कटिचक्रासन ऐसा योग है, जो रीढ़ को मजबूती प्रदान करने के साथ फ्लेक्सिबिलिटी में भी इजाफा करता है. यदि पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो या वेट लॉस करना हो, तो भी कटिचक्रासन करने से लाभ पहुंचता है. इसे अंग्रेजी में स्टैंडिंग स्पाइनल ट्विस्ट पोज (standing spinal twist pose) कहा जाता है. अगर किसी को स्लिप डिस्क की समस्या है या कोई महिला गर्भवती है, तो इसे न करने की सलाह दी जाती है.

आज इस लेख में आप कटिचक्रासन के फायदे, करने का तरीका व सावधानी के बारे में जानेंगे -

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  1. कटिचक्रासन के फायदे
  2. कटिचक्रासन करने का तरीका
  3. कटिचक्रासन करने से जुड़ी सावधानियां
  4. सारांश
कटिचक्रासन के फायदे, करने का तरीका व सावधानी के डॉक्टर

कटिचक्रासन कमर को दोनों ओर से ट्विस्ट करता है, जिससे व्यक्ति को वेट लॉस करने में मदद मिलती है. साथ ही यह शरीर को अधिक फ्लेक्सिब्ल भी बनाता है. आइए, विस्तार से कटिचक्रासन करने के फायदे के बारे में जानते हैं -

फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाए

यह योगासन शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी को दुरुस्त करता है, जिससे रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती मिलती है. साथ ही रीढ़ की हड्डी अधिक फ्लेक्सिबल भी बनती है.

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बॉडी टोनिंग में मददगार

कटिचक्रासन को करने से गर्दन, कंधे, कमर, पीठ और हिप्स को टोनअप होने में सहायता मिलती है. साथ ही यह पीठ के निचले हिस्से को मजबूत भी करता है.

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पोश्चर समस्याओं में मददगार

यदि किसी को पोश्चर संबंधित समस्या है यानी उसके बैठने और उठने का तरीका ठीक नहीं है, तो इस योगासन को करने से उसे मदद मिल सकती है, उसके पोश्चर में सुधार आ सकता है. फिर पोश्चर संबंधी समस्या चाहे पीठ की हो या रीढ़ की. इससे पीठ की स्टिफनेस भी कम हो जाती है.

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पीठ दर्द के लिए फायदेमंद

यदि किसी को पीठ में दर्द है, खासकर पीठ के निचले हिस्से में, तो इस योगासन को करने से उसका दर्द दूर हो सकता है. यह पीठ के मसल्स के साथ-साथ गर्दन और कंधे के मसल्स को भी रिलैक्स करने में सहायता करता है और उन्हें स्ट्रेच भी करता है.

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वेट लॉस में मददगार

आज के समय में जब सभी वेट लॉस करने की कोशिश में लगे हैं, तो कटिचक्रासन को करने से कमर स्लिम और फिट होती है. यह ओवर ऑल भी वेट लॉस करने में सहायक है.

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थकान करे दूर

इन दिनों सबका काम डेस्क वाला है. ऐसे में एक ही जगह पर बैठे-बैठे थकान होने लगती है. कुछ करने का मन नहीं करता है. इस योगासन को करने से फिजिकल और मेंटल टेंशन से राहत मिलती है और व्यक्ति को हल्कापन महसूस होता है.

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सांस संबंधी समस्या से राहत

इस योग को करने से चेस्ट एक्सपैंड होती है, जिससे लंग्स भी एक्सपैंड होते हैं और इस तरह से सांस से जुड़ी परेशानी ठीक होती है. इस योगासन को उन लोगों को करने की सलाह दी जाती है, जो अस्थमाकफ व ट्यूबरक्लोसिस से जूझ रहे हैं.

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अल्जाइमर व पार्किंसंस में फायदेमंद

अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग में व्यक्ति के मसल्स जिस तरह से स्टिफ हो जाते हैं, उसे रिलीज करने में कटिचक्रासन के फायदे को अनदेखा नहीं किया जा सकता है.

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फ्रोजन शोल्डर में मददगार

यह योगासन फ्रोजन शोल्डर की स्थिति में भी मसल्स को रिलैक्स करने में फायदेमंद साबित होता है. यह कंधे और उसके आसपास की मांसपेशियों की स्टिफनेस को दूर करके रिलीफ प्रदान करता है.

