एक पद प्रणामासन नाम संस्‍कृत के शब्‍द हैं जिसमें एक, पद का मतलब पैर और प्रणामासन का अर्थ प्रार्थना का पोज होता है। इसमें हाथों को जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में खड़े होना होता है। नियमित रूप से इस आसन को करने से मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के लाभ मिलते हैं।

इस लेख में हम आपको एक पद प्रणामासन करने के सही तरीके के बारे में बता रहे हैं। इसके साथ ही आपको इस आसन के कुछ लाभों और इससे जुड़ी कुछ सावधानियों के बारे में भी बताएंगे।

  1. एक पद प्रणामासन करने का सही तरीका - One-legged prayer pose steps in hindi
  2. एक पद प्रणामासन में संशोधन - Modification of eka pada pranamasana in hindi
  3. एक पद प्रणामासन के लाभ - One-legged prayer pose benefits in hindi
  4. एक पद प्रणामासन से जुड़ी सावधानियां - Precautions to take while doing eka pada pranamasana in hindi

एक पद प्रणामासन को करने की सही विधि इस प्रकार है :

  • दोनों पैरों को एकसाथ सीधा रखकर खड़े हो जाएं। आपकी दोनों बां‍हें भी सीधी होनी चाहिए।
  • अब बाएं पैर को ऊपर उठाएं, एड़ी को पकड़ें, तलवे को दाईं जांघ के अंदर के हिस्‍से के ऊपर रखें।
  • इस पोजीशन में रहने की कोशिश करें और जब आप बिना किसी सहारे के इस पोजीशन में रह सकें, तब प्रार्थना की मुद्रा में हथेलियों को छाती के सामने मोड़ लें।
  • इस पोजीशन में कम से कम एक मिनट तक रहें और धीरे-धीरे इस समय को दो मिनट तक बढ़ा दें।
  • अब वापिस शुरुआत की मुद्रा में आ जाएं और दूसरी टांग से इस मुद्रा को दोहराएं।
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यदि आपने इस मुद्रा में महारत हासिल कर ली है तो आप सिर्फ एक मूव के साथ इसे एक स्‍तर और ऊपर ले जा सकते हैं। अंतिम मुद्रा में खड़े होकर सांस अंदर लें और हथेलियों को सिर के ऊपर उठाएं। सांस छोड़ते समय हथेलियों को छाती के सामने वापिस लाएं।

एक पद प्रणामासन संपूर्ण शरीर के संतुलन में सुधार लाने में बहुत मदद करता है, खासतौर पर तंत्रिका तंत्र के लिए। इस आसन के निम्‍न लाभ हैं :

  • इससे पैरों और एडियों की मांसपेशियां टोन होती हैं और उन्‍हें मजबूती मिलती है।
  • टांगों को इससे मजबूती मिलती है।
  • यह आसन मानस‍िक और शारीरिक संतुलन में सुधार लाता है।
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यह बहुत सरल आसन है और कोई भी इसे कर सकता है। हालांकि, अगर आपके पैर, पीठ, घुटने या कूल्‍हे में चोट लगी है तो आपको यह आसन नहीं करना चाहिए।

वहीं अगर आप अपने पैर को जांघ के ऊपर नहीं रख पा रहे हैं तो ज्‍यादा जबरदस्‍ती न करें। पैर को आप टांग के निचले हिस्‍से पर भी रख सकते हैं। घुटने पर ज्‍यादा दबाव न बनाएं, इससे कोई लंबी समस्‍या हो सकती है। अपने पैर को हमेशा घुटने के ऊपर या नीचे रखें।

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