उम्र बढ़ने पर जब महिला के पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं, तो इस स्थिति को रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज कहा जाता है। आमतौर पर मेनोपॉज 45 से 50 की उम्र के बीच शरीर में एस्ट्रोजन लेवल में गिरावट आने की वजह से होता है। हालांकि, कुछ महिलाओं में इससे पहले भी मेनोपॉज हो सकता है जिसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज कहते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं :
- ओवरी निकालना
- गर्भाशय निकालना
- कीमोथेरेपी जैसी कुछ ट्रीटमेंट
- कुछ ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे कि लुपस और रुमेटाइड आर्थराइटिस
- अर्ली मेनोपॉज की फैमिली हिस्ट्री रही हो या यह अनुवांशिक हो
- टर्नर सिंड्रोम या मिर्गी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं
- धूम्रपान
- बहुत ज्यादा पतला होना : एस्ट्रोजन फैट के अंदर स्टोर होता है और बहुत पतली महिला में इसका लेवल कम हो सकता है।
- बहुत कम ही टीबी, मलेरिया की वजह से अर्ली मेनोपॉज हो सकता है
प्रीमैच्योर मेनोपॉज का मतलब है 40 की उम्र में पहुंचने से पहले ही पीरियड्स आना बंद हो जाना और अर्ली मेनोपॉज का अर्थ है 45 से पहले पीरियड्स बंद होना।
हार्ट और हड्डियों पर एस्ट्रोजन का सुरक्षात्मक प्रभाव पड़ता है। एक रिसर्च में सामने आया कि जो महिलाएं 40 से पहले ही मेनोपॉज में आ जाती हैं, उनमें 60 की होने तक 50 से 51 की उम्र में मेनॉपाज होने वाली महिलाओं की तुलना में कई बीमारियां होने का खतरा दोगुना होता है।
प्रीमैच्योर मेनोपॉज के दौरान लो एस्ट्रोजन लेवल, अर्ली मेनोपॉज या मेनोपॉज से गर्मी लगने और योनि में सूखापन महसूस होने की दिक्कत हो सकती है। इससे हड्डियां कमजोर और वजन भी बढ़ सकता है। थायराइड से ग्रस्त महिलाओं में प्रीमैच्योर और अर्ली मेनोपॉज या मेनोपॉज के लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
मेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके लिए इलाज की जरूरत नहीं होती है। अगर दिक्कत हो रही है, तो हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, कॉग्नीटिव बिहेवरियल थेरेपी, एस्ट्रोजन क्रीम और ल्यूब्रिकेंट्स से कभी-कभी लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। जिन महिलाओं को प्रीमैच्योर मेनोपॉज होता है, डॉक्टर उन्हें हार्ट और हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी की सलाह देते हैं।