उत्थित पार्श्वकोणासन का नाम तीन शब्दों के मेल से बना है: उत्थित, पार्श्व, और कोण। उत्थित का मतलब उठा हुआ, पार्श्व यानी छाती के दाएँ-बाएँ का भाग या बगल, और कोण मतलब कोना।

इस लेख में उत्थित पार्श्वकोणासन के आसन को करने के तरीके और उससे होने वाले लाभों ंके बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि आसन करने के दौरान क्या सावधानी बरतें। लेख के अंत में एक वीडियो भी शेयर किया गया है।

(और पढ़ें - ध्यान क्या है)

  1. उत्थित पार्श्वकोणासन के फायदे - Utthita Parsvakonasana ke fayde
  2. उत्थित पार्श्वकोणासन करने से पहले यह आसन करें - Utthita Parsvakonasana karne se pehle yeh aasan kare
  3. उत्थित पार्श्वकोणासन करने का तरीका - Utthita Parsvakonasana karne ka tarika
  4. उत्थित पार्श्वकोणासन का आसान तरीका - Utthita Parsvakonasana ka aasaan tarika
  5. उत्थित पार्श्वकोणासन करने में क्या सावधानी बरती जाए - Utthita Parsvakonasana karne me kya savdhani barte
  6. उत्थित पार्श्वकोणासन करने के बाद आसन - Utthita Parsvakonasana karne ke baad aasan
  7. उत्थित पार्श्वकोणासन का वीडियो - Utthita Parsvakonasana ka video
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हर आसन की तरह उत्थित पार्श्वकोणासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:

  1. पैरों, घुटनों और टख़नों में खिचाव लाता है और उन्हे मज़बूत बनाता है।
  2. कूल्हों, ग्राय्न, हैमस्ट्रिंग और पिंदलियों, तथा कंधे, छाती, और रीढ़ की हड्डी में खिचाव लाता है।
  3. पेट के अंगों को उत्तेजित करता है।
  4. स्‍टैमिना बढ़ाता है।
  5. कमर दर्द से राहत दिलाता है, ख़ास तौर से गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में।
  6. कब्जबांझपन, कमर दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस, साइटिका और मासिक धर्म की परेशानी के लिए चिकित्सीय है।

(और पढ़ें – बांझपन का घरेलू इलाज

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उत्थित पार्श्वकोणासन करने से पहले आप यह आसन कर सकते हैं इनसे आपकी हॅम्स्ट्रिंग, कूल्हे, और जांघे पर्याप्त मात्रा में खुल जाएँगे।

  1. उत्तानासन (Uttanasana or Standing Forward Bend)
  2. पादंगुष्ठासन (Padungasthasana or Big Toe Pose)
  3. पादहस्तासन (Padahastasana or Hand to Foot Pose)
  4. उत्थित त्रिकोणासन (Utthita Trikonasana or Extended Triangle Pose)
  5. परिवृत्त त्रिकोणासन (Parivrtta Trikonasana or Revolved Triangle Pose)

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उत्थित पार्श्वकोणासन करने की विधि हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।

