सावधानियों की आवश्यकता हो सकती है.

इस लेख में सुदर्शन क्रिया क्या है, प्रक्रिया, फायदे, सावधानियां और नुकसान के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. सुदर्शन क्रिया क्या है?
  2. सुदर्शन क्रिया की प्रक्रिया
  3. सुदर्शन क्रिया के फायदे
  4. सुदर्शन क्रिया में सावधानियां
  5. सुदर्शन क्रिया के नुकसान
  6. सारांश
सुदर्शन क्रिया के डॉक्टर

सुदर्शन क्रिया श्वास से जुड़ा एक विशेष योगासन है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी सांसों को नियंत्रित कर सकते हैं. इस योगासन के अंतर्गत तेज और धीमी गति से सांस अंदर-बाहर करनी होती है. यह क्रिया नियमित रूप से करने से स्ट्रेस और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से राहत मिलती है. इसके साथ ही यह इम्युनिटी को भी बढ़ाता, जिससे कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है.

योग विज्ञान में सुदर्शन क्रिया का विशेष महत्व बताया गया है. सुदर्शन क्रिया शब्द में 'सु' का मतलब होता है 'सही' और 'दर्शन' का अर्थ होता है दृष्टि. इस तरह इसका शाब्दिक अर्थ हुआ ऐसी क्रिया जिससे आपको सही दृष्टि मिलती है. प्राचीन काल से ही यह भारत में व्यापक स्तर पर लोगों द्वारा किया जाता रहा है.

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च स्टडी के अनुसार, एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं को दूर करने करने में सुदर्शन क्रिया काफी प्रभावी है. इस योगासन को करने में आम तौर पर कोई जोखिम नहीं है और इससे दिमाग और शरीर के बीच उचित संतुलन बनता है.

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सुदर्शन क्रिया एक विशेष योगासन है, जो कुल 4 चरणों में की जाती है. इसका सम्पूर्ण लाभ पाने के लिए हर एक व्यक्ति को इसकी पूरी प्रक्रिया की जानकारी होना जरूरी है. सुदर्शन क्रिया को सही तरीके से करने के लिए हर चरण की प्रक्रिया को पूरा करना होगा. सुदर्शन क्रिया के मुख्य रूप से 4 चरण होते हैं, जिनके बारे में नीचे क्रमवार तरीके से बताया गया है -

उज्जयी प्राणायाम

उज्जायी प्राणायाम सुदर्शन क्रिया का पहला चरण है. इसको करने के लिए सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं. शुरू में सांस लेने और छोड़ने का समय समान होना चाहिए. अपनी नाक से सांस लें और पूरा ध्यान इसी पर लगाएं. यही प्रक्रिया सांस छोड़ते समय भी अपनाएं. 1 मिनट में करीब 2 से 4 बार सांस लें और छोड़ें. इससे अपनी सांसों पर नियंत्रण पा सकेंगे और इस क्रिया को नियमित रूप से करने से काफी रिलैक्स महसूस होगा.

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भस्त्रिका प्राणायाम

सुदर्शन क्रिया का दूसरा चरण भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है. इसमें जल्दी-जल्दी सांस ली और छोड़ी जाती है. 1 मिनट में करीब 30 बार सांस लेने और छोड़ने का प्रयास करें. आपका ध्यान पूरी तरह से सांस छोड़ने पर होना चाहिए, जिससे सांस लेने की तुलना सांस छोड़ने में दोगुना समय लगे. इसको रोजाना करने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं और मन शांत रहता है.

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ओम का जाप

ओम का जाप सुदर्शन क्रिया का तीसरा चरण है, जिसके तहत आपको सुबह के समय बैठकर ओम का ऊंचे स्वर में जाप करें. शाम की बजाय भोर में उठकर ओम का जाप करने से आपको अधिक लाभ होता है. यह आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा को लाता है, जिससे आप मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस करते हैं.

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क्रिया योग

यह सुदर्शन क्रिया का अंतिम चरण है. इस चरण में सांसों की गति को बार-बार बदलने पर जोर दिया जाता है. पहले धीरे-धीरे सांस ली और छोड़ी जाती है. बाद में इसकी गति को तेज कर दिया जाता है. सांसों की गति विशेष लय में होनी चाहिए और इसका एक पूरा साइकिल होना चाहिए. इससे आपका शरीर स्वच्छ होता है और आपके अंदर पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है.

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सुदर्शन क्रिया हमारी सांस से जुड़ा एक प्रभावी योगासन है, जिससे आपको स्ट्रेस, अवसाद और तनाव जैसी समस्याओं से राहत मिलती है. हालांकि सुदर्शन क्रिया से अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में भी मदद मिल सकती है, जैसे-

  • इससे शरीर का मानसिक स्तर संतुलित रहता है. जिससे आपको स्ट्रेस, चिंता और डिप्रेशन से आराम मिल सकता है.
  • सुदर्शन क्रिया से पूरे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. नकारात्मक विचारों को दूर करने में यह काफी प्रभावी है.
  • अनिद्रा या नींद न आने में किसी भी तरह की परेशानी को दूर करने में यह क्रिया लाभकारी हो सकती है.
  • आत्मविश्वास का स्तर बढ़ाने में सुदर्शन क्रिया मददगार हो सकती है. 
  • यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है, जिससे सारे अंग सुचारू रूप से काम करते हैं.
  • रेस्पिरेटरी सिस्टम मजबूत करने में भी यह क्रिया प्रभावी हो सकती है.

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सुदर्शन क्रिया एक आसान और सुगम योगासन है. हालांकि, इसको करने के लिए कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है. जानिए, सुदर्शन क्रिया में सावधानियों के बारे में -

  • सुदर्शन क्रिया को करने से पहले अपनी प्राथमिक जांच करवा लें, जिससे सुनिश्चित हो कि आप शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट हैं.
  • जो लोग पहले से मानसिक रोग से पीड़ित हैं, उन्हें इस योगासन से परहेज करना चाहिए.
  • गर्भवती महिलाओं को सुदर्शन क्रिया नहीं करने की सलाह दी जाती है.

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सुदर्शन क्रिया को प्राकृतिक और सुरक्षित योगासन माना जाता है और इससे किसी भी तरह का नुकसान होने की बात सामने नहीं है. हां, अगर आप पहली बार सुदर्शन क्रिया कर रहें हैं, तो इसे सही तरीके से न करने की वजह से आपको घबराहट, कमर दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है. यदि आप चश्मा पहनते हैं, तो इस योगासन को करने से आपको सिर दर्द, माइग्रेन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए, सुदर्शन क्रिया को प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए.

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सुदर्शन क्रिया को नियमित रूप से करने से स्ट्रेस, अवसाद व तनाव जैसी मानसिक समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है. यह एक सुरक्षित और प्रभावी योगासन है, जिसे कोई भी व्यक्ति घर में आसानी से कर सकता है, लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं और मानसिक बीमारी से ग्रस्त लोगों को इसको करने से परहेज करना चाहिए. सुदर्शन क्रिया को हमेशा एक अनुभवी योग प्रशिक्षक की निगरानी में करना चाहिए. सुदर्शन करने के लिए आप फिट हैं या नहीं यह पता करने से डॉक्टर से जांच अवश्य करवाएं.

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