मस्तिष्क में विचारों का आना-जाना सामान्य है. वहीं, कभी-कभी कुछ विचार मस्तिष्क में आकर अटक जाते हैं. फिर उस एक विचार को लेकर बार-बार सोचने का सिलसिला जो शुरू होता है, रुकने का नाम नहीं लेता. ऐसी अवस्था को ओवरथिंकिंग या रूमिनैट (Ruminating) कहा जाता है. वहीं, साइकोलॉजी में इसे ‘स्टिकी’ कहते हैं. साथ ही जब मन में विचारों का एक लूप चलने लगता है, तो इसे ‘स्टिकीनेस ऑफ माइंड’ भी कहा जाता है. अधिक सोचने की आदत व्यक्ति की मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकती है, क्योंकि इससे स्ट्रेस बढ़ सकता है. ऐसे में किताबें पढ़कर व मेडिटेशन के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है.
आज हम एक ही विचार को बार-बार सोचते रहने के कारणों और इससे बचने के उपायों के बारे में जानेंगे -
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