भले ही कोई व्यक्ति नियमित रूप से ऑफिस जाकर काम करता हो या फिर कोरोना वायरस व अन्य किसी वजह से वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम कर रहा हो। दोनों ही स्थिति में काम से जुड़े तनाव की समस्या हो सकती है। हालांकि, तनाव के कई कारण हो सकते हैं जैसे संतुलित आहार न लेना, जीवनशैली में बदलाव, नींद की कमी, आर्थिक परेशानी, रिश्ते बिगड़ना और वातावरण। लेकिन इसके सबसे आम कारणों में अत्यधिक थकावट भी शामिल है। इस दौरान थकान की वजह से व्यवहार में चिड़चिड़ापन और उत्साह की कमी हो जाती है।
कार्यालय में, तनाव अक्सर लगातार काम को लेकर दबाव, बॉस की डांट या उसके द्वारा काम से संतुष्ट न होना और प्रदर्शन में कमी का परिणाम हो सकता है। जॉब के कारण तनाव से पीड़ित लोगों को परेशानी महसूस हो सकती है और उनके आत्मसम्मान में कमी आ सकती है यानी ऐसे कार्य, जिन्हें व्यक्ति पहले बिना किसी कठिनाई के कर लेता था, लेकिन अब चुनौतीपूर्ण और क्षमताओं से परे लगता है।
अमेरिका के लॉस एंजिलिस में यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (यूएससी) के शोधकर्ताओं द्वारा एक अध्ययन किया गया, जो कि जनवरी 2020 में यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित किया गया था। इसमें पता चला कि हृदय रोग, विशेष रूप से एट्रिअल फिब्रिलेशन (या ए-फाइब) अत्यधिक थकावट से जुड़ा हो सकता है। ए-फाइब एक प्रकार का एरिथमिया है, यानी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल की अनियमित धड़कन और अक्सर दिल तेज धड़कने लगता है, जिससे खून के थक्के बन सकते हैं और अंततः हार्ट फेल या स्ट्रोक जैसी समस्या हो सकती है।
यूएससी के अध्ययन में पाया गया कि जिन प्रतिभागियों में बर्नआउट (काम से जुड़ा तनाव - शारीरिक या भावनात्मक थकावट की स्थिति) का स्तर बहुत ज्यादा है, उनमें एट्रियल फिब्रिलेशन की समस्या औसतन 20 प्रतिशत अधिक पाई गई। शोधकर्ताओं ने माना कि इसके लिए तनाव के प्रति शारीरिक प्रतिक्रिया और सूजन जिम्मेदार है। दूसरे शब्दों में कहें तो चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के अनुकूल होने की क्षमता में कमी आई। बता दें कि यह अध्ययन 25 सालों के लिए गया था, जिसमें मध्यम और बड़े वर्ग के 11,000 लोगों को शामिल किया गया था।