एक महिला के जीवन का प्रजनन काल, मासिक धर्म की शुरुआत (पहले परियड) या मेनार्चे और मासिक धर्म की स्थायी समाप्ति (रजोनिवृत्ति) या मैनोपॉज के बीच का काल होता है। अपने जीवन के इस चरण में महिला ओव्यूलेट करती है, यानी उनका अंडाशय हर महीने एक अंडा या मादा युग्मक पैदा करता है। इसी के चलते महिला गर्भधारण में सक्षम होती है। अंडाशय जहां अंडे का उत्सर्जन करते हैं और उसे रिलीज करते हैं, वहीं गर्भाशय एक उस अंडे के गर्भाशय में पहुंचने का इंतजार करता है और गर्भ की मेजबानी के लिए खुद को तैयार करता है। इस दौरान गर्भाशय की आंतरिक ग्रंथियों का अस्तर (एंडोमेट्रियम) मोटा हो जाता है और गर्भाशय में रक्त आपूर्ति बढ़ जाती है। इस चक्र के अंत तक जब महिला गर्भवती नहीं होती है तो गर्भाशय में जमा अतिरिक्त ऊतक टूटकर गिरने लगते हैं और यह योनि से रक्तस्राव के रूप में बाहर निकल जाते हैं। इस स्राव को ही मासिक धर्म या पीरियड्स कहते हैं और इसमें रक्त, बलगम व ऊतक होते हैं। यह स्राव आमतौर पर 2 से 8 दिनों तक चलता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि मासिक धर्म चक्र और मासिक धर्म अलग-अलग होते हैं। मासिक धर्म चक्र एक संभावित गर्भावस्था की तैयारी में पूरे महीने शरीर के अंदर होने वाली घटनाओं के पूरे क्रम को कहा जाता है, जबकि मासिक धर्म उन दिनों की अवधि को कहा जाता है जब एक महिला को रक्तस्राव का अनुभव होता है। मासिक धर्म चक्र प्रजनन हार्मोन के स्तर में होने वाले परिवर्तनों के साथ आगे बढ़ता है और विभिन्न चरणों से गुजरता है।
मासिक धर्म महिलाओं के प्रजनन जीवन का अभिन्न हिस्सा होता है। किसी भी लड़की के जीवन के पहले मासिक धर्म चक्र को पहला पीरियड, मासिक धर्म की शुरुआत, रजोदर्शन या अंग्रेजी में मेनार्चे कहा जाता है। अलग-अलग महिलाओं के मासिक धर्म की शुरुआत अलग-अलग समय पर होती है। यह यौवन की शुरुआत और उनके प्रजनन वर्षों की शुरुआत का प्रतीक है। हालांकि, मासिक धर्म की शुरुआत के साथ ही यह जरूरी नहीं कि युवती में ओव्यूलेशन की भी शुरुआत हो जाए। पहले कुछ मासिक धर्म चक्र, यहां तक कि पांच साल तक भी उनमें बिना ओव्यूलेशन के मासिक धर्म हो सकता है। कई बार ओव्यूलेशन और मासिक धर्म चक्र में तारतम्य भी नहीं होता। ऐसा इसलिए क्योंकि, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) और फोलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) जैसे हार्मोन को स्थितरता प्रदान करने वाली हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथियां अब भी मासिक चक्र को नियंत्रित नहीं कर पायी हैं।
आमतौर पर, युवा लड़कियों में मासिक धर्म चक्र पहले कुछ वर्षों के लिए अनियमित होते हैं, लेकिन लगातार तीन महीनों या उससे अधिक के लिए मासिक धर्म नहीं होने को सेकंडरी एमेनोरिया कहा जाता है और प्राथमिक चिकित्सक, बाल रोग विशेषज्ञ या स्त्री रोग विशेषज्ञ को इस बारे में बताएं। विभिन्न क्षेत्र की लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत अलग-अलग समय पर होती है। लेकिन इसकी औसत आयु 12.5 वर्ष है। मासिक धर्म की शुरुआत 9 वर्ष से पहले होने पर इसे अर्ली मेनार्चे कहा जाता है, जबकि 15 वर्ष की उम्र के बाद होने पर इसे मासिक धर्म की शुरुआत में देरी के रूप में देखा जाता है। हालांकि, मासिक धर्म की शुरुआत में देरी का कारण व्यक्ति के अंतर्निहित कारक हो सकते हैं। कुछ मामलों में इन कारकों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। युवा लड़कियों के लिए मासिक धर्म की शुरुआत एक भ्रमित करने वाला और परेशान करने वाला समय हो सकता है और इसे ध्यान में रखते हुए माता-पिता को अपने बच्चों में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों को संवेदनशीलता के साथ समझाना चाहिए। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर या काउंसलर की मदद ले सकते हैं।