आंसू गैस के संपर्क में आने पर क्या होता है?
अश्रु गैस आंख, नाक, मुंह और फेफड़ों की श्लेष्म झिल्ली (म्यूकस मेंबरेन) को प्रभावित कर उनमें जलन व अन्य तकलीफ पैदा करती है और व्यक्ति को अक्षम बना देती है। इसके परिणामस्वरूप आंखों में जलन, छाती में दर्द और सांस लेने में तकलीफ आदि समस्याएं होने लगती हैं।
टीयर गैस शरीर के पेन रिसेप्टर्स (Pain receptors) को सक्रिय कर देती है, खासतौर पर टीआरपीए1 (TRPA1) को, जिससे इस गैस के संपर्क में आने से होने वाला दर्द बढ़ जाता है।
यह गैस आमतौर पर 10 से 15 सेकेंड के भीतर असर दिखाना शुरू कर देती है। इससे रहने वाले प्रभाव की अवधि व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य, गैस के प्रकार और कितनी मात्रा में गैस शरीर के अंदर गई है आदि पर निर्भर करती है।
यदि गैस को किसी बंद स्थान पर छोड़ा गया है, तो संपर्क में आने वाले व्यक्ति को आंखों में जलन, गले में दर्द व जलन, छाती में दर्द व सांस लेने में कठिनाई आदि लक्षण महसूस होने लगते हैं। इसके अलावा यदि गैस को खुले स्थान में छोड़ा गया है, तो यह हवा में मिल जाती है और किसी व्यक्ति के संपर्क में कम आ पाती है, इसके परिणामस्वरूप प्रभाव भी कम हो जाते हैं।
गैस से प्रभावित व्यक्ति जब किसी गैस से दूषित स्थान से दूर साफ वातावरण में चला जाता है, तो आमतौर पर उसके 15 मिनट बाद लक्षण कम होने लगते हैं। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक अश्रु गैस के संपर्क में आया है, तो उसके शरीर में अधिक गैस चली जाती है और परिणामस्वसरूप इसका प्रभाव भी लंबे समय तक रहता है।
गैस के लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों के बारे में अभी तक ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है, क्योंकि हर व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य के अनुसार उनमें लक्षण भी अलग-अलग समय तक रह सकते हैं।
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