दूध को इकलौता ऐसा आहार माना जाता है, जो शरीर का विकास करता है। आजकल के दौर में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक लोग फुल क्रीम से होने वाले साइड इफेक्ट के कारण इसका उपयोग नहीं करते हैं, वहीं टोंड दूध इसके एक बहुत ही अच्छे वैकल्पिक के रूप में उभरा है। फुल क्रीम के मुकाबले टोंड दूध में कम कैलोरी होती है, लेकिन इसमें अन्य पोषक तत्व संपूर्ण दूध के बराबर होते हैं।

तो आइए जानते हैं टोंड दूध क्या है और इससे क्या स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।

(और पढ़ें - गर्म दूध पीने के फायदे)

  1. टोंड दूध किसे कहते हैं? - Toned Doodh kya hai
  2. टोंड दूध के प्रकार - Toned Doodh ke Prakar
  3. टोंड मिल्क कैसे बनता है - Toned Doodh Kaise banta hai
  4. टोंड मिल्क के फायदे - Toned Doodh ke Fayde
  5. टोंड दूध के नुकसान - Toned Doodh ke Side Effects

टोंड मिल्क क्या होता है​?

गाय व भैंस से प्राप्त होने वाले दूध को एक विशेष प्रकार की प्रक्रिया से निकाला जाता है जिसमें दूध में मौजूद फैट की मात्रा को कम कर दिया जाता है और अन्य स्वस्थ्यवर्धक पोषक तत्वों को बढ़ा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को संश्लेषण (Synthesis) कहा जाता है। हालांकि फुल क्रीम व टोंड दूध दोनों में कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन समान मात्रा में पाया जाता है। हालांकि इन दोनों में कुछ मुख्य प्रकार के पोषक तत्वों की मात्रा में भी अंतर होता है, जैसे सोलिड नोन-फैट, जो फैट के अलावा मिल्क सोलिड होता है। सोलिड नोन-फैट आमतौर पर फुल क्रीम दूध में अधिक पाया जाता है।

क्या आप जानते हैं?

टोंड मिल्क बनाने की प्रक्रिया का विचार व इसकी शुरुआत भारत में ही हुई थी। टोंड दूध और गाय से प्राप्त होने वाले दूध में लगभग एक समान सामग्री होती है।

(और पढ़ें - कच्चा दूध पीने के नुकसान)

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टोंड दूध कितने प्रकार का होता है?

सामान्य दूध में लगभग 6 ग्राम फैट होता है। टोंड मिल्क को आमतौर पर 2 श्रेणियों में रखा गया है, जो निर्भर करता है कि दूध से कितनी मात्रा में फैट कम किया गया है।

  • सिंगल टोंड
  • डबल टोंड

टोंड मिल्क कैसे तैयार किया जाता है?

टोंड मिल्क को आमतौर पर सिंगल टोंड मिल्क के रूप में संदर्भित किया जाता है। सामान्य दूध में फैट और एसएनएफ (SNF) की मात्रा को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मानदंडों अनुसार एक निश्चित स्तर पर सेट किया जाता है। जिससे टोंड दूध प्राप्त होता है।

  • सिंगल टोंड:
    इसमें फैट की मात्रा 3 प्रतिशत और मिल्क सोलिड नोन-फैट की मात्रा 8.5 से अधिक नहीं होती है।
     
  • डबल टोंड:
    इसमें फैट की मात्रा 1.5 प्रतिशत और मिल्क सोलिड नोन-फैट की मात्रा 9.0 प्रतिशत से अधिक नहीं होती है।

जब दूध में मौजूद सामग्री की मात्रा के मानक स्तर के अनुसार उसे टोंड बना दिया जाता है, तो उसके बाद उसे निम्न प्रक्रियाओं से गुजारा जाता है:

  • पाश्चराइजेशन:
    पश्चिकरण (Pasteurisation) एक प्रक्रिया है, जिसकी मदद से दूध में मौजूद सबसे हानिकारक रोगाणुओं को मार दिया जाता है। पश्चिकृत करने के बाद दूध पीने के लिए सुरक्षित हो जाता है और यह सामान्य दूध से ज्यादा समय तक खराब भी नहीं होता है। पाश्चराइजेशन मुख्य रूप से दो तरीकों से की जाती है:
    • धीमी आंच पर लंबे समय तक: इस प्रक्रिया में दूध को 30 मिनट तक 63 डिग्री की आंच पर रखा जाता है।
    • तेज आंच पर कम समय तक: इसमें दूध को सिर्फ 15 सेकेंड के लिए 72 डिग्री के तापमान पर रखा जाता है।

जैसा की दोनों तरीके समान रूप से प्रभावी होते हैं, लेकिन तीव्र आंच वाला तरीका किफायती होता है और इसीलिए दूध की कंपनियां ज्यादातर इसी तरीके को अपनाती हैं।

पाश्चराइजेशन प्रक्रिया के बाद दूध पीने के लिए पूरी तरह से तैयार और सुरक्षित हो जाता है। टोंड दूध को पोलिथीन की पैकिंग और टेट्रा पैंकिग में बेचा जाता है।