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डायबिटीज व किडनी रोग में लाभकारी

यह योग उन लोगों के लिए भी अच्छा है, जिन्हें डायबिटीज और किडनी के रोग हैं. यह किडनी की हेल्थ में सुधार लाने के साथ नर्वस सिस्टम के साथ यूट्रस की सेहत को भी दुरुस्त करता है.

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डिप्रेशन को करे दूर

यदि किसी व्यक्ति को डिप्रेशन की समस्या है, तो कटिचक्रासन को करने से उसका मूड ठीक होता है और डिप्रेशन से लड़ने में उसे मदद मिलती है.

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अपच करे ठीक

पाचक पित्त को स्टिमूलेट करके कटिचक्रासन पाचन से जुड़ी परेशानियों में सुधार लाता है. यह पाचन को दुरुस्त करता है और पेट के अंगों और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है. 

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कटिचक्रासन को करना आसान है. जिन लोगों को यह करना नहीं आता है, वे भी इसे आसानी से और तुरंत सीख सकते हैं. इसे लगभग हर उम्र के लोग कर सकते हैं. बस इसे करने के समय सीधा खड़े होने की जरूरत पड़ती है. आइए, कटिचक्रासन करने के तरीके के बारे में विस्तार से जानते हैं -

  • सीधे खड़े होने के बाद दोनों पैरों को जोड़ लें.
  • इस समय रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए और कंधे भी. 
  • अब पैरों को दूर करके कंधों के बराबर कर लेना है.
  • सांस अंदर की ओर लेते हुए दोनों हाथों को सामने की ओर कर लेना है. 
  • इस समय दोनों हाथों की हथेलियां एक-दूसरे के सामने होनी चाहिए. 
  • सुनिश्चित करें कि दोनों हाथ कंधे के बराबर हों और हथेली कंधे की चौड़ाई पर.
  • अब लंबी गहरी सांस लेने के बाद सांस को बाहर छोड़ना है.
  • सांस बाहर करते समय कमर को दाहिनी ओर ट्विस्ट करना है, इतना कि पीछे की ओर आसानी से देखा जा सके.
  • इस पोजीशन पर जितनी देर संभव हो रहना है. इस समय सामान्य गति से सांस लेते रहें.
  • पैर जमीन पर ही होने चाहिए, इससे ट्विस्ट सही मिलता है.
  • अब खुद को रिलीज करके इसी प्रोसेस को बाईं ओर दोहराना है.

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कटिचक्रासन को व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार कर सकता है. औसत तौर पर इसे एक साइलक में 10 से 20 बार दोहराया जा सकता है. वहीं, इसे करने के दौरान कुछ सावधानी भी बरतनी जरूरी हैं. आइए, कटिचक्रासन से जुड़ी सावधानियों के बारे में जानते हैं -

  • जिन लोगों की हाल में स्पाइन या पेट की सर्जरी हुई है, उन्हें इस आसान को नहीं करना चाहिए. 
  • यदि किसी को स्लिप डिस्क की समस्या है, तो भी इस योगासन को नहीं करने की सलाह दी जाती है.
  • क्रोनिक स्पाइनल डिसऑर्डर की स्थिति में भी इस आसन को करने से बचना चाहिए. 
  • हर्निया हो तो भी इस आसान को नहीं करने को कहा जाता है.
  • गर्भवती महिलाओं के लिए कटिचक्रासन बिल्कुल भी ठीक नहीं है.

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कटिचक्रासन ऐसा योगासन है, जिसे करने से शानदार तरीके से वेट लॉस होता है और शरीर के मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है. इसे किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है, बस इसके लिए सीधे खड़े होने की जरूरत पड़ती है. कटिचक्रासन उन लोगों को नहीं करने की सलाह दी जाती है, जिनकी पेट या स्पाइन की सर्जरी हाल में हुई है. प्रेग्नेंट महिलाओं को भी इस योगासन को नहीं करना चाहिए. बेहतर तो यह होगा कि कटिचक्रासन को करने से पहले किसी योग एक्सपर्ट की सलाह ले ली जाए, ताकि किसी तरह के नुकसान से बचा जा सके.

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Dr. Smriti Sharma

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