  1. ताड़ासन में खड़े हो जायें। श्वास अंदर लें और 4 से 4.5 फीट पैर खोल लें।
  2. अपने बायें पैर को 10 से 20 दर्जे अंदर को मोड़ें, और दाहिने पैर को 90 दर्जे बहार को मोड़ें। बाईं एड़ी के साथ दाहिनी एड़ी संरेखित करें।
  3. धीरे से अपने हाथ उठाएँ जब तक हाथ सीधा आपके कंधों की सीध में ना आ जायें। हथेलियाँ नीचे ज़मीन की तरफ होनी चाहिए।
  4. अपने बाईं एड़ी को मज़बूती से ज़मीन पर टिकाए रखें और दाहिने घुटने को मोड़ें जब तक की घुटना सीधा टखने की ऊपर ना आ जाए। अगर आप में इतना लचीलापन हो तो अपनी जाँघ को ज़मीन से समांतर कर लें।
  5. साँस छोड़ते हुए अपने धड़ को दाहिनी ओर मोड़ें। धड़ एकदम दाहिनी पैर की सिधाई में नीचे आना चाहिए। ध्यान रखिएं की आप अपने कूल्हे के जोड़ों से मुड़ें ना की अपनी पीठ के जोड़ों से।
  6. अपने दाहिने हाथ को अपनी क्षमता के मुताबिक दाहिनी पैर से बाहर की तरफ फर्श पर, या टख़नों पर, या दाहिनी पैर से अंदर की तरफ फर्श पर रखें। ध्यान रखें की ऐसा करते वक़्त आपका धड़ और दाहिना पैर एक सीध में बने रहें।
  7. अपने बाएँ हाथ को छत की और आगे तरफ बढ़ायें। अंत में आपके बाएँ हाथ और पैर एक सीध में होने चाहिए। अब अपने सिर को उपर की तरफ उठाएँ ताकि आप अपने बाएँ हाथ की उंगलियों को देख सकें।
  8. कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें।
  9. जब 5 बार साँस लेने के बाद आप आसान से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए सिर को सीधा कर लें, बाएँ हाथ को नीचे कर लें, धड़ को वापिस सीधा कर लें और पैरों को वापिस अंदर ले आयें ख़तम ताड़ासन में करें।
  10. दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें।

(और पढ़ें - आँखों के सूखेपन का उपाय)    

अगर आपको अपने आप को स्थाई रखने या नीचे की तरफ जाने में परेशानी हो तो आप एक ब्लॉक (block) का सहारा ले सकते हैं। अगर हाथ नीचे तक ना पहुँचे तो उसे इस ब्लॉक पर टीका लें। ब्लॉक की हाइट अपने आराम अनुसार चुन लें। अगर आपके पास योग ब्लॉक ना हो तो उसके बजाए आप किसी भी और ऐसी वस्तु का इस्तेमाल कर सकते हैं जिस पर आप हाथ को टीका सकें और वह आपका वज़न झेल सके।

(और पढ़ें -  मुहांसों के लिए घरेलू उपाय)  

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  1. जिन्हे अनिद्रासिर दर्द, या कम रक्त दबाव की समस्या हो, वह उत्थित पार्श्वकोणासन ना करें। (और पढ़ें – सिर दर्द के घरेलू उपाय)
  2. अगर आपको हाई बीपी की शिकायत हो तो आख़िरी मुद्रा में सिर ऊपर की तरफ उठाने की जगह नीचे की तरफ रखें ताकि आपकी दृष्टि आपके पैर की उंगलियों पर हो।
  3. अगर आपकी गर्दन में दर्द हो तो आख़िरी मुद्रा में सिर ऊपर की तरफ उठाने की जगह सीधा रखें ताकि आपकी गर्दन पर ज़ोर ना पड़े (ध्यान रखें की नीचे भी ना देखें)।
  4. अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगायें।

(और पढ़ें - फूड पॉइजनिंग के लक्षण

  1. परिवृत्त पार्श्वकोणासन (Parivrtta Parsvakonasana or Revolved Side Angle Pose)
  2. प्रसारित पादोत्तासन (Prasarita Padottanasana or Wide-Legged Forward Bend)
  3. पर्श्वोत्तनासन (Parsvottanasana or Intense Side Stretch Pose)
  4. उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन (Utthita Hasta Padangusthasana or Extended Hand-To-Big-Toe Pose)
  5. अर्ध बद्ध पद्मोत्तासन (Ardha Baddha Padmottanasana or Half Bound Lotus Standing Forward Bend)

 (और पढ़ें - जुकाम का घरेलू नुस्खा)   

उत्थित पार्श्वकोणासन को ठीक से करने के लिए यह वीडियो ध्यान से देखें

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