  • होमोजिनाइजेशन:
    इस प्रक्रिया को पाश्चराइजेशन प्रक्रिया से पहले किया जाता है, क्योंकि इसकी मदद से दूध में मौजूद फैट को अवशोषित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद दूध गाढ़ा व पौष्टिक बन जाता है।
     
  • फोर्टिफिकेशन:
    कभी-कभी टोंड दूध में अतिरिक्त विटामिन A, D और E मिला दिया जाता है, जिस प्रक्रिया को फोर्टिफिकेशन कहा जाता है। मिलाए गए पोषक तत्वों का स्तर भारतीय खाद्य सुरक्षा और बचाव प्राधिकरण (FSSAI) के मानदंडों के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

नीचे इस टेबल में विभिन्न प्रकार के दूध में मौजूद सामग्री की मात्रा प्रति ग्राम के अनुसार दी गई है (कैल्शियम को मिलीग्राम में दिया गया है):

दूध के प्रकार 

एनर्जी

फैट (% में)

कार्बोहाइड्रेट्स

प्रोटीन

कैल्शियम

फुल क्रीम दूध

89

6.2

5

3.3

134

टोंड दूध

59

3.1

4.7

3.1

127

डबल टोंड दूध

47

1.5

5

3.3

134

स्किम्मड दूध

33

0.1

4.9

3.2

134

टोंड दूध के क्या फायदे हैं?

टोंड दूध में फैट कम मात्रा में और कैल्शियम व अन्य पोषक तत्व उच्च मात्रा में होने के कारण  यह स्वास्थ्यवर्धक आहार माना जाता है। टोंड दूध से मिलने वाले लाभ में निम्न शामिल हो सकते हैं:

शरीर का वजन कम होना:
यदि आप वजन बढ़ने के डर से आप फुल क्रीम दूध का  इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में टोंड दूध आपके लिए एक बेहतर वैकल्पिक हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि फुल क्रीम के मुकाबले टोंड में लगभग आधा फैट होता है और यह आपके भोजन में कैलोरी की मात्रा को अधिक नहीं बढ़ाता है। इसलिए आप अपनी कमर का आकार बढ़ने से डरे बिना एक उचित मात्रा अपने भोजन में मिला सकते हैं।

इसके अलावा टोंड मिल्क में पर्याप्त मात्रा में व्हे प्रोटीन होता है। व्हे प्रोटीन दूध से पाया जाने वाले एक विशेष प्रोटीन होता है, जो मेटाबॉलिक कार्यों पर काफी सकारात्मक प्रभाव डालता है। इतना ही नहीं यह प्रोटीन आंतों संबंधी कई ऐसे हार्मोन को कंट्रोल रखता है, जो अधिक भोजन खाने से रोकते हैं और कम भोजन में ही भूख मिटाने में मदद करते हैं।

कहने का मतलब है कि टोंड दूध भूख को कम कर देता है और परिणामस्वरूप आप कम भोजन खा पाते हैं। व्हे प्रोटीन मांसपेशियों की सघनता को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। आखिर किस को पतला शरीर नहीं चाहिए?

  • आसानी से पच जाना: ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि टोंड दूध, फुल क्रीम के मुकाबले जल्दी पच जाता है।

लेकिन कभी आपने ऐसा सोचा है, कि ऐसा क्यों होता है?

शोध किए गए अध्ययनों से पता चला है कि टोंड दूध में मौजूद उच्च मात्रा में व्हे सामग्री, दूध के पचने की प्रक्रिया को आसान बना देती है। व्हे प्रोटीन पानी में घुलनशील होता है और पेट में एक तरल के रूप में रहता है। यह पाचन प्रणाली (नली आदि) के अंदर तीव्रता से गुजरने में भी सक्षम होता है। तो इसलिए यदि आपकी पाचन प्रणाली सामान्य से कमजोर है, संभावित रूप से आप टोंड दूध को बिना अपचपेट फूलना आदि समस्या महसूस किए पचा सकते हैं।

  • ब्लड प्रेशर को कम करना: टोंड दूध पीने से ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और उच्च रक्तचाप होने का खतरा भी कम हो जाता है। यह काम मुख्य रूप से दूध में मौजूद व्हे प्रोटीन का होता है, जो एंजियोटेन्सिन कनवर्टिंग एंजाइम (ACE) के कार्यों को रोकने में मदद करता है। एसीई एक शक्तिशाली वेसोकॉन्स्ट्रिक्टर होता है, जो रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है। जिन लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल होने के कारण बार-बार ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ जाता है, उनके लिए कम फैट होने के कारण टोंड मिल्क काफी फायदेमंद रहता है। क्योंकि टोंड मिल्क की मदद से वे अपने पसंदीदा डेयरी पदार्थ खाने के बावजूद भी वे अधिक फैट लेने से बचाव रख सकते हैं।

