योग एक प्राचीन अभ्‍यास है जिससे मन, दिमाग और आत्‍मा को ऊर्जा मिलती है। वातायनासन संस्‍कृत के दो शब्‍दों से बना है : पहला शब्‍द वात्‍यान है जिसका मतलब घोड़ा होता है और दूसरा शब्‍द आसन यानि पोज है। वातायनासन में घोड़े की तरह बनना होता है इसलिए इसे हॉर्स फेस पोज भी कहते हैं।

यह एक मुश्किल आसन है जो टांगों के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद करता है और शरीर के निचले हिस्‍से को मजबूती देता है। इस आसन को करने से शरीर में संतुलन और स्थिरता आती है।

हाई बीपी, साइटिका दर्द, स्लिप डिस्‍क, हर्निया और कमजोर हड्डियों वाले लोगों को इस आसन को नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाएं भी यह आसन न करें।

  1. वातायनासन करने का तरीका क्‍या है - Correct way to do vatayanasana in hindi
  2. वात्‍यासन में बदलाव - Modification of vatayanasana in hindi
  3. वातायनासन करने के लाभ - Benefits of flying horse pose in hindi
  4. वातायनासन से जुड़ी सावधानियां - Precautions of vatayanasana in hindi

इस आसन को करने का सही तरीका है :

  • पैरों को एकसाथ रखकर खड़े हो जाएं और सिर को सीधा रखकर एक बिंदु को देखें। इससे ध्‍यान लगाने की क्षमता बढ़ती है।
  • अपने पूरे शरीर का भार दाईं टांग पर डाल दें।
  • अब अपने बाएं घुटने को मोड़ें और बाएं पैर को दाईं जांघ पर रखें।
  • जितना हो सके अपने बाएं पैर को दाईं जांघ पर लाने की कोशिश करें। आप अपने हाथों का उपयोग अपने बाएं पैर की एड़ी को उस स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए कर सकते हैं जहां यह आपके दाहिने पैर के ग्रोइन हिस्‍से और आपकी दाहिनी जांघ के आधार पर पैर की उंगलियों को छूता है।
  • जब बायां पैर ऊपर उठ जाएं तो बाईं एड़ी को हाथ से पकड़कर रखें, जब तक कि शरीर सीधा न हो जाए। शरीर के सीधे होने पर हथेलियों को छाती के सामने जोड़कर नमस्‍कार की मुद्रा में आएं।
  • अब गहरी सांस लें और रूकें और दाएं घुटने को और शरीर के निचले हिस्‍से को मोड़ें जब तक कि बायां घुटना जमीन को न छू ले।
  • जब बायां घुटना जमीन को छू ले तो सांस छोड़ दें।
  • इस पोजीशन में 5 सेकंड तक रहें और शरीर का पूरा भार दाएं पैर और बाएं घुटने पर डाल दें।
  • 5 सेकंड के बाद शरीर का भार दाईं टांग पर डाल दें।
  • गहरी सांस भरें और सांस को रोकते हुए धीरे-धीरे शरीर को ऊपर उठाते हुए दाएं घुटने को सीधा करें।
  • जब आप दाएं पैर पर दोबारा खड़े हो जाएं तो दाईं जांघ से बाईं टांग को उठा लें और वापस जमीन पर आ जाएं।
  • पूरा शरीर 10 सेकंड के लिए रिलैक्‍स रखें और फिर दूसरी टांग से इसे दोहराएं।
  • हर टांग से इस आसन को 3 बार करें।
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पारंपरिक वातायनासन में थोड़ा बदलाव करने बांहों के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसे करने का तरीका है :

  • टांगों का पोस्‍चर वैसा ही रहेगा लेकिन बांहों का पोस्‍चर गरुड़ासन की तरह रखना है।
  • बदलाव करने में आपको छाती के सामने कोहनियों को मोड़ना है ताकि बांह का ऊपरी हिस्‍सा जमीन के सामने रहे और फोरआर्म जमीन के सीध में रहे।
  • अब अपने दाहिने हाथ को बायें हाथ में डालकर अंदर की ओर उठाएं। इस पोजीशन में आने के बाद दाईं बांह को ट्विस्‍ट करें ताकि दोनों हथेलियां एक-दूसरे को छू सकें। जुड़ी हुई हथेलियां नाक के सामने होनी चाहिए।

वातायनासन करने के फायदे हैं :

  • इससे टांग की मांसपेशियों और घुटने के जोड़ों को मजबूती मिलती है।
  • यह आसन आर्थराइटिस के दर्द और अकड़न को भी कम करता है।
  • इससे कूल्‍हे के हिस्‍से में रक्‍त प्रवाह बेहतर होता है।
  • वातायनासन को करने से जांघ के हिस्‍से में ऐंठन कम होती है।
  • यह सैक्रोइलिएक जोड़ के आसपास की अकड़न को दूर करती है।
  • कहते हैं कि इस आसन से कूल्‍हे और टांगों की बनावट में आई छोटी-मोटी गड़बड़ी को ठीक किया जा सकता है।
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वातायनासन को करते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहिए :

  • योग गुरु के बिना इस आसन को न करें।
  • लंबे समय से पीठ दर्द जैसी समस्‍याएं जैसे कि साइटिका और स्लिप डिस्‍क वाले लोगों को भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • कूल्‍हे, घुटने या कमजोर एड़ी वाले लोग भी यह आसन न करें।
  • हाई बीपी के मरीजों को भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
  • हार्ट के मरीजों को इस आसन को करने से बचना चाहिए।
  • हर्निया में इस आसन को करने से दर्द बढ़ सकता है।
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