कुछ वैज्ञानिकी अध्ययनों से पता चला है कि कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल पदार्थ भी हाई ब्लड प्रेशर से बचाव करने में मदद करते हैं, क्योंकि ये रक्त वाहिकाओं को खोल (चौड़ा करना) देते हैं। खैर टोंड दूध में इन मिनरल्स के गुणों पर अभी तक अध्ययन नहीं किया गया है, लेकिन इसमें ये सभी खनिज पाए जाते हैं इसलिए यह फायदेमंद हो सकता है।

  • ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव करना:
    जैसा की टोंड दूध में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम व विटामिन डी पाया जाता है, इसलिए यह ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव करने में काफी फायदेमंद हो सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हड्डियां काफी कमजोर पड़ जाती हैं और फ्रैक्चर होने (हड्डी टूटने) आदि का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर यह वृद्ध लोगों या छोटे बच्चे में देखा जाता है, हालांकि यह किसी भी उम्र में हो सकता है। रजोनिवृत्ति के बाद (पोस्टमेनोपॉज़ल) महिलाओं में भी ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है, क्योंकि एस्ट्रोजन हार्मोन हड्डियों को क्षतिग्रस्त करने लगता है।

रोजाना पर्याप्त मात्रा में टोंड दूध पीने से आपकी हड्डियों को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी मिल जाती है, जिससे दिनभर में होने वाली हड्डियों की क्षति की भरपाई हो जाती है। टोंड दूध सिर्फ हड्डियों में फ्रैक्चर होने के खतरे को ही कम नहीं करता, बल्कि हड्डियों को शक्तिशाली भी बनाता है।

  • दांतों के स्वास्थ्य में सुधार करना:
    टोंड दूध में मौजूद कैल्शियम दांतों के स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक है, खासतौर पर छोटे बच्चों के लिए। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कैल्शियम दांतों की परत (एनेमल) में मौजूद हाइड्रोक्सिपेटाइट और फॉस्फेट सॉल्ट के रिमिनरलाइजेशन (Remineralization) को बढ़ा देता है और डिमिनरलाइजेशन (Demineralisation) को कम कर देता है। आसान शब्दों में, यह आपके दांतों को मजबूत बनाता है और उनकी सफेद चमक को बनाए रखने में मदद करता है। टोंड दूध में खूब मात्रा में विटामिन डी होता है, जो कैल्शियों को अवशोषित होने में मदद करता है और इस प्रक्रिया को नियमित रूप से चलाने में मदद करता है।
     
  • एंटी ऑक्सिडेंट गुण: टोंड मिल्क में मौजूद एक ऐसा अमीनो एसिड होता है, जिसमें सल्फर पाया जाता है। यह दूध को कई एंटी-ऑक्सिडेंट गुण प्रदान करता है और उसे सबसे अधिक स्वास्थ्यकर आहार में से एक बनाता है। ये एंटीऑक्सिडेंट, फ्री रेडिकल्स से शरीर में होने वाली क्षति से लड़ते हैं और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस (oxidative stress) को कम करते हैं। इसके अलावा ये जीवनशैली संबंधी रोगों के कुछ आम कारणों को कम करने में भी मदद करते हैं, जैसे मोटापा व हृदय संबंधी समस्याएं। इतना तो शायद आप भी जानते नहीं होगें कि रोजाना एक गिलास टोंड दूध आपके लिए इतना फायदेमंद हो सकता है।

वास्तव में, टोंड दूध के एंटीऑक्सिडेंट गुणों को बढ़ाने के लिए अब इसमें कृत्रिम रूप से विटामिन A और विटामिन B जैसे प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट्स को भी मिला दिया जाने लगता है। इतना ही नहीं अतिरिक्त विटामिन मिला देने से यह रोजाना की विटामिन जरूरत को भी पूरा करने में मदद करता है।

नुकसान या साइड इफेक्ट्स

  • वैसे तो टोंड दूध को सभी के लिए स्वास्थ्यकर माना जाता है, लेकिन एक अध्ययन में पाया गया है कि यदि आप अधिक मात्रा में कम फैट वाले डेयरी उत्पाद ले रहे हैं तो इससे भी कई रोग विकसित हो सके कते है, जैसे मुंहासे या प्रोस्टेट कैंसर आदि। 
  • शिशुओं के पोषण के लिए टोंड दूध काफी नहीं है। कुछ अध्ययनों के बाद पता चला है कि जो शिशु 3 साल की उम्र तक गाय का दूध पीते हैं, तो उनके बड़े होने के साथ-साथ आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। जैसा कि टोंड दूध की सामग्री गाय के दूध के काफी समान होती है, इसलिए टोंड दूध भी शिशुओं में समान प्रभाव डालता है।
  • साथ ही लेक्टोज इंटोलरेंस से पीड़ित लोगों के लिए भी टोंड दूध अच्छा नहीं होता है। 

(और पढ़ें - दूध पीने के नियम आयुर्वेद के अनुसार)

संदर्भ

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